फॉयर ब्रिगेड का जवान भगवान भरोसे


सच बात मान लीजिए चेहरे पे धूल है, इल्ज़ाम आइने पे लगाना फुजूल है।




अग्रिशमन दस्ते में नौकरी करने वाले जवान का राजनांदगांव में तो भगवान ही मालिक है। इनके पास न तो कोई गम बूट न दस्ताने और न ही सिर बचाने के लिए हेलमेट। इसके बावजूद भी नगर निगम अग्रिशमन वाहनों का उपयोग बतौर टैंकर किए जा रहा है। जिले के महापौर इस पर नहीं कर रहे हैं गौर। जरूरी सामानों के लिए भी समीपवर्ती जिलों के सहयोग के सहारे यहां के फॉयर ब्रिगेड की गाड़ी चल रही है। धक्कामार वाहन और असंख्य छेदों वाली पाइप देखने के बाद आदमी का इनसे मोहभंग हो जाता है। चौबीस वर्ग किलोमीटर में फैले शहर, जहां का सांसद भी काफी रसूखदार हो ऐसी जगह इस तरह की लापरवाही समझ से परे है। यहां काम कम घोषणाएं ज्यादा हो रही हैं।
लोगों को परेशानियां तो हैं मगर सरकार के मीडिया प्रबंधन के आगे सब बौनी लग रही हैं। व्यवस्था कुछ मामूली लोगों की रखैल बनकर रह गई है और कानून सिर नीचा किए नाखून कुतरने में लगा है। दावे पर दावे तो किए जा रहे हैं मगर समस्याओं के मर्ज की दवाई करने का वक्त किसी के भी पास दिखाई नहीं देता। एक बार वोट लेकर पांच साल तक चोट देने वाले नेताओं ने यहां की जनता के साथ जो छल किया है, उसके लिए राजनांदगांव के लोग अब पछता रहे हैं। दु:खद बात तो ये है कि सरकार ने वापस बुलाओ कानून को पास नहीं किया। यदि ऐसा किया होता तो तत्काल फैसला हो जाता।
खैर अब जो है ही नहीं उसकी चर्चा करके क्या फायदा? अलबत्ता नगर निगम लोगों को होने वाली असुविधाओं से निगम है। यानि उसको आम जनता की असुविधाओं का कोई $गम नहीं है। ये फॉयर फॉइटर्स के बच्चों का भाग्य है जो ये बेचारे नौकरी कर रहे हैं, लेकिन सबसे अहम बात तो यही है कि क्या निगम को किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार है? अगर हां तो फिर ऐसे महापौर का क्या दायित्व बनता है? अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ा है। नगर निगम को चाहिए कि वो तत्काल अपने बजट से एकमुश्त राशि निकाल कर अग्रिशमन दस्ते को जरूरी साजोसामान तत्काल मुहैय्या कराए ताकि हमारे फॉयर फाइटर्स जिले और उससे बाहर भी लगने वाली आग पर तत्काल काबू पा सकें।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव