पानी बचाओ मगर कैसे


निखट्टू
 पूरे देश में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। एक ओर गर्मी के कारण पारा ऊपर की ओर तो पानी पाताल की ओर जा रहे हैं। ऐसे में लोगों को पानी की जरूरत होती है। तो वहीं कुछ लोगों ने पानी पर कब्जा जमा रखा है। कहीं ये पानी उद्योगों को बेंचा जा रहा है। तो गरीबों को कहीं तालाब तो कहीं झेरिया का पानी पीना पड़ रहा है। सरकारी हैंडपंप भी इस तेज गर्मी में  हांफ गए हैं। प्रधानमंत्री से लेकर तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पानी बचाने की गुहार जनता से लगानी शुरू कर दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना संपूर्ण स्वच्छता ही इस योजना को चूना लगाती दिखाई दे रही है। सरकार ने तमाम घरों में शौचालयों का निर्माण करवा रही है। ऐसे में पानी की खपत ज्यादा होती है। पहले आम आदमी जहां खेत- बाड़ी में एक लोटा पानी लेकर चला जाया करता था। मगर अब आलम ये है कि जैसे ही फ्लश चलाया जाता है 20 लीटर पानी अंदर चला जाता है। इसके बाद बाकी प्रयोग के लिए भी लगभग दस लीटर पानी लगता है।  तो एक आदमी पर कुल मिलाकर लगभग 30 लीटर पानी की खपत होती है। यह आंकड़ा एक आदमी का है। करोड़ों घरों में यही खेल चल रहा है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि पानी आखिर बचेगा कैसे? और प्रधानमंत्री का सपना पूरा कैसे होगा। तालाबों पर अवैध कब्जे हो गए । नदियों की रेत माफियाओं ने खोद डाली। गड्ढे बचे नहीं ऐसे में वर्षा के पानी का संभरण कैसे होगा? पाताल का बचा पानी भी चुपके-चुपके खींचा जा रहा है। ऐसे में हम तो बस यही कहेंगे कि रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।पानी गए न ऊबरैं मोती मानुष चून।।

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