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Showing posts from June, 2016
सातवें आसमान पर अधिकारी
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इसीलिए तो नगर -नगर बदनाम हो गये मेरे आंसू, मैं उनका हो गया कि जिनका कोई पहरेदार नहीं था। जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के बारे में कहावत मशहूर है कि वो मीडिया से बहुत डरता था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वो पत्रकारिता का सम्मान करता था। छत्तीसगढ़ के अफसर तो उससे भी चार हाथ आगे निकल गए। धमतरी जिले के नगरी इलाके के कुसुमभर्री और बटनहर्रा इलाके में दस आदिवासियों की झोपडिय़ों को जलाने वाले वन विभाग के अधिकारी अब मीडिया कर्मियों को समाचार प्रकाशन न करने की नसीहत दे रहे हैं। गोया पूरा मीडिया उनका नौकर हो? प्रदेश में अफसरशाही इस कदर बेलगाम हो चुकी है कि इनको किसी का भी भय नहीं रह गया है। इनके मन में ये बात घर कर गई है कि नौकरी तो सरकारी है, जाने से रही। ऐसे में जितनी उगाही कर सकते हो करो। प्रदेश में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड टूटते नजर आ रहे हैं। क्या बड़ा क्या छोटा जो भी एसीबी की चपेट में आता है किसी का भी रिकार्ड पांच-दस लाख का नहीं करोड़ों तक पहुंचता है। वैसे भी वन विभाग में कितने ईमानदार भरे पड़े हैं ये शायद किसी से भी बताने की जरूरत नहीं है। मंत्री से लेकर संसदीय सचिव तक की जिम्मेद...
गरीबों की आह और अफसरों की तन्ख्वाह
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कटाक्ष- निखट्टू जब से आजादी मिली देश में कई चीजों का बड़ी तेजी से विकास हुआ। दिल्ली में कौए और कचहरी में वकील बड़ी तेजी से बढ़े। इस विकास पर अभी हम गर्व ही कर रहे थे कि जिस तीसरी चीज ने भी विकास करना शुरू कर दिया, वो है गरीबों की आह। अभी इसकी ठीक से थाह भी नहीं ले पाए थे कि जिस चौथी चीज ने विकास करना शुरू किया वो है अफसरों की तनख़्वाह। अच्छे दिन तो इन्हीं के आए न? बिना काम के दोगुनी चार गुनी तनख़्वाह मिल रही है। थोड़ा काम किया तो घूस ऊपर से आ जाता है। कचहरी को लेकर कभी दादा कैलाश गौतम ने लिखा था कि- भले टूटी मड़ही में खटिया बिछाना, मिले आधी रोटी ही घर में तू खाना। मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना, कचहरी हमारी-तुम्हारी नहीं है, कचहरी में पंडा-पुजारी नहीं है। कचहरी तो बेवा का तन देखती है, कहां तक खुलेगा बटन देखती है। ये पंक्तियां गरीबों के हालात बयां करने के लिए काफी हैं। दावे और घोषणाओं को अगर छोड़ दिया जाए तो हालात अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बदले हैं। गरीबों को पहले राजा, जमींदार और उनके रसूखदार लोग, सेठ साहूकार रौंदा करते थे। आज मंत्री, अफसर और नेता रौंद रहे हैं। खुद की तनख़्वाह बढ़ाने का धंधा...
- अफसरों ने जलाई आदिवासियों की 10 झोपडिय़ां
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भ्रष्ट और बेलगाम अफसरशाही अब संवेदनाहीन भी हो चुकी है। मंगलवार को धमतरी वन विभाग के अफसरों ने नगरी वन परिक्षेत्र के कुसुमभर्री और बटनहर्रा इलाके में 10 आदिवासियों की झोपडिय़ों को आग लगाकर जला दिया। हल्की बारिश के बीच पहले तो वन विभाग के अमले ने आदिवासियों को उनकी झोपडिय़ों से घसीट-घसीट कर बाहर निकाला। इसके बाद उनकी झोपडिय़ों को आग लगा दी। अब रसूखदार अधिकारी इसको अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया बता रहे हैं। ऐसे में सवाल तो ये उठता है कि क्या ऐसे अतिक्रमण हटाया जाता है? इन बेलगाम अफसरों की हिटलरशाही के चलते दो दर्जन से ज्यादा लोग घर विहीन हो गए हैं। विभाग मामले की लीपापोती में पूरी ताकत के साथ जुट गया है। डिप्टी रेंजर ने दी मीडिया को खबर नहीं छापने की नसीहत रायपुर। अतिक्रमण हटाने के नाम पर मंगलवार की शाम को वन परिक्षेत्र नगरी के कुसुमभर्री और बटनहर्रा इलाके में वन विभाग के अमले ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर आदिवासियों की 10 झोपडिय़ों को आग लगा दिया। इन सभी झोपडिय़ों में गरीब आदिवासियों के परिवार निवास कर रहे थे। इनका कहना है कि इन्होंने वन अधिकार पट्टे के लिए आवेदन दे रखा है,मगर ...
अब नारी या नर बन सकेंगे किन्नर
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प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में ऑपरेशन करके किन्नर को नारी या नर बनाया जाएगा। प्लास्टिक सर्जरी प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा किन्नरों के लिए वरदान साबित होगी। मेकाहारा के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसकी शुरुआत जल्दी ही की जाएगी। यानि बहुत जल्दी ही सड़कों पर तालियां बजाते घूमने थर्ड जेंडर बीते जमाने की बात हो जाएंगे। रायपुर। चेन्नई और पुडूचेरी के बाद अब रायपुर का नंबर- चेन्नई और पुडूचेरी के बाद रायपुर में हो सकेगी सर्जरी समाज की मूलधारा में जुडऩे की चाह रखने वाले किन्नरों के लिए ये अच्छी खबर है। क्योंकि जल्द ही रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में किन्नरों की सेक्स रेजीजमेंट सर्जरी की सुविधा मिलनी शरू हो जाएगी। अब तक ये सर्जरी केवल चेन्नई और पुडूचेरी के ही सरकारी अस्पतालों में ही होती थी, लेकिन अब छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भी किन्नरों का सेक्स चेंज ऑपरेशन होगा। थर्ड जेंडर के लिए बनेगी अलग से ओपीडी वहीं अंबेडकर अस्पताल देश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल होगा जहां किन्नरों के लिए अलग से ओपीडी भी बनाई ...
नान मामले पर भटकाया जा रहा ध्यान
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नान मामले में एक ओर जहां अनिल टुटेजा खुद को पाक साफ बता रहे हैं। तो वहीं एसीबी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने उनकी उस पूरी प्रश्रावली को ही खारिज कर दिया है। एसीबी के सूत्रों का दावा है कि उन्होंने नान में घोटाले की तो बात ही नहीं की। मामला है पद के दुरुपयोग का, तो उसमें नान को घाटा कहां से हो सकता है? दूसरा मामला चावल की गुणवत्ता का है तो इन लोगों ने कभी किसी राशन दुकान के चावल की जांच नहीं की। यहां भी वही मामला है प्रभाव का दुरुपयोग करके अवैध वसूली का। विशेष न्यायाधीश ने भी एसीबी की चार्जशीट को सही माना है। इसको एसीबी अपनी जीत के तौर पर देख रही है। जानकारों का मानना है कि मामले से ध्यान भटकाने की ये एक कोशिश मात्र है। इससे कुछ भी नहीं होने वाला। तो जानिए नान मामले की क्या है असलियत... . रायपुर। जिस नागरिक आपूर्ति निगम यानि नान के घोटाले को लेकर आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला निशाने पर हैं। इसमें सौ से ज्यादा गवाह और 18 आरोपी बताए जाते हैं। अब इस मामले में एक नया मोड आ गया है। नागरिक आपूर्ति निगम छत्तीसगढ़ ने बाकायदा ये जानकारी दी है कि वर्ष 2014-15 में नागरिक आपूर...
जंगल में जमघट
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कटाक्ष- निखट्टू बरसात में अधिकांश जंगलों में लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। ऐसे में बलौदा बाजार के पास बारनवापारा के जंगलों में भाजपा का चिंतन शिविर आयोजित किया गया। प्रतिबंध आने-जाने पर है चिंतन करने पर थोड़े? 58 से ज्यादा कद्दावर नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ दो दिनों तक जमकर चिंतन के नाम पर तफरीह की। यहां दिल्ली से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आने वाले थे। तो उनके उडऩखटोले के उतरने की जगह बनाने के लिए कुछ पेड़ों को काट दिया गया। बच्चों से पोस्टर और झंडियां लगवाई गईं। अब ये सब देखकर कांग्र्रेस के सीने पर सांप लोट गया। घर बैठे -बिठाए उसको सोनिया गांधी को दिखाने के लिए एक मुद्दा मिल गया। वैसे भी अजीत जोगी के पार्टी से जाने के बाद से कांग्रेस के पास कोई खास मुद्दा तो था नहीं। तो ङ्क्षचतन बैठक की सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस को ही थी। इन लोगों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। ये दीगर बात है कि अमित शाह खराब मौसम के कारण नहीं आ पाए, मगर कांग्रेसियों ने बात का बतंगड़ तो बना ही डाला। यही कांग्रेसी है कि पिछली बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के दौरे पर आए थे...
विज्ञान और दूसरे भगवान
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खुली छतों के दिए कब के बुझ गए होते, कोई तो है जो हवाओं के पर $कतरता है। किन्नर का नाम लेते ही जेहन में यकायक एक उस आदमी की तस्वीर उभर कर सामने आती है, जो ढोलक की थाप पर नृत्य करते हैं। कहीं लोगों के सिर पर हाथ रखकर उनके सुखी रहने की दुआएं देते हैं। कहीं-कहीं शादी ब्याह में बैंड के सामने नाच कर लोगों का मनोरंजन करते दिखाई देते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा से समाज से अलग रखा जाता है। अब ऐसे में इन लोगों ने अपना अलग समाज बना लिया। समय के साथ-साथ जागरूकता बढ़ी तो सरकार ने उनको तीसरे लिंग यानि थर्ड जेंडर का दर्जा दे दिया। चेन्नई और पुडूचेरी में इनको -इनके हार्मोंस के आधार पर स्त्री या फिर पुरुष बनाया जा रहा है। ठीक उसी तर्ज पर प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में भी इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यहां भी प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से इनको -इनके शरीर में मौजूद हार्मोंस के आधार पर इनका लिंग परिवर्तन किया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यदि ये काम शुरू होता है तो इससे राज्य के कुल दस हजार से ज्यादा थर्ड जेंडर्स को नया जीवन दान मिलेगा। ये पुरुष और स्त्री के रूप में हमारे स...
रेंगते शहर को स्मार्ट बनाने की धुन
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कटाक्ष- निखट्टू छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की व्यस्ततम समय में रफ्तार 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की है। यूं कहें कि बढिय़ा से बढिय़ा वाहन भी इस समय में सड़कों पर रेंगने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। चौड़ी सड़कों पर ठेले वालों का कब्जा तो कुछ जगहों पर कार वालों ने कब्जा जमा रखा है। सांपों की चाल जैसी टेढ़ीमेढ़ी सड़कें और नालियां, सफाई के नाम पर सन्नाटा। सुविधाओं के नाम पर सिर्फ असुविधाएं और काम के नाम पर धड़ाम होन वाले नगर निगम को इसका कोई $गम नहीं है। उसे राजधानी के लालों से ज्यादा अपने दलालों पर भरोसा है। जो आंकड़ों का अंकगणित बैठाकर इसको सबसे बेहतरीन शहर साबित कर देंगे। उसी के आधार पर इसको स्मार्ट शहर बनाने का परमिशन भी मिल जाएगा। मिल क्या जाएगा मिल गया समझो। अब ऐसे शहर में जब कोई विदेशी आएगा और उसके सिर पर उड़ती हुई पॉलीथेन की थैली गिरेगी तो उसकी क्या मानसिकता बनेगी इस स्मार्ट शहर के बारे में इसका न तो मेयर ने केयर किया और न ही उनके उन दलालों ने। अभी-अभी इसी ट्रैफिक में रेंगता हुआ मैं जैसे ही जय स्तंभ चौक पर पहुंचा तो वहां लगे माइक में नागिन फिल्म की पुरानी वाली बीन की धुन गूंज रही थ...
चिंतन के बहाने चिंता
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मैं ये किसके नाम लिक्खूं जो आलम गुज़र रहे हैं, मिरे शहर जल रहे हैं मिरे लोग मर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश के सियासी माहौल को परखने आए हैं। राजनीति के पारखी माने जाने वाले अमित शाह की नज़रें आने वाले चुनाव में प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह की सरकार का चौथा कार्यकाल पक्का करने की नींव रखने आए हैं। अब ऐसे में ये कोई इतना आसान काम तो है नहीं कि जब चाहा झट से रख दिया नींव का पत्थर। इस शीश महल को तामीर करने में मशक्कत करनी पड़ेगी। अलबत्ता उसकी उम्मीदों को तलाशा जा सकता है। लिहाजा इनकी पूरी कोशिश यही है कि कैसे इसकी बुनियाद के लिए मजबूत पत्थरों का जुगाड़ किया जाए। जो इक्का-दुक्का पत्थर हिलडुल रहे हैं ये इस इमारत के लिए आसन्न खतरे का संकेत हैं। श्री शाह उन्हीं पत्थरों को टटोलने और उनकी जगह पर कौन सा संग रखा जाए, उसकी संग तराशी कैसे की जाए। इन्हीं बातों पर $गौर फरमाने बलौदाबाजार के बारनवापारा में चल रहे चिंतन शिविर में तशरीफ लाए हैं। यहां उनका स्वागत जरूर पुष्प गुच्छ से हुआ, मगर उससे कहीं ज्यादा सवालों के गुच्छे उलझा कर रखे गए। इसी उलझन को सुलझाना और संगठन...
गरीबों के बच्चों से मजाक
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खिलौनों की दुकानों की तरफ़ से आप क्यूँ गुजऱे, ये बच्चे की तमन्ना है ये समझौता नहीं करती। राज्य में गरीबों और उनके बच्चों का मजाक बनाना कोई नई बात नहीं है। राज्य की भ्रष्ट हो चुकी अफसरशाही ने पूरी व्यवस्था को ही नष्ट कर दिया है। यहां काम से ज्यादा जोर कमाई पर दिखाई देता है। जहां मामूली सा क्लर्क भी कई लाख का आसामी निकलता है। ऐसे में अफसरों की तो बात ही छोड़ दीजिए। ताजा कारनामा महिला एवं बाल विकास विभाग कांकेर का है। यहां तकरीबन सत्रह साल पहले से खरीद कर लाए गए खिलौने जिनको यहां की आंगनबाडिय़ों में बांटा जाना था, आज तक नहीं बांटे गए। रखे-रखे उन सभी खिलौनों की दशा खराब हो गई है। मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब आदिवासी समाज ने अपना प्रतीक्षालय खाली करने के लिए कलेक्टर से शिकायत की । शिकायत पर कलेक्टर ने विभाग को तत्काल आर्डर जारी कर दिया । जब प्रतीक्षालय के कमरों के ताले खोले गए तो वहां मौजूद अधिकारियों की आंखें चमक गईं। यहां के तीन कमरों में तकरीबन एक ट्रक खिलौना निकला। जाहिर सी बात है कि ये खिलौने सरकार ने गरीबों के बच्चों को बंटवाने के लिए मंगवाए थे, लेकिन लापरवाह अधिकारियों क...
रेत माफिया चीर रहे शिवनाथ का सीना
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खनिज और पर्यावरण की आपसी खींचतान का फायदा उठाते हुए रेत माफिया राजनांदगांव में शिवनाथ नदी का सीना लगातार चा$क किए जा रहे हैं। आलम ये है कि यहां से रोजाना सैकड़ों ट्रिप रेत निकाली जा रही है। खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पंच-सरपंच और खनिज अधिकारियों तक को कुछ नहीं समझ रहे हैं। माफिया राज में पंचायतों के अधिकार महज कागजों पर ठप्पे लगाने तक ही सीमित रह गए हैं। तो उधर खनिज विभाग सारी गलती पर्यावरण विभाग के मत्थे मढ़कर खुद को बेदा$ग साबित करने में लगा हुआ है। इनके इस कारनामे से शिवनाथ का सीना और राज्य सरकार का खजाना दोनों खाली हो रहे हैं। इन पर अगर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो फिर ग्रामीणों का आक्रोश किसी दिन किसी बड़ी अनहोनी का कारण बनेगा और उसका जिम्मेदार सिर्फ प्रशासन होगा। नियम-कायदे को ताक पर रखकर रोज हो रही है धड़ल्ले से रेत की अवैध खुदाई, सरकारी अधिकारी नहीं कर रहे हैं कोई कार्रवाई पंचायतों के सचिव और सरपंच बने हैं कठपुतली राजनांदगांव। क्या है पूरा मामला- जिले के कुमर्दा से कुछ किमी की दूरी पर स्थित ग्राम धनगांव के पास शिवनाथ नदी में मशीनों से लगातार रेत निका...
टीचर बनाम अध्यापक
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कटाक्ष निखट्टू पहले हमारे बचपन में अध्यापकों के लिए बाबू साहब,पंडित जी और मुंशी जी, का प्रचलन था। बाबू साहब सिर्फ ठाकुर अध्यापकों के लिए हुआ करता था। जो कभी चमचमाती साइकिल या फिर घोड़े पर चढ़कर आते थे। दूर से जैसे ही दिखाई देते थे बच्चे चिल्लाना शुरू करते थे...बाबू साहब....बाबू साहब.... बाबू साहब और तब तक सरपट दौड़ता वो घोड़ा आकर स्कूल के सामने रुक जाता था। एक होशियार बच्चा दौड़कर लगाम थामता था। दूसरा दौड़कर कुर्सी लाता था। तीसरा हाथ में पंखा लेकर झलना शुरू कर देता था। घोड़े को नीम के पेड़ की जड़ में कस कर बांध दिया जाता था। उसके बाद उसका सहीस भी वहीं पहुंच जाता था। बाबू साहब पढ़ाते थे और सहीस घोड़े को चराता था। यही हाल पंडित जी के लिए भी लागू होता था। जब परीक्षाएं नजदीक होती थीं तो यही बाबू साहब और पंडित जी या फिर मुंशी जी अतिरिक्त कक्षाएं भी लेकर बच्चों को पढ़ाया करते थे। ये लोग अपने बच्चों से ज्यादा अपने शिष्यों पर ध्यान दिया करते थे। कभी कोई समस्या पड़ जाए तो अपने शिष्य के लिए जान की बाजी तक लगा दिया करते थे। तब के पढ़े बच्चों का ज्ञान भी गजब का हुआ करता था। हर स्कूल में टाट ...
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सुखोई के डैने में ब्रह्मोस मिसाइल आर.पी. सिंह सुखोई एसयू -30 एमकेआई के डैने से अचानक ब्रह्मोस निकली और टॉरगेट को बीट कर दिया। तो वहीं अब इसको तेजस में लगाने की तैयारी भी चल रही है। यदि ऐसा होता है तो भारत का हवा में मुकाबला करना विरोधियों के लिए आसान नहीं होगा। हमारे तेजस ने वो क्षमता हासिल कर ली है कि सुखोई जितनी रफ्तार और कद बिल्कुल छोटा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के छुटकू के डैने में जिस दिन ब्रह्मोस लगी तो सोच लीजिए कि परिणाम क्या होगा? वैसे सब कुछ ठीक रहा तो जल्दी ही ये खबर भी आ जाएगी। सुखोई के इस परीक्षण के साथ ही भारत जल, थल और नभ में परमाणु हमला करने की ताकत हासिल कर चुका है। -------- नासिक के आकाश में आज अद्भुत नजारा तब देखने को मिला, जब देश की वायुसेना के अग्रिम बेड़े के लड़ाकू विमान सुखाई के डैने से ब्रह्मोस निकली । इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जोरदार धमाका हो गया। धमाके की गडग़ड़ाहट दूर तक सुनाई दी । ये पहला ऐसा मौका है जब सुपरसोनिक फाइटर प्लेन से सुपरसोनिक कू्रज़ मिसाइल का टेस्ट फ्लाई किया गया। किसी भी देश की वायुसेना के पास ऐसी तकनीक नहीं ह...
सुराज बनाम माफिया राज
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जिस को ख़ुश रहने के सामान मयस्सर सब हों,उस को ख़ुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं। जहां की धरती अमीर होती है वहां के लोग गरीब होते हैं। इसके पीछे सीधा से एक कारण होता है माफियाओं का राज। मामला चाहे उत्तराखंड का हो या फिर मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड अथवा छत्तीसगढ़ का , सब जगह तस्वीर एक जैसी ही है। यहां खनिज माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। धड़ल्ले से नदियों का सीना चाक किया जा रहा है। गंगा-यमुना से लेकर शिवनाथ नदी तक का एक ही हाल है। इधर नदियों का सीना तो उधर सरकार का खजाना दोनों तेजी से खाली हो रहे हैं। प्रशासन अथवा अधिकारी जब भी इनके काम में रोड़ अटकाने की कोशिश किए हैं परिणाम भयंकर ही हुए हैं। इन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि कुछ दिनों पहले ही मध्य प्रदेश में एक खनन माफिया ने एक खनिज अधिकारी को नदी में डुबो-डुबोकर मारा था। उसका वीडियो भी वॉयरल हुआ मगर कार्रवाई के नाम पर वही ढाक के तीन पात वाली बात चरितार्थ हुई। उत्तर प्रदेश की बहादुर बेटी दुर्गा नागपाल का ही उदाहरण ले लीजिए। क्या हुआ कार्रवाई के नाम पर? मामला खनन माफियाओं से ही जुड़ा था। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव म...
Front and Last page of Hamari Sarkar of 27th of June 16
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रेल निकालेगी जनता की जेब से तेल
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अच्छे दिनों का ख्वाब दिखा कर भारतीय रेल मंत्रालय नया खेल -खेलने जा रहा है। टिकटों पर ये संदेश दिया जा रहा है कि रेल की टिकटों पर भी सरकार 43 फीसदी की रियायत दे रही है। इससे रेलवे को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। तो क्यों न इसको भी समाप्त कर दिया जाए। यानि महंगाई की मार झुकी जनता की कमर पर रेल मंत्रालय की ये लाठी ऐसी चोट पहुंचाएगी कि वो सीधे धराशाई हो जाएगा। एक्सप्रेस या मेल को समय पर चलाने में फेल हुई रेल का ये नया खेल जनता की जेब का निकालेगा तेल। यात्री टिकटों पर 43 फीसदी रियायत के नाम पर किराया बढ़ाने की कवायद रायपुर। लोगों की जेब काटने का नया पैंतरा रेल बड़ी चतुराई से खेल रही है। इसके माध्यम से भारतीय रेल मंत्रालय जनता की जेब काटने का पुख्ता इंतजाम कर चुका है। लोगों के टिकटों पर अब ये जानकारी छापी जा रही है कि रेलवे अपने आरक्षित और अनारक्षित टिकटों पर 43 फीसदी की रियायत दे रही है। ऐसे समझें इस चाल को- अगर आपके टिकट का दाम 57 रुपए है तो आप ये मानकर चलिए कि आप सौ रुपए के टिकट पर सफर कर रहे हैं। उसका बगैर सब्सिडी मूल्य सौ रुपए है। अगर मान लिया जाए कि रायपुर से इलाह...
अंतर आम और खास का
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-कटाक्ष- निखट्टू खास के लिए बनाए गए खास शहर नया रायपुर को देखकर तो बड़े-बड़े लोग ठहर जाते हैं। ऐसा सरकारी मह$कमें के लोग विज्ञप्तियां जारी करके बताते हैं। राज्य के ईमानदार अखबार उसी को दूसरे दिन अपनी-अपनी शैली में गाते हैं। उधर नारा ये भी दिया जाता है कि सुराज की सरकार आपके द्वार। अब मेरी मोटी बुध्दि में ये बात नहीं आती कि आखिर किस आदमी का द्वार 40 किलोमीटर का है? हमारा तो भइया 40 गज का है। तो वो भी गांव वाले घर का। इतने बड़े द्वार पर तो हर किसी की जाने की भी हिम्मत नहीं होगी न? जहां आम अवाम रहती है अब वहां की व्यवस्थाएं भी आम हो गईं। खास के लिए खास व्यवस्था की जा रही है। पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं। नए-नए स्टाइल के मकान और चौड़ी सड़कें बनवाई जा रही हैं। उनको अमेरिका से आई मशीन से चमकाया जा रहा है। इधर आम लोगों के शहर में आई देसी मशीनें भी निगम के गोदाम में पड़ी-पड़ी सड़ रही हैं। उनको कोई पूछने वाला नहीं है। कभी यही मशीनें सीएम बंगले के आसपास- तो कभी शंकर नगर में मंत्रियों के बंगले के सामने रात को नजर आती थीं। अब तो इनके दर्शन ही दूभर हो गए। आम लोगों के शहर की सड़कें भी आम ह...
फेल हुई रेल को लूट की छूट
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दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग़ से,इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से। देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे मंत्रालय को लूट की पूरी छूट देने जा रही है। ऐसे में आम आदमी का जीना दुश्वार हो जाएगा। रमजान के पाक महीने में रेल मंत्री सुरेश प्रभु रियायत की आयत पढ़कर जनता को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की रेल पता नहीं कितने दिनों से 43 फीसदी रियायत पर आम लोगों को यात्रा करवा रही है। यानि जल्दी ही रेल को इस भार से मुक्ति दिलाने की भी कवायद की जाएगी। यदि ऐसा होता है तो देश की जनता पर महंगाई की एक बड़ी मार पडऩे वाली है। अच्छे दिनों की आड़ में लगातार महंगाई की लाठियां झेल रही जनता की हालत देखने वाला कोई दूर-दूर तक दिखाई ही नहीं देता। जो ऐसे संकटों से इनके आंसू पोंछने और दिलासा देने का काम करना भी चाहती थी उसको इतनी दूर कर दिया गया है कि वो चाहकर भी पास नहीं आ सकती है। अब तो जनता ये भी कहने लगी कि भगवान ऐसा दरवान कभी किसी को भी मत देना। जो साठ महीने में ही देश को साठ साल का बूढा बना दे। मोदी की सरकार के खाते में अब एक-एक कर असफलताओं ने आना शुरू कर दिया है। ऐसे में अगर जल्दी ही इन प...
सुबह-सुबह एक ठाकुर साहब ने पौध रोपण किया। दोपहर में उस पौधे को एक बकरा खा गया। शाम को ठाकुर साहब बकरा खा गए, हिसाब बराबर!
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फॉयर ब्रिगेड के चालकों का वेतन खा रहे चालाक
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अग्रिशमन दस्ते के चालकों की कमाई चालाक बड़े आराम से खा रहे हैं। यहां 15 चालकों को ठेके पर देकर निगम ने इनके साथ बड़ा अन्याय किया है। ठेकेदार एक ओर निगम से रकम तो पूरी ले रहा है मगर चालकों को बतौर वेतन 74 सौ रुपए मासिक भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में सवाल तो यही है कि इसी वेतन पर निगम इनको एडहॉक पर भी तो रख सकता था। रायपुर। फॉयर ब्रिगेड में कुल 16 फॉयर फाइटिंग व्हीकल हैं। इनमें 5 करोड की लागत वाली हाइड्रोलिक लिफ्ट प्लेटफॉर्म व्हीकल भी है। इस वाहन को चलाने वाले चालक की तन्ख्वाह 7.4 हजार रुपए महीना है। चालकों का मासिक वेतन- चालकों के ठेकेदार कमल सोनी ने बताया कि उनके ठेके में कुल 15 चालक हैं। इनको हर महीने 7.4 हजार वेतन दिया जा रहा है। 18 लाख वार्षिक का है ठेका- कमल सोनी ने बताया कि उन्होंने ये टेंडर 18 लाख में लिया है। ऐसे में लगभग हर चालक के पीछे दस हजार रुपए आते हैं, लेकिन हर चालक के पीछे ठेकेदार को 26 सौ रुपए की हर माह बचत होती है। इस हिसाब से साल में कुल 5 लाख की कमाई ठेकेदार को होती है। जोखिम की जिम्मेदारी फॉयर ब्रिगेड की- श्री सोनी ने बताया कि इन चालकों के साथ हुए किसी भी जो...
उफ...ये मुआ धुआं
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कटाक्ष- निखट्टू विकास का नारा देकर चारा खाने वालों ने प्रदेश की कैसी दुर्दशा कर डाली कि देखकर कलेजा मुंह को आता है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उजाड़ दी गई पूरे शहर की हरियाली। यहां अब पेड़ बचा और न उसकी डाली। राज्य शासन के अधिकारियों ने शहर के विकास में योगदान दिया। ताबड़तोड़ उद्योगों और वाहनों का पंजीयन किया, और उनके धुएं की फिक्र को सिगरेट के धुएं में उड़ा दिया। इधर गड्डियां मिलती रहींं, उधर सड़कों पर गाडिय़ों की तादाद बढ़ती रही। उद्योग विभाग के साहब के घर पहुंचाकर सूटकेश किसान की जमीन पर उद्योगपति करने लगा ऐश। उसके कारखाने की ऐश अब उसी किसान के घर में जाती है जिसकी जमीन पर ये कारखाना लगा है। धुएं को लेकर पूरा मोहल्ला फिक्रमंद है। इसी से परेशान होकर कुछ लोग मुहल्ला छोड़ चुके हैं, तो कुछ कैंसर और कुछ अस्थमा एवं टीबी से दमतोड़ चुके हैं। वातानुकूलित दफ्तर में गद्दीदार कुर्सी पर जमे साहब, उनकी शान देखकर किसान की घिग्घी बंध जाती है। बड़ा साहस बटोर कर एक दिन बुधरू राम ने कहा साहब.... थर्मल पॉवर की राख हमारे दरवाजे पर और धुआं पड़ोसियों के घर में जाता है। राख की बात सुनते ही साहब ने ऐसी आं...
कर्मचारियों की मरती इच्छाशक्ति पर सवाल
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सो जाते हैं फुटपाथ पर अ$खबार बिछाकर, मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते। अंग्रेजी में एक कहावत है कि मूर्ख देते हैं और बुध्दिमान खाते हैं। ऐसा ही कुछ माज़रा नगर निगम में आजकल चल रहा है। यहां अग्रि शमन दस्ते के चालकों की कमाई चालाक खा रहे हैं। निगम एक स्वपोषित संस्था है। उसके अपने कर्मचारी और अपना स्टॉफ है। यहां तक तो सब ठीक है, मगर अग्रि शमन विभाग से आखिर निगम की कौन सी दुश्मनी है कि उसने यहां के चालकों को ठेके पर दे दिया? जिस वेतनमान में उनको ठेकेदार ने रखा है उसी वेतनमान में इनको निगम भी तो अपने अधीन रख सकता था? ऐसा क्यों नहीं किया गया? हालांकि पहले भी दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मचारियों ने निगम की काफी नाक कटवाई थी। उसके लिए तो किवार ही दीवार बनी हुई थी। किवार ने निगम से पैसे तो पूरे लिए मगर कर्मचारियों को देने के नाम पर उसका समुद्र सूख जाता था। यहां के कर्मचारियों को यहीं के अधिकारियों द्वारा इतना सताया जाता है कि बेचारों के अंदर से काम करने की इच्छाशक्ति ही मर जाती है। पहले जहां लोग निगम के सेवा कार्यों को काफी लगन के साथ किया करते थे, अब उसी काम को करने में अब उनकी कोई खास रुचि नहीं द...
Front and Third page of Hamari Sarkar of 25th of June 16
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मित्रों.... फेसबुक भ्रमण के दौरान कुछ सन स्टार के पुराने फ्रंट पेज मिल गए जिनको कभी बड़े प्यार से लगवाया था। उसको आपके लिए पेश कर रहा हूं...।
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