उफ...ये मुआ धुआं

कटाक्ष-

निखट्टू
विकास का नारा देकर चारा खाने वालों ने प्रदेश की कैसी दुर्दशा कर डाली कि देखकर कलेजा मुंह को आता है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उजाड़ दी गई पूरे शहर की हरियाली। यहां अब पेड़ बचा और न उसकी डाली। राज्य शासन के अधिकारियों ने शहर के विकास में योगदान दिया। ताबड़तोड़ उद्योगों और वाहनों का पंजीयन किया, और उनके धुएं की फिक्र को सिगरेट के धुएं में उड़ा दिया। इधर गड्डियां मिलती रहींं, उधर सड़कों पर गाडिय़ों की तादाद बढ़ती रही। उद्योग विभाग के साहब के घर पहुंचाकर सूटकेश किसान की जमीन पर उद्योगपति करने लगा ऐश। उसके कारखाने की ऐश अब उसी किसान के घर में जाती है जिसकी जमीन पर ये कारखाना लगा है। धुएं को लेकर पूरा मोहल्ला फिक्रमंद है। इसी से परेशान होकर कुछ लोग मुहल्ला छोड़ चुके हैं, तो कुछ कैंसर और कुछ अस्थमा एवं टीबी से दमतोड़ चुके हैं।
 वातानुकूलित दफ्तर में गद्दीदार कुर्सी पर जमे साहब, उनकी शान देखकर किसान की घिग्घी बंध जाती है। बड़ा साहस बटोर कर एक दिन बुधरू राम ने कहा साहब.... थर्मल पॉवर की राख हमारे दरवाजे पर और धुआं पड़ोसियों के घर में जाता है। राख की बात सुनते ही साहब ने ऐसी आंख निकाली गोया कच्चा खा जाएंगे। गरजते हुए बोले सुबह-सुबह मूड खराब कर दिया। चलो दफा हो जाओ यहां से ....देख नहीं रहे हो हम बड़े साहब के पास मीटिंग करने जा रहे हैं? सुनते ही बेचारा बुधरू पसीने से तरबतर छोड़कर दफ्तर बाहर निकल आया। ऊपर से चपरासी ने भी चार बातें सुनाया। थोड़ी दूर लगे बगीचे में आहाते की दीवार की छांव में बैठा-बैठा अपने आपसे ही बड़बड़ा रहा था, ये मुआ धुआं अभी और न जाने कौन सा दिन दिखाएगा। काम तो कुछ होता नहीं जब भी आते हैं साहब की गालियां ही खाकर जाते हैं। कभी चपरासी तो कभी पीए आंखें दिखाते हैं। अभी तक डर से कांप रहा है बुधरू बेचारा। उस पर भी तुर्रा ये कि  इस देश में लोग  लोकतंत्र की बात करते हैं? जहां बुधरू जैसे गरीब की तंत्र ऐसी दशा बनाता है। वो इस देश में सातवां वेतनमान पाता है। उनकी तनख्वाह का पैसा ऐसे ही गरीबों की जेब से आता है। यही प्रश्र करने पर एक दिन एक पत्रकार से इसी अफसर ने कहा था कि हां ... तंत्र का पैसा लोक की ही जेब से आता है तो इसमें तुम्हारे बाप का क्या जाता है? एक उच्च शिक्षित सभ्य और सम्मानित अफसर के मुंह से ये बात सुनकर हम तो सन्न रह गए। हमारी भी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। तो भइया बुधरू ने तो पकड़ लिया अपने भाटो का धुआं फेंकने वाला पुराना ऑटो और अब मैं भी निकलता हूं घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

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