सुराज के सपनों की सच्चाई




कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए , कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए ।

खास लोगों के लिए खास शहर नया रायपुर बनाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार की असलियत समय-समय पर सामने आती रहती है। सुराज के दावे की हवा निकालने के लिए ऐसी सच्चाइयों को उजाकर करना नितांत जरूरी होता है। ऐसा ही मामला सामने आया है बिलासपुर के कोटा और सोनहत में  जहां खुले में ही लाशों का पोस्टमार्टम किया जाता है। मृतक चाहे पुरुष हो या फिर स्त्री या बच्ची। सुराज का सपना दिखाने वाले लोग यहां दूर-दूर तक नज़र नहीं आते। विकास की बड़ी -बड़ी बातें करने वाली राज्य की भाजपा सरकार का असली चेहरा उजागर करने वाली ये घटनाएं देखकर किसी के भी रोंगटे खड़ेे हो जाएंगे। राज्य में स्वास्थ्य से लेकर तमाम व्यवस्थाएं बदहाल हो चुकी हैं। तो वहीं सरकार लोगों को दारू पिलाने में मस्त है। गरीबी और बेरोजगारी का दंश झेल रहे आम छत्तीसगढिय़ा को सरकार अब स्मार्ट सिटी का प्रलोभन दे रही है। ऐसे में सवाल तो यही है कि आखिर एक गरीब और बेरोजगार आदमी इस स्मार्ट सिटी का क्या करेगा? उसको तो अपनी भूख मिटाने के लिए रोटी और तन ढंकने के लिए कपड़ा और सिर पर एक छोटी सी छत चाहिए। जो ये सरकार दे पाने में पूरी तरह फेल है। राज्य के मुखिया सुखिया और बाकी सब दुखिया हो रहे हैं।
लोगों को अस्पतालों में दवाओं के बदले गालियां और दुत्कार मिलती है। स्कूलों में आठवीं के बच्चों का पांच का पहाड़ा नहीं आता, और सरकार शिक्षकों को सातवां वेतनमान दे रही है? सड़कों का आलम ये है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक गैंती मारने पर ही धरती मां के दर्शन हो रहे हैं। प्रधानमंत्री की स्वच्छता योजना की तो यहां के अधिकारियों ने टांग तोड़ कर रख दिया है। कोई बकरियां तो कोई गहने और कोई अपने खाने का आनाज बेंचकर शौचालय बनवा रही है, और बहादुरी लूट रहे हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री। इससे बड़े दु:ख की बात और क्या हो सकती है कि छत्तीसगढ़ के गरीब अपने प्रधानमंत्री के आदेश का पालन अपने पेट की रोटी तक बेंच कर- करते हैं। तो अधिकारी फाइलों में विकास के घोड़े सरपट दौड़ाकर वाहवाही लूट रहे हैं। ओडीएफ का दावा करने वालों में दम है तो वे ये बता दें कि रायपुर शहर ओडीएफ है क्या?
जिस दिन कोई इस चैलेंज को स्वीकार करेगा उसको शहर के बीचोबीच लोगों का खुला अधिवेशन दिखा दिया जाएगा।
सरकार सिर्फ ख्वाब दिखाकर लोगों के साथ छल करती आ रही है। जनता इसको बखूबी समझ रही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि अगर वो असल में अपना अगला कार्यकाल पक्का करना चाहती है तो उसको धरातल पर काम करने की जरूरत है। उसे अपनी कार्यशैली बदलना होगा और गरीबों के बीच जाकर ऐसी तमाम विसंगतियों को जड़ से मिटाना होगा। तभी जनता का विश्वास अपने मुखिया में दोबारा कायम हो सकेगा।

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