नान मामले पर भटकाया जा रहा ध्यान




 नान मामले में एक ओर जहां अनिल टुटेजा खुद को पाक साफ बता रहे हैं। तो वहीं एसीबी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने उनकी उस पूरी प्रश्रावली को  ही खारिज कर दिया है। एसीबी के  सूत्रों का दावा है कि उन्होंने नान में घोटाले की तो बात ही नहीं की। मामला है पद के दुरुपयोग का, तो उसमें नान को घाटा कहां से हो सकता है? दूसरा मामला चावल की गुणवत्ता का है तो इन लोगों ने कभी किसी राशन दुकान के चावल की जांच नहीं की। यहां भी वही मामला है प्रभाव का दुरुपयोग करके अवैध वसूली का। विशेष न्यायाधीश ने भी एसीबी की चार्जशीट को सही माना है। इसको एसीबी अपनी जीत के तौर पर देख रही है। जानकारों का मानना है कि मामले से ध्यान भटकाने की ये एक कोशिश मात्र है। इससे कुछ भी नहीं होने वाला। तो जानिए नान मामले की क्या है असलियत....

रायपुर। जिस नागरिक आपूर्ति निगम यानि नान के घोटाले को लेकर आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला निशाने पर हैं। इसमें सौ से ज्यादा गवाह और 18 आरोपी बताए जाते हैं। अब इस मामले में एक नया मोड आ गया है। नागरिक आपूर्ति निगम छत्तीसगढ़ ने बाकायदा ये जानकारी दी है कि वर्ष 2014-15 में  नागरिक आपूर्ति निगम छत्तीसगढ़ को खाद्यान्न परिवहन संग्रहण एवं वितरण में  किसी भी तरह की क्षति नहीं हुई है।
अनिल टुटेजा ने मांगी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी-
मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब मामले में फंसे आईएएस अनिल टुटेजा ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया। उनके आवेदन में श्री टुटेजा ने दो प्रश्रों की जानकारी मांगी थी। जिसमें वर्ष 2014-15 में नागरिक आपूर्ति निगम के खाद्यान्न संग्रहण, परिवहन और वितरण विशेष कर चावल एवं नमक में करोड़ों रुपए की अनियमितता का मामला होने की बात को स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया था। इसका जिलेवार विवरण भी मांगा गया था।  दूसरे प्रश्र के तहत उक्त प्रकरण में फंसे अधिकारियों पर वसूली की कार्रवाई की जानकारी मांगी गई थी।
नान का जवाब-
श्री टुटेजा के पत्र का उत्तर देते हुए छत्तीसगढ स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन लिमिटेड ने 6जून 2016 को इसका जवाब देते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंतर्गत खाद्यान्न के संग्रहण परिवहन एवं वितरण में क्षति नहीं हुई है। क्षति नहीं हुई है अत: कार्रवाई नहीं की गई है।
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन का इनकार-
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सीधे तौर पर माना कि उसने नान मामले में किसी भी अधिकारी को रिश्वत नहीं दी है। एसीबी कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाए गए  सभी सदस्यों ने इस बात को दृढता के साथ रखा है। लगे हाथ एसोसिएशन ने अपने चावल की गुणवत्ता को भी अच्छा बताया है।
विधान सभा में सरकार ने भी नान पर दिया बयान-
विधान सभा में नान पर समय-समय पर सरकार ने भी अपना पक्ष रखते हुए इसके चावल की गुणवत्ता एवं पूरे सिस्टम की तारीफ की। मुख्यमंत्री ने तो इस परियोजना पर गर्व जताते हुए यहां तक कहा था कि दूसरे राज्य भी छत्तीसगढ़ की नान योजना को अपने-अपने राज्यों में क्रियान्वित कर रहे हैं।
क्या है मामले की असलियत-
एंटी करप्शन ब्यूरो के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि नान और राइस मिलर्स एसोसिएशन की बात पूरी तरह सही है। एसीबी के मामले में इन बातों का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया है।
क्या-क्या आरोप हैं एसीबी की चार्ज शीट में -
मामला पद के दुरुपयोग का है। इसमें संस्थान के एमडी ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। तो ऐसे में इसमें छत्तीसगढ स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन लिमिटेड को घाटा कहां से होगा? रही बात राइस मिलर्स एसोसिएशन की तो वो भी अपनी जगह सही है। अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने किसी राशन दुकान की जांच की ही नहीं। उन्होंने तो गोदाम की जांच की थी। जहां से चावल को देर से भेज कर अथवा दुकानदारों को धमका कर अवैध कमाई की जाती थी।
स्पेशल जज ने माना चार्जशीट को सही-
21 जून को हुई सुनवाई के दौरान स्पेशल जज ने एसीबी की चार्जशीट में लगे सारे आरोपों को सही माना है। इसको एसीबी अपनी एक बड़ी जीत के तौर पर देख रही है। जानकार अधिकारियों ने तो यहां तक दावा किया है कि इस मामले मेंं एसीबी ने अपना काम बखूबी किया है। ऐसे में आरोपियों का बच पाना  नामुमकिन है।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव