आर.पी. सिंह
सुखोई एसयू -30 एमकेआई के डैने से अचानक ब्रह्मोस निकली और टॉरगेट को बीट कर दिया। तो वहीं अब इसको तेजस में लगाने की तैयारी भी चल रही है। यदि ऐसा होता है तो भारत का हवा में मुकाबला करना विरोधियों के लिए आसान नहीं होगा। हमारे तेजस ने वो क्षमता हासिल कर ली है कि सुखोई जितनी रफ्तार और कद बिल्कुल छोटा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के छुटकू के डैने में जिस दिन ब्रह्मोस लगी तो सोच लीजिए कि परिणाम क्या होगा? वैसे सब कुछ ठीक रहा तो जल्दी ही ये खबर भी आ जाएगी। सुखोई के इस परीक्षण के साथ ही भारत जल, थल और नभ में परमाणु हमला करने की ताकत हासिल कर चुका है।
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नासिक के आकाश में आज अद्भुत नजारा तब देखने को मिला, जब देश की वायुसेना के अग्रिम बेड़े के लड़ाकू विमान सुखाई के डैने से ब्रह्मोस निकली । इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जोरदार धमाका हो गया। धमाके की गडग़ड़ाहट दूर तक सुनाई दी
ये पहला ऐसा मौका है जब सुपरसोनिक फाइटर प्लेन से सुपरसोनिक कू्रज़ मिसाइल का टेस्ट फ्लाई किया गया।  किसी भी देश की वायुसेना के पास ऐसी तकनीक नहीं है।  ब्रह्मोस कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल के जंगी बेड़े में शामिल होने से भारतीय वायुसेना की रेंज और ताकत में बड़ा ईजाफा हुआ है।  इससे दुश्मन की सीमा में सुखोई अंदर तक हमला (डीप-पैनिट्रेशन) करने में सक्षम हो गई है।
 भारतीय वायुसेना आज दुनिया की पहली ऐसी एयरफोर्स बन गई है जिसके जंगी बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल जुड़ गई है।  इसके साथ ही आज भारत परमाणु त्रिशक्ति देश भी बन गया है।  यानि जरूरत पडऩे पर भारत थल, जल और आकाश से परमाणु हमला करने में सक्षम हो गया है।
इससे वायुसेना विद इन और बियोंड विजयुल रेंज हमला कर सकती है।  गौरतलब है कि ब्रह्मोस मिसाइल न्यूक्लियर वॉर-हेड ले जाने में सक्षम है।  यानि परमाणु मिसाइल सुपरसोनिक स्पीड से फॉयर कर सकती है। इसकी दूसरी खासियत है फॉयर एंड फॉरगेट, यानि दागो और भूल जाओ। यही कारण है कि ये मिसाइल को दुनिया की सबसे घातक मिसाइल मानी जाती है।  इसके सुखोई विमान के साथ जुडऩे से इसकी मारक क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
भारत के सरकारी रक्षा उपक्रम, डीआरडीओ ने इस मिसाइल को रूस की मदद से तैयार किया है।  इसके लिए इसी नाम से ('ब्रह्मोसÓ) एक नई कंपनी तैयार की गई है।  जिसमें भारत और रूस की बराबर की भागीदारी है।  ब्रह्मोस मिसाइल पहले से ही थलसेना और नौसेना की जंगी बेड़े मे शामिल है।  अब वायुसेना मे शामिल होने से भारत परमाणु त्रिशक्ति बन गया है।  ये दीगर है कि पिछले साल वायुसेना दिवस के मौके पर ही बता दिया था कि सुखोई में ब्रह्मोस मिसाइल लगने वाली है।
रक्षा मामलों के जानकारों का ये मानना है कि ये ब्रह्मोस-ए है। इसकी गति 3347 किलोमीटर और मुखास्त्र का वजन 3 सौ किलोग्राम होगा। ऐसे में अगर यही मिसाइल बिना किसी मुखास्त्र के भी इतनी रफ्तार से किसी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट से टकराएगी तो पलक झपकते ही वो आग के गोले में तब्दील हो जाएगा। अब कल्पना कीजिए कि 3सौ किलोग्राम का मुखास्त्र लेकर अगर यही ब्रह्मोस-ए टकराई तो क्या कहर ढाएगी। बताया तो ये भी जा रहा है कि ये मिसाइल परमाणु अस्त्र भी ढोने में सक्षम है। ऐसे में नुकसान का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
जो पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी अक्सर परमाणु हमले की धमकियां बराबर दिया करते हैं। उनको ये पता नहीं है कि सुखाई-30 एमकेआई एक ऐसा विमान है जो किसी भी देश की भीतरी सीमा में घुसकर वार कर सकता है। 21 सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाले इस विमान के साथ दूसरी खासियत ये जुड़ी है कि इसके पॉयलेट भारतीय वायुसेना के जांबाज होते हैं। जो अपने डेडीकेशन के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। भारत के पास इस वक्त 2 सौ से ज्यादा सुखोई एसयू 30 एमकेआई एअरक्रॉफ्ट हैं। अगर सभी के डैनों में ब्रह्मोस लगा दी गई तो इनकी मारक क्षमता इतनी बेजोड़ हो जाएगी कि इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में ही बियॉण्ड विजन वॉर का मजा देखने को मिलेगा। जब डैने से अचानक कुछ तेजी से आगे जाएगा और विमान वापस मुड जाएगा। इसके थोड़ी देर बार जोरदार धमाका और संकट समाप्त। भविष्य में देश वासियों को ये सुख सुखोई देने जा रहा है। अभी तो और भी तमाम परिवर्तन होने हैं इसके बाद का ब्रह्मोस का वर्जन तो दुनिया का सबसे खतरनाक वर्जन माना जाता है। इसकी रफ्तार 7 मैक की होगी जो ठीक से दिखाई भी नहीं देगा और काम खत्म कर देगा। इसमें भी फॉयर एंड फॉरगेट सिस्टम लगाया जाएगा। उस वक्त अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारतीय वायुसेना के बेड़े में पांचवीं पीढ़ी का सुखोई-टी -50 और रॉफेल जैसे लड़ाकू विमान होंगे। इनके साथ होगा तेजस का अत्याधुनिक वर्जन वाला पांचवीं पीढी का लड़ाकू विमान जो हवा में किसी के भी छक्के छुड़ा सकने की ताकत से लैस होगा।
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