जोगी की सियासत और कांग्रेस की सांसत


तुमने लगाई आग तुम्हें याद तक नहीं, मेरे कलेज़े से अब तक धुआं निकलता है।



कभी कांग्रेस का चेहरा कहे जाने वाले अजीत जोगी ने कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया है। अब बस नई पार्टी के गठन की औपचारिकताएं ही महज बाकी हैं। ऐसा करके उन्होंने पार्टी सोनिया गांधी के हाथ में एक ऐसा तीर दे दिया है, कि अगर वो चाहें तो श्री जोगी पर अनुशासनहीनता का अरोप लगाकर बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इससे अजीत जोगी के ऊपर एक धब्बा लग जाएगा कि उनको कांग्रेस पार्टी से निष्काषित कर दिया गया।  अगर पार्टी समय रहते अजीत जोगी पर ऐसी कार्रवाई करती है तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तो कहीं न कहीं इसकी गाज़ उनके समर्थक विधायकों पर भी गिर सकती है। 6 जून को मरवाही की सभा होने में अभी तीन दिन बाकी हैं। ऐसे में अगर पार्टी की आलाकमान ने अपना ये फरमान सुना दिया तो जोगी के अभियान की हवा निकल जाएगी। संभवत: इसी बात पर मंत्रणा करने टीएस सिंहदेव दिल्ली गए हैं। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस भी बार-बार के दबावों से पूरी तरह ऊब चुकी है।
 उधर पार्टी राहुल गांधी को केंद्र की कमान जबरदस्ती थमाने जा रही है। लगातार हार के हार गले में लटकाए राहुल गांधी की ताजपोशी के पहले ही अजीत जोगी ने ये सियासी संकट खड़ा कर दिया है। ऐसे में सियासी गलियारों में इसका यही संदेश जाएगा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस उनके अध्यक्ष बनने के पहले ही टूट गई। 
राज्य में अजीत जोगी के समर्थक विधायकों की भी एक लंबी कतार है। ऐसे में अब भाजपा सरकार भी इसको लेकर सकते में आ गई है। ये सब कुछ इतनी जल्दी नहीं हुआ। इसके लिए बाकायदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने पूरा अभियान चलाया। बात जब वहां भी नहीं बनी तो उन्होंने छाया की माया वाला कार्ड खेला, जो कहीं न कहीं जोगी को नागवार गुजरा।
 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उनके हिमायती जो भी दावे कर रहे हैं वे सब नि:संदेह हवाहवाई ही साबित होंगे। इसके बाद अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की के सामने भी अपनी अस्मिता का सवाल पैदा हो गया है। ऐसे में देखना यही होगा कि अजीत जोगी अपनी नई पार्टी का गठन सकुशल कर पाते हैं, या फिर पार्टी आलाकमान उनको बाहर का रास्ता दिखाकर पार्टी को इस संकट से उबार लेती हैं।

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