उडऩ परी की खुशियां रह गईं धरी की धरी



कपड़े सिलकर परिवार का पाल रही है पेट, अधिकारी नहीं करने आते भेंट


मुंगेली प्रदेश का एक ऐसा है जिला है जहां कलेक्टर, एसपी और डीएफओ सहित सभी प्रमुख पदों पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि के पदों पर महिलाएं ही पदस्थ हैं। भ्रष्ट अफसरशाही का इससे निकृष्टतम नमूना और क्या हो सकता है कि यहां बेटियों के साथ ही तमाम तरह के भेदभाव किए जा रहे हैं। आलम ये है कि राज्य की उडऩ परी रश्मि कैवर्त की खुशियां धरी की धरी। जो कभी ट्रैक पर फर्राटे भरा करती थी आज परिवार का पेट पालने के लिए कपड़े की सिलाई कर रही है। ऐसे में सवाल तो यही कि क्या ऐसे ही पढ़ेगी और आगे बढ़ेगी बेटी?

मुंगेली। कभी छत्तीसगढ़ की उडऩ परी कही जाने वाली धावक रश्मि कैवर्त आज सरकार की उपेक्षा के चलते गुमनामी और बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है।  अब इस मजबूरी ने इस खेल प्रतिभा के पैरों में जंजीर बांधकर इसकी उड़ान को ही रोक दिया है।
कौन है रश्मि-
लोरमी इलाके के छोटे से गांव ढिंढोल की लाडली बेटी और एथलेक्टिक्स खिलाड़ी रश्मि कैवर्त ने अपने खेल से पूरे मुंगेली जिले के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन किया।  सात बहनों में बड़ी रश्मि के माता-पिता मजदूरी करते हैं और उसी मजदूरी से इस बच्ची को पढ़ाया और आगे बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किया।
कहां-कहां बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान-
वहीं रश्मि ने भी सबका मान रखा और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित कई राज्यों में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया और प्रथम स्थान भी दिलाया। पढ़ाई में बेहद होनहार इस बच्ची ने इस साल 12वीं की परीक्षा पास की है और आगे भी अपने खेल और पढ़ाई को जारी रखना चाहती है, जिसके लिए उसे सरकार से मदद की दरकार है। फिलहाल परिवार की बदहाली ने उसे दर्जी का काम करके जीवन यापन करने के लिए मजबूर कर दिया है।
पूर्व सैनिक ने सरकार पर लगाया खिलाडिय़ों की उपेक्षा का आरोप-
समाजसेवी व भूतपूर्व सैनिक संतोष साहू ने सरकार पर खिलाडिय़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए खेल प्रतिभा को न्याय दिलाने गुजारिश की है।  साथ ही रश्मि को उचित प्रशिक्षण दिलाने की बात कही, जिससे यह अपने खेल के दम पर प्रदेश और देश का नाम आगे बढ़ा सके।

बगल में बॉक्स लगाएं-
फोटो सहित-
दिल्ली में दम दिखाएगी रज्जाक की शागिर्द आरती
21 जून को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इसमें भाग लेने बिलासपुर के तिफरा क्षेत्र की आरती सप्रे का चयन हुआ है। जो वहां अपने योग के करतब दिखाएगी।  इन्हें सिखाने वाले मुस्लिम योग प्रशिक्षक मिर्जा रज्जाक बेग भी बच्चों को कौमी एकता का पाठ पढ़ाते हैं।
संस्कृत के श£ोक भी पढ़ाते हैं ज़नाब मिर्जा-
 मिर्जा रज्जाक बेग योग में जहां अलग-अलग आसन की जानकारी देकर बच्चों को तैयार करते हैं, वही संस्कृत के श्लोकों से भी बच्चों को रूबरू कराते हैं और योग के साथ-साथ श्लोक और मंत्रों का उच्चारण भी कराते हैं।  वह बच्चों को इस तरह तैयार करते हैं कि वो राज्य स्तर पर तो अपना नाम रौशन कर ही चुके हैं।
स्वर्ण पदक भी जीत चुकी है आरती-
साथ ही ओपन टूर्नामेंट में भी इनकी एक छात्रा आरती सप्रे ने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है, और अब वह छात्रा 21 जून को दिल्ली में अपने योग के जौहर दिखाने के लिए जाने वाली है। इसको भी कोई सरकारी मदद नहीं मिली है।
वर्जन-
उसको परिजनों के साथ मेरे पास भेज दीजिए, मुझसे जो भी सहायता हो सकेगी जरूर करूंगा।
अनिल रॉय
सचिव
खेल विभाग
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उडऩ परी की खुशियां रह गईं धरी की धरी
कपड़े सिलकर परिवार का पाल रही है पेट, अधिकारी नहीं करने आते भेंट
एंट्रो-
मुंगेली प्रदेश का एक ऐसा है जिला है जहां कलेक्टर, एसपी और डीएफओ सहित सभी प्रमुख पदों पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि के पदों पर महिलाएं ही पदस्थ हैं। भ्रष्ट अफसरशाही का इससे निकृष्टतम नमूना और क्या हो सकता है कि यहां बेटियों के साथ ही तमाम तरह के भेदभाव किए जा रहे हैं। आलम ये है कि राज्य की उडऩ परी रश्मि कैवर्त की खुशियां धरी की धरी। जो कभी ट्रैक पर फर्राटे भरा करती थी आज परिवार का पेट पालने के लिए कपड़े की सिलाई कर रही है। ऐसे में सवाल तो यही कि क्या ऐसे ही पढ़ेगी और आगे बढ़ेगी बेटी?

मुंगेली। कभी छत्तीसगढ़ की उडऩ परी कही जाने वाली धावक रश्मि कैवर्त आज सरकार की उपेक्षा के चलते गुमनामी और बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है।  अब इस मजबूरी ने इस खेल प्रतिभा के पैरों में जंजीर बांधकर इसकी उड़ान को ही रोक दिया है।
कौन है रश्मि-
लोरमी इलाके के छोटे से गांव ढिंढोल की लाडली बेटी और एथलेक्टिक्स खिलाड़ी रश्मि कैवर्त ने अपने खेल से पूरे मुंगेली जिले के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन किया।  सात बहनों में बड़ी रश्मि के माता-पिता मजदूरी करते हैं और उसी मजदूरी से इस बच्ची को पढ़ाया और आगे बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किया। 
कहां-कहां बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान-
वहीं रश्मि ने भी सबका मान रखा और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित कई राज्यों में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया और प्रथम स्थान भी दिलाया। पढ़ाई में बेहद होनहार इस बच्ची ने इस साल 12वीं की परीक्षा पास की है और आगे भी अपने खेल और पढ़ाई को जारी रखना चाहती है, जिसके लिए उसे सरकार से मदद की दरकार है। फिलहाल परिवार की बदहाली ने उसे दर्जी का काम करके जीवन यापन करने के लिए मजबूर कर दिया है।
पूर्व सैनिक ने सरकार पर लगाया खिलाडिय़ों की उपेक्षा का आरोप-
समाजसेवी व भूतपूर्व सैनिक संतोष साहू ने सरकार पर खिलाडिय़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए खेल प्रतिभा को न्याय दिलाने गुजारिश की है।  साथ ही रश्मि को उचित प्रशिक्षण दिलाने की बात कही, जिससे यह अपने खेल के दम पर प्रदेश और देश का नाम आगे बढ़ा सके।

बगल में बॉक्स लगाएं-
फोटो सहित-
दिल्ली में दम दिखाएगी रज्जाक की शागिर्द आरती
21 जून को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इसमें भाग लेने बिलासपुर के तिफरा क्षेत्र की आरती सप्रे का चयन हुआ है। जो वहां अपने योग के करतब दिखाएगी।  इन्हें सिखाने वाले मुस्लिम योग प्रशिक्षक मिर्जा रज्जाक बेग भी बच्चों को कौमी एकता का पाठ पढ़ाते हैं।
संस्कृत के श£ोक भी पढ़ाते हैं ज़नाब मिर्जा-
 मिर्जा रज्जाक बेग योग में जहां अलग-अलग आसन की जानकारी देकर बच्चों को तैयार करते हैं, वही संस्कृत के श्लोकों से भी बच्चों को रूबरू कराते हैं और योग के साथ-साथ श्लोक और मंत्रों का उच्चारण भी कराते हैं।  वह बच्चों को इस तरह तैयार करते हैं कि वो राज्य स्तर पर तो अपना नाम रौशन कर ही चुके हैं। 
स्वर्ण पदक भी जीत चुकी है आरती-
साथ ही ओपन टूर्नामेंट में भी इनकी एक छात्रा आरती सप्रे ने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है, और अब वह छात्रा 21 जून को दिल्ली में अपने योग के जौहर दिखाने के लिए जाने वाली है। इसको भी कोई सरकारी मदद नहीं मिली है।
वर्जन-
उसको परिजनों के साथ मेरे पास भेज दीजिए, मुझसे जो भी सहायता हो सकेगी जरूर करूंगा।
अनिल रॉय
सचिव
खेल विभाग
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