बिल्डर उड़ा रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां




एक जनाब धड़ल्ले से पाट रहे हैं नरैया तालाब और प्रशासन बना दु:शासन

सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि तालाबों को उनके मौलिक रूप में ही रखा जाए। तो वहीं नगर निगम की नाक के नीचे मेन रोड़ के किनारे राजधानी का एक रसूखदार बिल्डर नरैया तालाब के सामने वाले हिस्से को पाट रहा है। तो वहीं इस मामले को लेकर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं दिखाई देता। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि आखिर राजधानी के बिल्डर्स सरेआम सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धाज्जियां उड़ा रहे हैं और प्रशासन तमाशबीन बना बैठा है?
तालाबों का श्मशान बना रायपुर, कभी 181 तालाब थे अब बचे हैं महज 12
रायपुर । नगर निगम की नाक के नीचे ह्वाइट हाउस से बामुश्किलन 8 सौ मीटर की दूरी पर नरैया तालाब के ठीक सामने का हिस्सा सरेआम एक बिल्डर पाट रहा है। इस पर नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ये रसूखदार बिल्डर शासन -प्रशासन पर भी भारी है? अगर नहीं तो फिर कोई कुछ बोलता क्यों नहीं?
 सुंदर लगता था बीच से गुजरना-
नरैया तालाब और उसके ठीक बगल वाले इस तालाब के बीच से होकर धमतरी रोड जाती है। उससे गुजरने का मजा ये था कि दूसरी ओर जैसे ही निगाह जाती थी तालाब में खिले कमल के सुंदर फूल लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे। अब वहां आलम ये है कि दुर्गंध युक्त कचरे पर बैठी गाएं और कुत्तों के झुंड़ नजर आते हैं।
सौ फीट से ज्यादा पाट चुका है बिल्डर-
इस तालाब को नगर के ही एक बिल्डर ने सौ फीट से ज्यादा दूर तक पाट दिया है। यहां पर कचरा डाला जा रहा है और उसका समतलीकरण भी नगर निगम के बुलडोजर करते हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ये सब नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते हो रहा है? आखिर इस मामले पर कोई कुछ बोलता क्यों नहीं?
तालाबों का श्मशान बना रायपुर-
कोई 181 तालाबों की मौजूदगी वाले शहर में अब बमुश्किल एक दर्जन तालाब बचे हैं और वे भी हांफ रहे हैं अपना अस्तित्व बचाने के लिए। वैसे यहां भी सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुकी है कि तालाबों को उनका समृद्ध अतीत लौटाया जाए, लेकिन लगता है कि वे गुमनामी की उन गलियों में खो चुके हैं जहां से लौटना नामुमकिन होता है।
क्या है यहां की जमीन में खासियत-
वैसे रायपुर में तालाबों को खुदवाना बेहद गंभीर भूवैज्ञानिक तथ्य की देन है। यहां के कुछ इलाकों में भूमि में दस मीटर गहराई पर लाल-पीली मिट्टी की अनुठी परत है जो पानी को रोकने के लिए प्लास्टिक परत की तरह काम करती है। पुरानी बस्ती, आमापारा, समता कालोनी इलाकों में 10 मीटर गहराई तक मुरम या लेटोविट, इसके नीचे 10 से 15 मीटर में छुई माटी या शेलएलो और इसके 100 मीटर गहराई तक चूना या लाईम स्टोन है। तभी जहां तालाब हैं वहां कभी कुएं सफल नहीं हुए।

यह जाना-माना तथ्य है कि रायपुर में जितनी अधिकतम बारिश होती है उसे मौजूद तालाबों की महज एक मीटर गहराई में रोका जा सकता था। जीई रोड पर समानांतर तालाबों की एक शृंखला है जिसकी खासियत है कि निचले हिस्से में बहने वाले पानी को यू-शेप का तालाब बना कर रोका गया है। ब्लॉक सिस्टम के तहत हांडी तालाब, कारी, धोबनी, घोडारी, आमा तालाब, रामकुंड, कर्बला और चौबे कालोनी के तालाब जुड़े हुए हैं।
1402 में बना था बूढ़ा तालाब-
कभी बूढ़ा तालाब शहर का बड़ा-बूढ़ा हुआ करता था। कहते हैं कि सन् 1402 के आसपास राजा ब्रहृदेव ने रायपुर शहर की स्थापना की थी और तभी यह ताल बना। वैसे इसे लेकर भी पूरे देश की तरह बंजारों व मछुआरों की कहानियां मशहूर हैं। सनद रहे बूढ़ा तालाब पहले इस तरह अन्य तालाबों से जुड़ा था कि इसमें पानी लबालब होते ही महाराजबंध तालाब में पानी जाने लगता था और उसके आगे अन्य किसी में।
पृथ्वीराज कपूर आए थे रायपुर-
इन तालाब-शृंखलाओं के कारण न तो रायपुर कभी प्यासा रहता और न ही तालाब की सिंचाई, मछली, सिंघाड़ा आदि के चलते भूखा। कहते हैं कि इस तालाब के किनारे से कोलकाता-मुंबई और जगन्नाथ पुरी जाने के रास्ते निकलते थे। बताते हैं कि एक बार पृथ्वीराज कपूर रायपुर आए थे तो वे बूढ़ा तालाब को देख कर मंत्र-मुग्ध हो गए थे। वे जितने दिन भी यहां रहे, हर रोज यहां नहाने आते थे। लेकिन आज यह जाहिर तौर पर कूड़ा फेंकने व गंदगी उड़ेलने की जगह बन गया है।
घट गया बूढ़ा तालाब का रकबा-
वैसे आज इसका नाम विवेकानंद सरोवर हो गया, क्योंकि इसके बीचों बीच विवेकानंद की एक प्रतिमा स्थापित की गई है, लेकिन यहां जानना जरूरी है कि बूढ़ा से विवेकानंद सरोवर बनने की प्रक्रिया में इसका क्षेत्रफल 150 एकड़ से घट कर 60 एकड़ हो गया। बताते हैं कि जब स्वामी विवेकानंद 14 साल के थे तो रासपुर आए थे व वे तैर कर तालाब के बीच में बने टापू तक जाते थे। जलकुंभी से पटे तालाब के बड़े हिस्से पर लोग कब्जा कर चुके हैं, जो बचा है वहां जलकुभी का साम्राज्य है। यही कहानी दीगर तालाबों की है- दलदल, बदबू, सूखा और कचरा।
वर्जन-
निश्चित तौर पर अगर गलत करवा रहे हैं तो उसको तत्काल रोका जाएगा।
बृजमोहन अग्रवाल
जल संसाधन एवं कृषि मंत्री
छत्तीसगढ़ शासन-
मैं एक हफ्ते पहले नरैया तालाब गया था मगर वहां पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। मैं एक बार फिर से पता लगवाता हूं।
राजेश बंसल
आयुक्त नगर पालिक निगम
रायपुर।



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