बेटियों के नाम पर सरकारी बकवास


वतन की रेत मुझे एडिय़ां रगडऩे दे, मुझे य$कीं है कि पानी यहीं से निकलेगा।


छत्तीसगढ़ वास्तव में प्रतिभाओं से भरा पड़ा है। यहां हर गली-मोहल्ले में ऐसी -ऐसी प्रतिभाएं मिलेंगी कि आदमी को गर्व होगा। ऐसी ही एक बालिका है मुंगेली की रश्मि कैवर्त, जिसको कभी छत्तीसगढ़ की उडऩ परी कहा जाता था। जब ये बालिका ट्रैक पर पूरे जोश से उड़ान भरती थी तो राज्य के साथ ही साथ देश के भी लोगों की छाती गर्व से चौड़ी हो जाया करती थी। अफसोस इस बात का है कि उसी बेटी को आज अपनी जीविका चलाने के लिए कपड़ों की सिलाई करनी पड़ रही है। शासन -प्रशासन के बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ का नारा। यहां दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। उससे भी शर्मनाक बात तो ये कि मुंगेली में तमाम बड़े सरकारी पदों पर महिला अफसर ही आपको मिलेंगी। ऐसे में एक बेटी के साथ इस तरह की प्रशासनिक लापरवाही प्रशासन की दोगली नीतियों का परिचायक है। ऐसा शासन और प्रशासन किसी भी दशा में रहम का ह$कदार नहीं है। सरकारी खजाने पर बैठकर जनता के पैसों की जुगाली करने वाले ये अधिकारी किसी भी दशा में माफी के लायक नहीं हैं। जनता को इनसे इनके कृत्यों का हिसाब मांगना चाहिए। रश्मि जैसी खुद्दार बेटियों पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। जो किसी के सामने हाथ फैलाने से पहले ही सिलाई करके परिवार का भरण-पोषण करने को बेहतर समझा।
राज्य की भ्रष्ट अफसरशाही के निकृष्टतम प्रदर्शन का इससे बदतर नमूना और क्या हो सकता है? जहां नारे और योजनाएं तो बड़ी-बड़ी बनाई जाती हैं, मगर काम रत्ती भर का नहीं होता।
सरकार को चाहिए कि वो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करे। जो वातानुकूलित कमरों में बैठकर मोटी तनख्वाह बिना किसी काम के डकारे जा रहे हंै। जिनके निकम्मेपन की वजह से न जाने कितनी ही जिंदगियां नर्क बनती जा रही हैं। ऐसे लोगों पर अपराधिक धाराओं के तहत न सिर्फ कार्रवाई होनी चाहिए बल्कि उनके द्वारा लिए गए वेतन की वसूली भी इनसे बाकादा होनी चाहिए, ताकि कोई दूसरा ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।

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