भारतीय योग खदेड़ेगा रोग

कटाक्ष-


निखट्टू
अभी-अभी नींद टूटी थी और राम का नाम भी नहीं ले पाया था कि अचानक बेड़ के नीचे से फों...फों... फों....फों की अवाजें सुनकर कलेजा मुंह को आ गया। मैं ये सोचकर डर गया कि कमरे में कोई गुस्साया नाग आ धमका है। अब आज तो गए काम से। थोड़ी सी हिम्मत करके नीचे की ओर नज़र डाली तो देखा हमारी श्रीमती जी आंखें बंद किए -किए कपालभांति कर रही थीं। कसम से खोपड़ी के सारे  तार ढोल की रस्सी की तरह तन गए। खैर मैं धैर्य धारण करते हुए चुपचाप बैठ गया और उनके क्रिया कलापों पर नज़र डालने लगा। बड़ी देर तक ऊं का जाप करने के बाद उन्होंने आंखें खोली। अब तक कुल पौन घंटे बीत चुके थे। मैंने पूंछा क्या कर रही हो? जवाब मिला योग कर रहे थे। बाबा रामदेव ने बताया है कि बड़े फायदे का है ये योग, बस कायदे से किया करो। अब मुझे पता चल गया कि किसके कितने फायदे का है ये योग। अभी छह महीने पहले की ही तो बात है। एक भाईसाहब उनके एक-एक हजार रुपए के टिकटों वाले प्रोग्राम में गए। उनके सिर के बाल झड़ रहे थे। बाबा ने बताया कि हाथों के नाखूनों को आपस में खूब रगड़ा करो गंजे सिर पर बाल आ जाएंगे। उन्होंने उपाय शुरू किया तो फायदा ये हुआ कि उनके नाखून तो सब के सब गिर गए और पड़ोस वाली भाभी जी को मूंछें निकल आईं। इस यौगिक दुर्घटना के बाद से मैं इतना डरा के आज तक कौन कहे अनुलोम विलोम को मैंने भ्रस्तिका तक को नाक नहीं लगाया। वैसे भी अपन ठाकुर हैं अपनी नाक ऐसे थोड़े ही कटने देंगे?
अब इतने दिनों से श्रीमती जी योग पर योग किए जा रही हैं। सैकड़ों लौकियों और हजारों करैलों का जूस चूस चुकी हैं। अपनी जेब का हिसाब कल बता दूंगा कि कितने का झटका उसको लगा है। मगर रोग कमबख्त तो घर में डेरा डंडा गाड़ कर बैठ गया है। अब मुझ जैसे मंदबुध्दि आदमीं की समझ में एक बात तो नहीं आती कि आखिर इस योग से रोग कैसे भाग सकता है? अब बाबा को ही देख लो रोग भगाने के चक्कर में कहां-कहां खुद भागते फिर रहे हैं। कभी ईरान तो कभी तेहरान और कभी अमेरिका। अब बाबा को और ज्यादा दौड़ाने से पहले मुझे ही घर निकलना होगा क्योंकि श्रीमती जी के कॉल आ रहे हैं कि जल्दी आओ नहीं तो सब्जी वाला चला जाएगा। तो फिर कल आपसे फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

 

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