फॉयर ब्रिगेड के चालकों का वेतन खा रहे चालाक




 अग्रिशमन दस्ते के चालकों की कमाई चालाक बड़े आराम से खा रहे हैं। यहां 15 चालकों को ठेके पर देकर निगम ने इनके साथ बड़ा अन्याय किया है। ठेकेदार एक ओर निगम से रकम तो पूरी ले रहा है मगर चालकों को बतौर वेतन 74 सौ रुपए मासिक भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में सवाल तो यही है कि इसी वेतन पर निगम इनको एडहॉक पर भी तो रख सकता था।

रायपुर। फॉयर ब्रिगेड में कुल 16 फॉयर फाइटिंग व्हीकल हैं। इनमें 5 करोड की लागत वाली हाइड्रोलिक लिफ्ट प्लेटफॉर्म व्हीकल भी है। इस वाहन को चलाने वाले चालक की तन्ख्वाह 7.4 हजार रुपए महीना है। चालकों का मासिक वेतन-
चालकों के ठेकेदार कमल सोनी ने बताया कि उनके ठेके में कुल 15 चालक हैं। इनको हर महीने 7.4 हजार वेतन दिया जा रहा है।

18 लाख वार्षिक का है ठेका-
कमल सोनी ने बताया कि उन्होंने ये टेंडर 18 लाख में लिया है। ऐसे में लगभग हर चालक के पीछे दस हजार रुपए आते हैं, लेकिन हर चालक के पीछे ठेकेदार को 26 सौ रुपए की हर माह बचत होती है। इस हिसाब से साल में कुल 5 लाख की कमाई ठेकेदार को होती है।
जोखिम की जिम्मेदारी फॉयर ब्रिगेड की-
श्री सोनी ने बताया कि इन चालकों के साथ हुए किसी भी जोखिम की जिम्मेदारी फॉयर ब्रिगेड की होगी। तो वहीं फिर उन्होंने अपनी ही बात को खारिज़ कर दिया। इसके बाद उन्होंने बताया कि हम इसके लिए चालकों का ग्रुप इंश्योरेंस करवाने जा रहे हैं। इनके नॉम्री अगर दुर्घटना के बाद फॉयर ब्रिगेड पर क्लेम करेंगे तो वो क्लेम हमको इंश्योरेंस कंपनी से मिल जाएगा।
प्रॉविडेंट फंड काटने की तैयारी-
नए नियम के तहत अगर किसी श्रमिक का वेतन 65 सौ के आसपास है तो उसका पीएफ नहीं काटा जाएगा। उससे ऊपर होने पर इसको भी काटने का प्रावधान है। ऐसे में अब इन कर्मचारियों का प्रॉविडेंट फंड काटने की भी तैयारी चल रही है। अब इनके हाथों में और भी कम पैसे आएंगे, हालांकि कमल सोनी ने ये भी बात साफ कर दी है कि वे ऐसा अगली निविदा के तहत ही करेंगे।
कैसे चलेगी चालकों की गृहस्थी-
7.4 हजार रुपए वेतन में तो ठीक से चल नहीं पा रही है, तो ऐसे में अब अगर पीएफ भी काट लिया जाएगा तो इन चालकों की गृहस्थी कैसे चलेगी? ये कहना है चालक पूर्णानंद का। इनकी हां में हां मिलाते हुए  नफीज अहमद, वीरेंद्र सिंह,शंकर चेटिया, दीपक पुरोहित, शकील, ईश्वर राय और गोकुल ठाकुर ने बताया कि इससे उनकी गृहस्थी चलाने में काफी परेशानी होगी।
कितने घंटे की ड्यूटी-
यहां के चालकों ने हमारी सरकार को बताया कि उनकी ड्यूटी का प्रावधान तो वैसे आठ घंटे का है, मगर काम इनसे दस घंटे तक लिया जाता है। तो वहीं छुट्टियों के दिन भी उनको काम पर बुलवा लिया जाता है।
अग्रिशमन दस्ता की हालत खस्ता-
आलम ये है कि अग्रिशमन दस्ता की हालत ही खस्ता बताई जा रही है। एक ओर तो अधिकारी संसाधनों की भरमार होने का दावा कर रहे हैं तो वहीं ठेके के कर्मचारियों का कहना है कि उनको कुछ भी नहीं दिया जा रहा है। सिविल ड्रेस में जाकर वे आग बुझाते हैं। न तो उनको लांग बूट, दस्ताने, ड्रेस और रेन कोट जैसे जरूरी सामान तक नहीं दिए जाते हैं।
क्या कहते हंै अधिकारी-
फॉयर बिग्रेड के अधीक्षक मोइनुद्दीन अशरफी का कहना है कि उनके पास कुल 40 जवान, 20 चालक, 16 फॉयर फाइटिंग सूट, 30 स्वीमिंग सूट और 16 वाहन और एक त्वरित सेवा वाहन बुलेट शामिल है। इन्होंने विभाग के पास 5 हजार फीट पाइप भी होने का दावा किया है।
बरगला रहे हैं अधीक्षक-
विभाग के अंदरूनी जानकारों का दावा है कि अधीक्षक ज़नाब अशरफी बरगला रहे हैं। इतनी बड़ी मात्रा के सामान इनके पास नहीं है।
दिखाने के लिए 5 करोड़ का वाहन-
सूत्रों का दावा है कि यहां जो 5 करोड़ का वाहन है वह महज दिखाने के काम आ रहा है। आज तक उसने एक भी अभियान में हिस्सा नहीं लिया है। अलबत्ता एक बार इस पर चढ़कर महापौर ने जरूर देखा था।
त्वरित सेवा वाहन बुलेट भी रहती है खड़ी-
क्विक रिस्पांस व्हीकल बुलेट भी बस यदाकदा ही निकलती है। बाकी समय खड़ी रहती है।
पाइप सुखाने की भी जगह नहीं-
अग्रिशमन दस्ते के पास 5 हजार फीट पाइप सुखाने की भी व्यवस्था नहीं है। यहां दफ्तर के सामने ही जमीन पर पाइप सुखाई जाती है।
वर्जन-
ैमैं अभी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में हूं। अभी आपसे बात नहीं कर सकता।मैं बाद में फोन करूंगा।
बद्रीलाल चंद्राकर
सीईओ
अग्रि शमन विभाग







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