विज्ञान और दूसरे भगवान


खुली छतों के दिए कब के बुझ गए होते, कोई तो है जो हवाओं के पर $कतरता है।


किन्नर का नाम लेते ही जेहन में यकायक एक उस आदमी की तस्वीर उभर कर सामने आती है, जो ढोलक की थाप पर नृत्य करते हैं। कहीं लोगों के सिर पर हाथ रखकर उनके सुखी रहने की दुआएं देते हैं। कहीं-कहीं शादी ब्याह में बैंड के सामने नाच कर लोगों का मनोरंजन करते दिखाई देते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा से समाज से अलग रखा जाता है। अब ऐसे में इन लोगों ने अपना अलग समाज बना लिया। समय के साथ-साथ जागरूकता बढ़ी तो सरकार ने उनको तीसरे लिंग यानि थर्ड जेंडर  का दर्जा दे दिया।
चेन्नई और पुडूचेरी में इनको -इनके हार्मोंस के आधार पर स्त्री या फिर पुरुष बनाया जा रहा है। ठीक उसी तर्ज पर प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में भी इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यहां भी प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से इनको -इनके शरीर में मौजूद हार्मोंस के आधार पर इनका लिंग परिवर्तन किया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यदि ये काम शुरू होता है तो इससे राज्य के कुल दस हजार से ज्यादा थर्ड जेंडर्स को नया जीवन दान मिलेगा। ये पुरुष और स्त्री के रूप में हमारे समाज का हिस्सा बन सकेंगे।
हमारे समाज में डॉक्टर्स को दूसरा भगवान कहा जाता है। ऐसे कार्य करके मेकाहारा के ये डॉक्टर्स नि:संदेह लोगों के मन में अपनी उसी आस्था को पुनसर््थापित कर सकेंगे। इससे एक ओर जहां समाज का विघटन रुकेगा तो वहीं नाच-गाकर लोगों का मनोरंजन करने और तिरस्कार झेलने वालों को प्रकृति के अत्याचार से निजात मिलेगी।

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