गरल से ज्यादा खतरनाक है वॉयरल

कटाक्ष-

निखट्टू
वो चाहे वर हो या फीवर अच्छा तभी तक लगता है जब तक वो अपने मूल रूप में यानि की वर - वर और फीवर- फीवर ही रहे। अगर यही वर कुछ वॉयरल करने लगे तो वो किसी के लिए गरल यानि विष बन जाता है। मुझे अच्छी तरह याद है पश्चिम बंगाल के हुगली जिले को कोन्नगर की उस युवती की कहानी, जिसके एक मित्र ने उसकी फोटो को अश£ील प्रस्तावों के साथ नेट पर वॉयरल किया था। आलम ये हुआ कि उसकी नौकरी तो छूटी ही, नेट के नालायक उसके घर तक आने लग गए। इसी डिप्रेशन में वो युवती तीन बार जहर भी खा चुकी थी। संयोग से बच गई। इसके बाद खबर लगी तो उसको संबल दिया गया। इसके बाद उसमें हिम्मत आई। उसने थाने में कम्प्लेन लिखवाई। थानेदार पर कार्रवाई का दबाव बनाया गया, मगर अफसोस उस वक्त साइबर एक्ट बना ही नहीं था। ऐसे में पुलिस भी आरोपियों पर हाथ नहीं डाल पा रही थी। ऐसे एक नहीं तमाम मामले सामने आते रहे। एक डॉक्टर दंपत्ति ने अपने निजी पलों को अपने ही मोबाइल से रिकार्ड क्या कर लिया। वही उनकी मौत का कारण बन गया। तो ये वॉयरल वास्तव में बहुत सारी जिंदगियों में गरल घोल रहा है। ऐसे में कोशिश ये होनी चाहिए कि किसी ऐसे मामले को अगर बचाया जा सके तो वो कोशिश इंसान को जरूर करनी चाहिए। आखिर हम इंसान हैं और हममें भी इंसानियत जिंदा है। अब डर तो इस बात का भी लग रहा है कि आप भी कहीं ये बात वॉयरल न कर दें कि निखट्टू आज कल उपदेश देना शुरू कर दिए हैं। इससे पहले कि आप ये वॉयरल करें हम भी अपने घर का रास्ता लेते हैं। कल आपसे फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

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