सुराज बनाम माफिया राज



जिस को ख़ुश रहने के सामान मयस्सर सब हों,उस को ख़ुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं।


जहां की धरती अमीर होती है वहां के लोग गरीब होते हैं। इसके पीछे सीधा से एक कारण होता है माफियाओं का राज। मामला चाहे उत्तराखंड का हो या फिर मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड अथवा छत्तीसगढ़ का , सब जगह तस्वीर एक जैसी ही है। यहां खनिज माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। धड़ल्ले से नदियों का सीना चाक किया जा  रहा है। गंगा-यमुना से लेकर शिवनाथ नदी तक का एक ही हाल है। इधर नदियों का सीना तो उधर सरकार का खजाना दोनों तेजी से खाली हो रहे हैं। प्रशासन अथवा अधिकारी जब भी इनके काम में रोड़ अटकाने की कोशिश किए हैं परिणाम भयंकर ही हुए हैं। इन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि कुछ दिनों पहले ही मध्य प्रदेश में एक खनन माफिया ने एक खनिज अधिकारी को नदी में डुबो-डुबोकर मारा था। उसका वीडियो भी वॉयरल हुआ मगर कार्रवाई के नाम पर वही ढाक के तीन पात वाली बात चरितार्थ हुई। उत्तर प्रदेश की बहादुर बेटी दुर्गा नागपाल का ही उदाहरण ले लीजिए। क्या हुआ कार्रवाई के नाम पर? मामला खनन माफियाओं से ही जुड़ा था। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में भी रेत माफियाओं के हौसले उतने ही बुलंद हैं जितना की यूपी, मध्य प्रदेश और बिहार में बुलंद हैं। तभी तो मुख्यमंत्री की कर्मभूमि में मूंछें ऐंठ कर खोद रहे हैं रेत और प्रशासन नहीं रहा है चेत।
तो उधर इसके पीछे खनिज और पर्यावरण विभागों के अधिकारियों की आपसी खींचतान भी खनन माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। अब वो नहीं करेंगे तो हम क्यों करें की तर्ज पर सारे मामले का कचरा हुआ जा रहा है। महज थोड़े से अर्थ लाभ के लिए अधिकारी सरकारी नियम कायदे तक से खेलने में कोई परहेज नहीं कर रहे हैं।
जब मुख्यमंत्री की कर्मस्थली का ये हाल है तो बाकी राज्य का क्या हश्र होगा? अधिकारियों की आपसी खींचतान की सारी मलाई रेत खनन माफियाओं की झोली में जा रही है। इसीलिए उनकी पूरी टोली नदियों में डेरा डाले पड़ी है जहां पोकलेन और जेसीबी की मदद से चौबीसों घंटे अवैध खुदाई की जा रही है और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
खनिज और पर्यावरण विभाग अगर वास्तव में अपने -अपने कामों को लेकर गंभीर हैं। तो उनको चाहिए कि वो तत्काल इस मामले पर कार्रवाई करें और सरकारी पैसों को खनिज माफियाओं की जेब में जाने से रोकें। इससे एक ओर जहां जनता के मन में ऐसे मर चुके विभागों के प्रति आस्था जन्मेगी वहीं राज्य का खजाना भी समृध्द होगा।

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