सुबह-सुबह एक ठाकुर साहब ने पौध रोपण किया। दोपहर में उस पौधे को एक बकरा खा गया। शाम को ठाकुर साहब बकरा खा गए, हिसाब बराबर!


Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव