हे...भगवान..चौथी बार हुआ देश के सबसे ऊंचे तिरंगे का अपमान






भ्रष्ट अफसरशाही के मिशन कमीशन का सबसे जीवंत नमूना रायपुर नगर निगम में देखने को मिल रहा है। जहां के अधिकारियों ने देश के सबसे ऊंचे तिरंगे को भी नहीं बख्शा। आलम ये है कि एक महीने के चौथी बार देश के सबसे ऊंचे तिरंगे का अपमान हुआ है। मामूली हवा के झोंके में ही फट रहा है एक लाख का तिरंगा और चौथी बार उसका पोल हुआ नंगा। सवाल तो यही है कि जिंदल काम्प्लेक्स में लगा ऊंचा तिरंगा आखिर क्यों नहीं फटता? इस सवाल पर योजना प्रभारी कुछ भी बोलने में हकला रहे हैं।
सवाल तो यही है कि आखिर क्यों नहीं फटता जिंदल का तिरंगा
रायपुर। छत्तीसगढ़ के तेलीबांधा स्थित देश का सबसे ऊंचा तिरंगा एक बार फिर फट गया है। प्री मानसून की पहली बारिश और तेज हवा का कहर तिंरगा झंडा नहीं सह पाया और एक महीने के भीतर चौथी बार तिरंगा फट गया। या ये कहा जाए कि तिरंगे का लगातार अपमान हो रहा है, जबकि जब तिरंगे को लगाया गया था तब नगर निगम ने दावा किया था कि तिरंगे को हवा पानी से कुछ नहीं होगा। अब तो यही माना जा रहा था कि एक करोड़ रुपए जब खर्च हो रहे हैं तो निश्चित ही देश की शान हवा, पानी में शान से लहराएगा लेकिन लगातार तिरंगे के फटने से नगर निगम द्वारा भ्रष्टाचार की बू आ रही है। आखिर जब करोड़ रुपए खर्च कर तिरंगा उच्च गुणवत्ता के मापदंड पर बनाया गया था तो आखिर तिरंगा क्यों बार-बार फट रहा है?
क्या कहते हैं योजना प्रभारी-
नगर निगम में सबसे ऊंचे तिरंगे की योजना प्रभारी राजेश शर्मा अपनी गलती मानने तक को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पहले तो ये दावा किया कि तेज हवाएं चल रही हैं ऐसे में तिरंगा फट सकता है। जब कि निगम की विज्ञप्ति में साफ तौर पर ये दावा किया गया था कि ये विशेष तरह के पॉलिस्टर से बुना गया होगा, ये आंधी -तूफान में भी शान से लहराता रहेगा।
अधूरा जवाब देकर काटा फोन-
राजेश शर्मा से जब ये पूछा गया कि जिंदल ने भी तो तिरंगा लगवाया है वो कितनी बार फटा? सवाल सुनते ही उन्होंने तत्काल फोन काट दिया और उसके बाद कई बार ट्राई करने पर भी फोन नहीं उठाया। इससे एक बात तो साफ है कि अकंठ भ्रष्टाचार में डूबे नगर निगम के अधिकारियों ने देश के सबसे ऊंचे तिरंगे को भी नहीं बख्शा।
निगम में मची है लूट: गोवर्धन
सबसे ऊंचे तिरंगे के चौथी बार फट जाने से आहत वार्ड 64 के पार्षद गोवर्धन शर्मा ने अपनी बेबाक टिप्पणी हमारी सरकार को दी। उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कमीशन के चक्कर में देश की शान के साथ बार-बार इस तरह का मजाक किया जा रहा है, जो जिम्मेदार अधिकारियों के निकम्मेपन को दर्शाता है। यहां काम से ज्यादा ध्यान कमीशन पर होता है। अधिकारियों ने निगम को अपनी जागीर समझ रखा है। ऐसी शर्मनाक घटनाओं को जनता अब और बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। आखिर एक लाख रुपए के झंडे की गुणवत्ता क्यों नहीं जांची- परखी गई? जिम्मेदार अधिकारियों ने खरीदी के वक्त इसकी पूरी पड़ताल क्यों नहीं की? इसके लिए जो भी जिम्मेदार अधिकारी हों उन पर विधिक धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। हमारा संविधान किसी को भी हमारे राष्ट्रीय ध्वज विशेष कर सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना करने की छूट नहीं देता। एक बात और स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश और कानून से बढ़कर कोई नहीं हो सकता है।

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