गंगा को कर दिया गंदा

कटाक्ष-

निखट्टू-
ब्रह्मा के कमंडल से निकली और भगीरथ की तपस्या पर भारत भूमि पर उतरी गंगा के साथ अब सियासी तौर पर जो कमंडलाचार हो रहा है, वो हर किसी को कष्ट देता है। लगातार पतली होती धार असल में किस सियासत का शिकार हो रही है, इसको पूरा देश जानता है। दरअसल गंगा को किस कदर गंदा किया जा रहा है, ये किसी से भी छिपा नहीं है। इसके दोनों तटों पर बसने वाले शहरों के लिए ये किसी नाले का काम कर रही है। तो वहीं टेनरियों और कसाईखानों का खून तक इसमें बहाया जा रहा है। अब ऐसी गंगा को नमामि गंगे के तहत साफ करने की योजना बनाई जा रही है। ऐसे में देखना ये होगा कि गंगा की इससे कितनी सफाई हो पाती है। इससे पहले भी जो योजनाएं बनीं थीं उनमें गंगा की तो नहीं अलबत्ता सरकारी खजाने की सफाई भरपूर हुई। इसके प्रमाण भी समय-समय पर देखने को मिले। गाय और गंगा दोनों को इस सियासत ने नहीं बख्शा। शहर के सारे कचरे और गंदे जल का प्रवाह, कल कारखानों का प्रदूषित पानी ये सबकुछ तो गंगा में ही तो प्रवाहित हो रहा है? उस पर भी शासन के बड़े-बड़े अधिकारी फाइलों में कार्रवाइयों के घोड़ों को सरपट दौड़ाए जा रहे हैं। विदेशों से गंगा को साफ करने की तकनीक मांगी जा रही है। प्रधानमंत्री खुद जाकर गंगा के किनारे स्वच्छता का संदेश दिए और कचरा भी उठाया, मगर क्या वाराणसीवासियों ने इससे कोई सबक लिया? क्या वहां के लोगों में ये जागरूकता आई कि कचरे को कूड़ेदान में डाला जाए? जाहिर है कि नहीं। कई बार ऐसा देखा गया कि प्रधानमंत्री के लिए विशेषतौर पर कचरा मंगवाया गया उसको डलवाया गया और फिर प्रधानमंत्री आए और उसकी सफाई की। इस प्रायोजित कार्यक्रम को मीडिया ने जमकर दर्शकों के सामने परोसा। अब सवाल तो यही उठता है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत आज कितने सरकारी दफ्तर ऐसे हैं जिसमें सफाई होती है? इसका कड़वा सच ये है कि हम ही अपनी मां गंगा का आंचल गंदा कर रहे हैं, और हमीं चिल्ला रहे हैं कि हमारी मां का आंचल गंदा क्यों हो रहा है? ऐसे में सबसे ज्यादा अच्छा होगा कि हम एक जिम्मेदार बच्चे बने। एक जिम्मेदार नागरिक बनें और सफाई को अपनी आदतों में शुमार करें। शुरुआत खुद से होती है, तो लो भैया मैं भी सफाई करने की शपथ ले लेता हूं...अब आपकी बारी है। कोशिश ये हो कि गंगा क्या हम किसी भी तालाब या फिर किसी जलस्रोत को गंदा नहीं करेंगे। आप शपथ लीजिए और मैं भी अब निकलता हूं घर क्योंकि कई बार फोन आ चुका है, तो फिर कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

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