सातवें आसमान पर अधिकारी


इसीलिए तो नगर -नगर बदनाम हो गये मेरे आंसू, मैं उनका हो गया कि जिनका कोई पहरेदार नहीं था।


जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के बारे में कहावत मशहूर है कि वो मीडिया से बहुत डरता था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वो पत्रकारिता का सम्मान करता था। छत्तीसगढ़ के अफसर तो उससे भी चार हाथ आगे निकल गए। धमतरी जिले के नगरी इलाके के कुसुमभर्री और बटनहर्रा इलाके में दस आदिवासियों की झोपडिय़ों  को जलाने वाले वन विभाग के अधिकारी अब मीडिया कर्मियों को समाचार प्रकाशन न करने की नसीहत दे रहे हैं। गोया पूरा मीडिया उनका नौकर हो? प्रदेश में अफसरशाही इस कदर बेलगाम हो चुकी है कि इनको किसी का भी भय नहीं रह गया है। इनके मन में ये बात घर कर गई है कि नौकरी तो सरकारी है, जाने से रही। ऐसे में जितनी उगाही कर सकते हो करो। प्रदेश में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड टूटते नजर आ रहे हैं। क्या बड़ा क्या छोटा जो भी एसीबी की चपेट में आता है किसी का भी रिकार्ड पांच-दस लाख का नहीं करोड़ों तक पहुंचता है। वैसे भी वन विभाग में कितने ईमानदार भरे पड़े हैं ये शायद किसी से भी बताने की जरूरत नहीं है। मंत्री से लेकर संसदीय सचिव तक की जिम्मेदारी देखकर साफ समझ में आ रहा है कि पूरा का पूरा अमला ही नहीं मंत्री तक बिना काम के दाम वसूल रहे हैं। सरकारी खजाने पर कुंडली मारे बैठे इन लोगों की जिम्मेदारियों पर अब सवाल उठना लाजिमी है। सरकार ने अभी एक दिन पहले ही कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का तोहफा दिया। इससे इनके रुआब भी सातवें आसमान पर जा पहुंचे। अब अगर बिना काम इतना सारा दाम मिलने लगे तो फिर भला कौन ऐसा होगा जो काम करेगा?
बारनवापारा के चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट के मंत्रियों और भाजपा कार्यकर्ताओं को व्यवहार में परिवर्तन लाने की नसीहत दी थी। उसका कितना असर हुआ ये तो इस घटना ने साफ कर दिया। ऐसे में अब भाजपा के चौथे कार्यकाल पर सवाल उठना लाजि़मी है। भाजपा कार्यकर्ताओं और मंत्रियों का अगर यही हाल रहा तो प्रदेश में इस बार भाजपा की सरकार को जनता नमस्कार जरूर कर देगी इसमें कोई दो राय नहीं है।

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