पस्त पुलिस और ध्वस्त होती व्यवस्था


ज़ुर्म करना और इल्ज़ाम किसी पर धरना, ये नया नुस्खा है बीमार भी कर सकता है।




राज्य में बढ़ती वर्दी की गुण्डागर्दी से लोग एक ओर जहां हलाकान हो रहे हैं। तो वहीं हेलमेट के नाम पर चौक-चौराहों से लेकर राष्ट्रीय राजमार्गों तक पर पुलिस वाले उगाही करने में लगे हैं। इसका खामियाजा प्रदेश की आम जनता को भोगना पड़ रहा है। इन दिनों प्रदेश में अपराधियों की बाढ़ सी आ गई है। पुलिसिया कार्रवाई नहीं होने के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। इसमें सबसे मजेदार बात तो ये कि जो पुलिस वाले खुद मानकों पर फेल हैं, यानि न तो वे कायदे से निशाना लगा पाते हैं, और न ही अपराधियों को दौड़ाकर पकडऩे की कूबत रखते हैं। ऐसे लोग भी वर्दी का रुआब झाड़ कर हेलमेट नहीं लगाने वाले गरीबों को धमका कर वसूली करते नज़र आ रहे हैं। ये दीगर बात है कि सरकार ने उनकी इस अवैध वसूली को कार्रवाई का मुखौटा लगाकर जायज बता रही है।
यही नहीं अभी तो पुलिस के हाथ में उसने कार चालकों के बेल्ट चेक करने के नाम पर दूसरा बह्मास्त्र भी थमा दिया है। इस तरह से देखा जाए तो राज्य सरकार पुलिस के लिए दुधारू गाय साबित हो रही है। जिसकी जितनी मर्जी आती है उतना दुह ले रहा है।
आलम ये है कि पुलिस वाले के घर अगर मेहमान आ जाते हैं तो वो बाजार जाने से पहले सड़क पर तीन-चार दोपहिया चालकों के कॉलर पकड़ लेता है। बस निकल आया मेहमान नवाज़ी का खर्च। इनकी इसी मसरू$िफयत का फायदा अपराधियों को मिल रहा है। इसकी वजह से राजधानी में  अपराध का ग्रॉफ निरंतर ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है।
सरकार अगर असल में समाज से अपराध को कम करना चाहती है तो उसको इस लाठी टेक पुलिस को स्मॉर्ट बनाना होगा। इनको कायदे से प्रशिक्षण देना होगा और साथ ही साथ इनकी शारीरिक फिटनेस का भी ध्यान रखना होगा। इसके अलावा इनको नियमित अभ्यास करवाना होगा। रात को इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ानी होगी ताकि पुलिस की धमक कायम रहे।

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