सबसे ऊंचे तिरंगे की जांच के नाम पर नाच




-राजधानी के तेलीबांधा में नगर पालिक निगम द्वारा लगाए गए, सबसे ऊंचे तिरंगे की छह बार अवमानना होने के बाद, अब जाकर जांच कमेटी बनाने का दावा किया जा रहा है। तो वहीं इसकी जांच की जिम्मेदारी निगम के उसी विवादास्पद अधिकारी को सौंपी गई है, जिसने इस झंडे को लगवाने के लिए पूरी एमआईसी के सामने झूठा प्रस्तुतिकरण दिया था। उससे भी ज्यादा गंभीर बात तो ये है कि ये साहब झंडे के फट जाने, उड़ जाने और पोल को खाली रखने को झंडे की अवमानना ही नहीं मानते। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि तो फिर आखिर जांच किसकी करेंगे? और महापौर फिर इस जांच के नाम पर ऐसा नाच क्यों नचवा रहे हैं?



रविवार से खाली पड़ा पोल, झंडा हुआ गोल, जांच अधिकारी बोल रहे बड़े-बड़े बोल


सबसे ऊंचे झंडे के पोल से झंडा आजकल गोल रहने लगा है। छह बार उस पोल से झंडा गोल हो चुका है। इस पोल के झोल को समझने के लिए सबसे पहले वहां के वायुदाब और उसके प्रवाह की गति का अध्ययन किया जाना था, मगर सबसे ऊंचा तिरंगा लगाने के रंग में रंगा नगर निगम इतनी जल्दबाजी में था कि कुछ भी कराने से पहले ही वहां टेंडर डलवाकर सीधे एक करोड़ का पोल खड़ा कर दिया। उसके बाद उस में 90 हजार से लेकर 1लाख 10 हजार की रेंज के झंडे लगाए गए, मगर अफसोस कोई भी झंडा एक महीने उस खंभे की शोभा नहीं बढ़ा पाया। एक-एक कर झंडे फटते रहे और देश के सबसे ऊंचे तिरंगे का अपमान होता रहा। अब तो आलम ये है कि हल्की सी भी हवा अगर चलती है तो बिजली बाद में कटती है, तिरंगा पोल से पहले गोल हो जाता है। ऐसे में सवाल तो यही है कि अभी तो पूरी बरसात पड़ी है। अब पूरी बरसात में कितने झंडे लगेंगे?
बॉक्स-
आखिर क्यों नहीं फटता जिंदल का झंडा
मंदिरहसौद के जिंदल काम्प्लेक्स में लगा ऊंचा तिरंगा क्यों नहीं फटता? इसको लेकर नगर निगम के  अधिकारी हकलाने लगते हैं। झंडे के परियोजना अधिकारी राजेश शर्मा अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर देते हैं। अब कोई इसको क्या कहे?
बॉक्स-
कहां हो रहा है झंडे का अपमान: राजेश-
सबसे ऊंचे झंडे के परियोजना अधिकारी राजेश शर्मा इसको राष्ट्रीय ध्वज का अपमान नहीं मानते। उन्होंने हमारी सरकार से साफ शब्दों में कहा कि कहां हो रहा है सबसे ऊंचे तिरंगे का अपमान? ये अलग बात है कि इसके बाद उन्होंने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया। ऐसे में ये साफ तौर पर मानना होगा कि परियोजना अधिकारी को झंड़े की आचार संहिता का रंच मात्र भी ज्ञान नहीं है।
क्यों दिया दो घंटे एमआईसी को झूठा प्रस्तुतिकरण: गोवर्धन
नगर निगम के 64 नंबर वार्ड के पार्षद गोवर्धन शर्मा ने तिरंगे के परियोजना अधिकारी राजेश शर्मा के दो घंटे तक एमआईसी के सामने दिए गए प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी क्या जरूरत थी कि उन्होंने एमआईसी के सामने इतना बड़ा झूठ बोला? उन्होंने श्री शर्मा के झंडा आचार संहिता के ज्ञान को भी बचकाना बताते हुए सवाल उठाया कि अगर पूरी तैयारियां नहीं थीं तो फिर आनन-फानन में झंडा लगाकर राजधानी को क्यों बदनाम किया जा रहा है? जांच का जिम्मा राजेश शर्मा को देने की बात पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि महापौर ने बंदरों के हाथ में लड्डुओं की रखवाली सौंपी है, भगवान खैर करे।
बना ली गई है कमेटी: कमिश्रर
निगम के कमिश्रर राजेश बंसल ने बताया कि सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना की जांच के लिए कमेटी बना ली गई है। जो इसके तमाम पहलुओं पर जांच कर रही है। जिंदल के झंडे को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि उसकी ऊंचाई कम है। इसी लिए वो नहीं फटता जब कि हमारे तिरंगे की ऊंचाई और वजन दोनों ज्यादा है। इसलिए वो तेज हवा के झोंकों का सामना नहीं कर पाता और फट जाया करता है। अलबत्ता उन्होंने झंडे की गुणवत्ता को सही बताने की पूरी कोशिश की।
राजेश शर्मा को जांच का जिम्मा-
महापौर प्रमोद दुबे ने बताया कि जांच कमेटी बना दी गई है और इसका जिम्मा राजेश शर्मा को सौंपा गया है। वे ही इसके तमाम पहलुओं की जांच करेंगे। ये वही राजेश शर्मा हैं जिन्होंने हमारी सरकार से उल्टा सवाल किया था कि झंडा फट जाने से राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना कहां होती है? इससे साबित हो जाता है कि उनका बौध्दिक स्तर क्या होगा? इससे एक बात तो ये भी साबित होती है कि जिस पर आरोप है उसी को जांच का जिम्मा देकर आखिर महापौर क्या साबित करना चाहते हैं?

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव