अंतर आम और खास का

-कटाक्ष-

निखट्टू
खास के लिए बनाए गए खास शहर नया रायपुर को देखकर तो बड़े-बड़े लोग ठहर जाते हैं। ऐसा सरकारी मह$कमें के लोग विज्ञप्तियां जारी करके बताते हैं। राज्य के ईमानदार अखबार उसी को दूसरे दिन अपनी-अपनी शैली में गाते हैं। उधर नारा ये भी दिया जाता है कि  सुराज की सरकार आपके द्वार। अब मेरी मोटी बुध्दि में ये बात नहीं आती कि आखिर किस आदमी का द्वार 40 किलोमीटर का है? हमारा तो भइया 40 गज का है। तो वो भी गांव वाले घर का। इतने बड़े द्वार पर तो हर किसी की जाने की भी हिम्मत नहीं होगी न?
जहां आम अवाम रहती है अब वहां की व्यवस्थाएं भी आम हो गईं। खास के लिए खास व्यवस्था की जा रही है। पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं। नए-नए स्टाइल के मकान और चौड़ी सड़कें बनवाई जा रही हैं। उनको अमेरिका से आई मशीन से चमकाया जा रहा है। इधर आम लोगों के शहर में आई देसी मशीनें भी निगम के गोदाम में पड़ी-पड़ी सड़ रही हैं। उनको कोई पूछने वाला नहीं है। कभी यही मशीनें सीएम बंगले के आसपास- तो कभी शंकर नगर में मंत्रियों के बंगले के सामने रात को नजर आती थीं। अब तो इनके दर्शन ही दूभर हो गए। आम लोगों के शहर की सड़कें भी आम हैं। अभी बारिश ठीक से शुरू नहीं हुई कि उखडऩी शुरू हो गईं। यहां यातायात इतना है कि सड़कों पर गाडिय़ों का रेला लगा रहता है। तो वहीं खास लोगों के शहर की सड़कें वीरान रहती हैं। अलबत्ता इन पर गायों और भैंसों के झुंड जरूर यदाकदा नज़र आते हैं। आम को खास की ओर बुलाने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। सारी शासकीय व्यवस्था अब वहीं से संचालित होगी। ऐसे में आम अवाम को तो वहां जाना ही होगा। विधान सभा से लेकर सचिवालय, पुलिस मुख्यालय सहित हर छोटा बड़ा कार्यालय अब यहीं आ गया है। कुछ दिनों में मुख्यमंत्री और उनके सारे विधायक और मंत्रियों के आवास भी यहीं आ जाएंगे। यानि सरकार अब अपना सर कार में रखकर पुराने शहर से नया रायपुर जा चुकी है। तो भइया मेरे मैं भी अब निकलता हूं अपने घर। कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

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