तिकड़ी ने बिगाड़ा प्रदेश कांग्रेस का खेल




 दिग्विजय सिंह, टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल ने प्रदेश कांग्रेस का सारा खेल बिगाड़ दिया। इन्हीं का कारनामा है जो आज प्रदेश कांग्रेस से अजीत जोगी ने किनारा कर लिया। लोरमी से पूर्व विधायक धरमजीत सिंह के शब्दों में भूपेश दिग्गी के चेले हंै तो टीएस सिंहदेव रिश्तेदार। इन्हीं तीनों ने ही कर दिया कांग्रेस का बंटाधार। तो वहीं अजीत जोगी के शब्दों में अगर कहा जाए तो छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी अब राजघराने की पार्टी बन कर रह गई है।

रायपुर।
राघोगढ़ से चल रही छत्तीसगढ़ कांग्रेस: धरमजीत
 लोरमी विधान सभा के पूर्व विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि दिग्गी राजा हैं इसलिए उन्हें लोकतंत्र की समझ नहीं है। छत्तीसगढ़ में वो और उनके चेलों को जनता महत्व नहीं देती।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस रायपुर से नहीं राघोगढ़ से चल रही है। बंटाधारी दिग्विजय सिंह ने जिस तरह कांग्रेस का बंटाधार अन्य राज्यों में किया। उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी लगातार कर रहे हैं । वो जनाधार नहीं पदाधार वाले नेता हैं। इसलिए अजीत जोगी जैसे वृहद जनाधार वाले नेता के खिलाफ दिग्विजय का बोलना छोटा मुंह बड़ी बात करने जैसा है। लोकतंत्र के मूल्यों की बात दिग्गी राजा नहीं समझेंगे क्योंकि वो एक राजपरिवार से हैं। जहां पिता के बाद पुत्र की ही ताजपोशी होती है। अजीत जोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का नया क्षेत्रीय दल जनता का अपना दल है। कोटमी में पार्टी के गठन के पहले ही लोकतांत्रिक व्यवस्था से पार्टी का नाम चुनने के लिए उपस्थित लोगों से वोटिंग कराई गयी थी। यह छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बदकिस्मती है कि अध्यक्ष दिग्विजय के चेले हैं और नेता प्रतिपक्ष उनके रिश्तेदार। छत्तीसगढ़ की जनता छत्तीसगढ़ के बाहर के लोगों और राजा महाराजाओं को छत्तीसगढ़ में राज नहीं करने देगी।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी से पदमुक्त हुए जोगी-
अजीत जोगी को पदमुक्त किए जाने की खबर को लगातार निष्कासन बताकर प्रचारित करने वाले लोगों को खुद पता नहीं है कि मामले की असल सच्चाई क्या है? दरअसल कांग्रेस वर्किंग कमेटी को भंग किया गया है। इसमें दिग्विजय सिंह, बीके.हरिप्रसाद और अजीत जोगी जैसे लोग शामिल बताए जाते हैं। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया है कि निष्कासन 6 साल के लिए किया जाता है, मगर ऐसा नहीं किया गया। दरअसल पिछले दिनों अपने दिल्ली प्रवास के दौरान खुद अजीत जोगी ने ही सोनिया गांधी से ऐसा कहा था कि उनको अब पदमुक्त कर दिया जाए। बताया जाता है कि उसी को संज्ञान में लेते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ के केजरीवाल बनेंगे जोगी: रिजवीं
अजीत जोगी के प्रवक्ता इ$कबाल अहमद रिजवीं ने कहा कि जिस तरह से नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को लोगों ने नज़रंदाज किया था, और उन्होंने सरकार बनाकर विरोधियों के दावे पर पानी फेर दिया। ठीक उसी तरह ही अजीत जोगी भी छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनावों में वहीं इतिहास दोहराएंगे।
जोगी के झंडे में भी दिखेगा तिरंगा-
ज़नाब रिजवीं ने कहा कि कांग्रेस को छोड़ कर जिसने भी पार्टी बनाई उसमें तिरंग अवश्य दिखाई देता है। शरद पवार ने एनसीपी बनाई तो उनके भी झंडे में तिरंगा है। हालांकि उनके झंडे के बीच में घड़ी  का निशान है। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ा तो उनके भी झंडे में तीन फूल के निशान हैं। उसी तरह संभव है कि अजीत जोगी के भी झंडे में तिरंगा ही दिखाई देगा।
अब आया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को होश-
अजीत जोगी की कोटमी सभा के ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया था कि जोगी की सभा में कोई विधायक नहीं जाएगा। तो तीन वर्तमान और तीन पूर्व मिलाकर आधे दर्जन विधायक वहां मौजूद थे। इन पर कार्रवाई से अब प्रदेश कांग्रेस पीछे हट गई। एक मौका देकर भूपेश बघेल ने डैमेज़ कंट्रोल का चौका मार दिया। जब कि उनको भी मालूम है कि ये विधायक अब कांग्रेस में ज्यादा दिन रुकने वाले नहीं है। फिर भी खुद को दिलासा देने के लिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं।
बंगाल में स्टैम्प पेपर पर लिखवाया गया था-
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के विधायकों से पार्टी के प्रति समर्पित रहने के लिए सौ रुपए के स्टैम्प पेपर पर बॉण्ड भरवाया गया था। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस भी अब उसी दिशा में आगे बढ़ती नजर आ रही है?
अंतर्कलह और भितरघात-
ये बात हर कोई जानता है कि कांग्र्रेस में अंतर्कलह और भितरघात के अलावा बगावत भी चरम पर है। बड़े नेताओं की अनदेखी के चलते हर चुनाव में यहां कुछ न कुछ होता आया है। विधान सभा के चुनाव में तो हद ही हो गई थी जब यहां कांग्रेसियों ने ही कांग्रेस भवन की सारी कुर्सियां तोड़ डाली थीं।
अभी भी नहीं बदले हैं हालात-
सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस से बगावत को खत्म करना हंसी खेल का काम नहीं है। यहां हर छोटे से लेकर बड़े चुनावों तक में ब$गावत होनी तो आम बात है।
बगावत होने पर फायदा जोगी को-
पहले कांग्रेस से बगावत करने पर लोग भाजपा में अवसर तलाशा करते थे। अब इसका फायदा अजीत जोगी की पार्टी को मिलेगा। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अजीत जोगी कांग्रेस को आने वाले चुनावों में करारा झटका देंगे।

बॉक्स-
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वर्जन-
जो लोग भी कांग्रेस छोड़कर गए हैं, वे अपनी मर्जी से गए हैं। कांग्रेस ने किसी को भी प्रताडि़त करके नहीं निकाला है। अजीत जोगी के मामले की मुझे पूरी जानकारी नहीं है। मैं इस वक्त उड़ीसा में हूं,लिहाजा मैं इस मामले में कुछ कह पाने में असमर्थ हूं।
भक्त चरणदास
राष्ट्रीय प्रवक्ता
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
 मेरा बयान वही है प्रदेश कांग्रेस के लिए जो आपको पहले दे चुका हूं... गुडनाइट।
अमित जोगी
इसके लिए आपको दिल्ली में एआईसीसी के प्रवक्ता से बात करनी चाहिए।
भूपेश बघेल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
बॉक्स-
प्रदेश अध्यक्ष और उनका लक्ष्य-
भूपेश बघेल जब से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। उनका एक ही लक्ष्य रहा अजीत जोगी को पार्टी से हटाना। तमाम मुद्दों और जन समस्याओं की उन्होंने अपने इसी स्वार्थ के चलते बलि दे दी। आलम ये रहा कि उन्होंने मुद्दों से ज्यादा मुद्दई पर जोर दिया। ऐसे में कहा जाता है कि अतिशय रगड़ करै जो कोई, अनल प्रकट चंदन ते होई। रोज-रोज की किचकिच से तंग आकर आखिरकार अजीत जोगी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया। उनके इस अभियान में उनके विशेष सहयोगी बने  नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ।
कमजोर होती कांग्रेस के जिम्मेदार-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सिर पर कांग्रेस को ही तोडऩे का सेहरा सज चुका है। इसके अलावा बड़ी -बड़ी बातें और दावों की बौछार करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आने वाले चुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचा पाएंगे ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तो साफ है कि कांग्रेस को तोड़कर भूपेश बघेल ने राज्य में कांग्रेस के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।

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