टूटती कांग्रेस का तैश





 कद्दावर कांग्रेसी नेता अजीत जोगी के छत्तीसगढ़ कांग्रेस छोडऩे के तत्काल बाद ही महाराष्ट्र के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत ने भी कांग्रेस का हाथ झटक दिया। उत्तराखंड और अरुणाचल में भी कांग्रेस संकट काल से गुजऱ रही है। तो वहीं कांग्रेस भवन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कल पूरे तेवर में टीवी पर नज़र गड़ाए नज़र आए। इसके बाद उन्होंने जिस तैश में जोगी के कार्यक्रम को फ्लॉप बताया और उनके समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पटाखे फोड़े, वो तमाम सवालों को जन्म देता है। अपने एक -एक करके टूटते कद्दावर नेताओं के जाने के इस जश्र पर जानकार यही कह रहे हैं कि- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें य$कीन नहीं।

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प्रदेश कांग्रेस के तमाम दावों और धमकियों को दर किनार करते हुए कोटमी में  अजीत जोगी की सभा में तीन वर्तमान और तीन पूर्व विधायकों का दस्ता मौजूद था। इसको लेकर केंद्रीय कमेटी जहां लीपापोती के चक्कर में है तो वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तेवर भी ढीले नज़र आ रहे हैं। कल जहां पटाखों की तड़तड़ाहट और बीच-बीच में जोरदार धमाके हो रहे थे। वहीं मौत का सन्नाटा पसरा दिखाई दे रहा है। आलम ये है कि तमाम बड़े नेता अब अपने फायदे और नुकसान का गणित भिड़ाने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही साथ पहले जिस तेजी से बयान जारी किए जा रहे थे उस पर भी एहतियात बरती जा रही है।
ये मौजूद थे अजीत जोगी की सभा में-
श्री जोगी के कार्यक्रम में विधायक रेणु जोगी, गुंडरदेही विधायक आरके राय एवं बिल्हा विधायक सियाराम कौशिक के अलावा पूर्व मंत्री डीपी धृतलहरे, विधान मिश्रा और पूर्व विधायक परेश बागबहरा,पूर्व विधायक चंदभान बारमते मंच पर नजर आए ।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने भी छोड़ा साथ-
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत के राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा को कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है, हालांकि कांग्रेस के बड़े नेताओं की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
मुंबई नगर पालिका चुनावों में कांग्रेस को करारी चोट-
माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण मुंबई नगरपालिका चुनाव से पहले कामत के इस्तीफ़े से कांग्रेस की उम्मीदों को चोट पहुंचेगी। गुरुदास कामत के राजनीतिक भविष्य पर सियासी गलियारों के जानकारों का कहना है कि वो राजीव गांधी के बहुत कऱीब थे।  पार्टी के अंदर वो लोकप्रिय नेता रहे हैं।  साफ़ सुथरी छवि वाले श्री कामत का इस तरह से पार्टी को छोडऩा भविष्य में एक बड़े खतरे का संकेत माना जा रहा है।  वो शिवेसना में तो नहीं जाएंगे लेकिन बाक़ी दल कोशिश करेंगे कि वो उनमें शामिल हो जाएं।
बागी तेवरों से नहीं उबर पा रही कांग्रेस-
उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की राज्य इकाइयों में बाग़ी तेवरों से कांग्रेस पहले ही उबर नहीं पाई थी कि अब ये ताज़ा ख़बर आई है।
बॉक्स-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की व्यक्तिगत खुशी-
सोमवार को कांग्रेस भवन में फूटने वाले पटाखों को लोग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की निजी खुशी मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इससे श्री बघेल को निजी तौर पर खुशी हासिल हुई है। पार्टी तो टूटी है इसमें कोई भी संशय नहीं है। इसका कितना नुकसान राज्य में कांग्रेस को उठाना पड़ेगा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा।
पहले गरजे और अब बदले बोल-
दो दिन पहले ही ये घोषणा करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल - कि कांग्रेस का जो भी विधायक कोटमी अजीत जोगी की सभा में जाएगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अपने इस बयान पर अब सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बचते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को अब अपनी भूल का एहसास होना शुरू हो चुका है।
जोगी के हाथ में ढाई साल-
जो लोग स्व. विद्याचरण शुक्ल की  राष्ट्रवादी कांग्रेस से इसकी तुलना कर रहे हैं उनको ये बात भी मान लेनी चाहिए कि स्व. शुक्ला के सामने समय की कमी थी। अजीत जोगी के सामने ऐसा नहीं है। उनके पास ढाई साल का समय है। जो कि उनको एक नई पार्टी की स्थापना से लेकर लोगों में आपनी पैठ जमाने के लिए काफी होता है।
जोगी समर्थक विधायकों की लंबी होती फेरहिस्त-
सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि अजीत जोगी के साथ वर्तमान और पूर्व मिलाकर 20 से ज्यादा विधायकों का कुनबा शामिल है तो वहीं कांग्रेस और भाजपा से ब$गावत करने वाले भी अजीत जोगी की ही पार्टी में अपना भविष्य तलाशते नज़र आएंगे। ऐसे में कांग्रेस की सीटें घटनी स्वभाविक हैं।
जिम्मेदारों का जवाब-
मैं कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हूं। देखता हूं क्या किया जा सकता है।
बीके हरि प्रसाद
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी
मैं अभी इसका पता लगवा रहा हूं। उसके बाद ही कुछ कह पाऊंगा।
भूपेश बघेल

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