कांकेर में 15 परिवारों का हुक्का-पानी बंद
-कांकेर जिले के मनकेसरी गांव की दबंग सरपंच अहिल्या कोर्राम ने मजदूरों और राजमिस्त्री के 15 परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया है। इसके अलावा गांव के तमाम लोगों को सरकारी दुकानों से राशन नहीं दिया जा रहा है। इन गरीबों का दोष महज इतना है कि इन्होंने सरपंच के शौचालय बनाने के आदेश की नाफरमानी की। मजदूरों का कहना है कि यहां काम करने पर मजदूरी समय पर नहीं मिलती। बस फिर क्या था सरपंच का पारा सातवें आसमान पर चला गया और उन्होंने इन 15 लोगों के परिवारों का हुक्का-पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि कांकेर की सरपंच अहिल्या कार्राम ये काम कलेक्टर की शह पर कर रही हैं। उनको उनके गांव को ओडीएफ बनाने का कलेक्टर शम्मी आबिदी ने 15 अगस्त तक का समय दिया है।
कांकेर ।
क्या है पूरा मामला-
दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत मनकेसरी गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए कलेक्टर शम्मी आबिदी ने गांव की सरपंच अहिल्या कोर्राम को 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है। जिसके बाद जून महीने में गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए सरपंच ने ग्रामीणों की बैठक ली। इस बैठक में शौचालय निर्माण करने की जिम्मेदारी गांव के राजमिस्त्री और मजदूरों को दी गई, लेकिन ग्रामीणों ने समय पर मजदूरी भुगतान नहीं मिलने की बात कही और शौचालय निर्माण कार्य करने से मना कर दिया। इसके बाद सरपंच ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के जरिए सस्ती दर पर बेचे जाने वाले चावल की बिक्री पर रोक लगा दी। सरपंच के निर्देश पर पिछले दो महीने से इन ग्रामीणों को चावल नहीं दिया जा रहा है। सरपंच की प्रताडऩा झेल रहे ग्रामीण अब शहर से महंगी दर पर राशन लेने को मजबूर हैं।
बुजुर्ग इतवारीराम खरीद रहे महंगा राशन-
अपनी जिंदगी के 60 बरस पूरे कर चुके इतवारीराम पटेल अपनी व्यथा बताते हुए कहते है कि पिछले दो महीने से उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा है। गांव में शौचालय निर्माण का काम शासन नहीं करवा सका तो उसके लिए उनका राशन क्यों रोका गया है?
सेल्समैन ने कर दिया राशन देने से मना-
उन्होंने बताया कि जब वे पीडीएस की दुकान पर गए तो सेल्समैन ने कहा कि सरपंच ने राशन देने से मना किया है। उनका आरोप है कि ग्रामीणों का राशन कलेक्टर के कहने पर रोका गया है। वहीं, राजमिस्त्री का काम करने वाले दुर्गेश कुमार कहते है कि शौचालय निर्माण का कार्य जायज है, लेकिन गरीब परिवारों का राशन बंद दिया गया है। दो महीने से राशन नहीं मिलने के कारण मजबूरी में महंगा चावल खाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत का ऐसा रवैया है तो हम किसके पास गुहार लगाने जाएंगे।
महिला सरपंच की दबंगई-
ओपन डेफिकेशन फ्री यानी खुले में शौच मुक्त का टॉरगेट पूरा करने के चक्कर में लोगों का हुक्कापानी बंद करने वाली दबंग महिला सरपंच अहिल्या कोर्राम का कहना है कि मैंने ही लोगों का राशन बंद कराया है। लोग पहले काम करें उसके बाद उन्हें राशन दिया जाएगा। सरपंच ने कहा कि गांव में 15 अगस्त तक शौचालय निर्माण कराने का निर्देश कलेक्टर ने दिया है। ग्रामीणों को सभी चीज पंचायत से मिलती हैं। ऐसे में उन्हें काम करने में क्या हर्ज है? जहां एक ओर सरपंच के तु$गलकी फरमान से गरीब परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कलेक्टर ने नहीं उठाया फोन-
कलेक्टर शम्मी आबिदी के मोबाइल पर लगातार संपर्क किया गया। उनकी रिंग टोन बजती रही और उन्होंने फोन नहीं उठाया। जाहिर है गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए प्रशासन का दबाव अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। मनकेसरी गांव में भले ही अब तक शौचालय निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है, लेकिन गांव वालों का हुक्का-पानी जरूर बंद हो गया है।
ग्रामीणों पर टूटता अधिकारियों का कहर-
स्वच्छता की आड़ में नियम कायदे से किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है। ये किसी से छिपा हुआ नहीं है। आखिर शौचालय के नाम पर किसी गरीब को निष्कासित कर देना कहां का न्याय है? गरीबों का राशन बंद कर ये सरकारी अधिकारी आखिर क्या साबित करना चाहते हैं? क्या ऐसे ही छत्तीसगढ़ को स्वच्छ किया जाएगा?
क्या अंग्रेजों की राह पर चल रही है अफसरशाही-
प्रदेश में बेलगाम हो चुकी अफसरशाही अब अंग्रेजों की राह पर चल रही है। ये भी अब गरीबों से बेगारी करवाने की फिरा$क में हैं। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि तो फिर अंग्रेज अफसरों और छत्तीसगढ़ की अफसरशाही में क्या फर्क है?
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