भोपाल का लाल दीपक
दु:ख किसी का हो छलक जाती है मेरी आँखें, सारी मिट्टी मेरे तालाब में आ जाती है।
मध्य प्रदेश के भोपाल के लाल दीपक साहू की वीरता की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। ऐसे लाल ही आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल बनते हैं। ये भोपाल का वही जांबाज लाल है जो बाढ़ से उफनते राजीव नगर के नाले को 20 लोगों को तो सकुशल पार करवा दिया और आखिरकार उसका पैर फिसला और वो पानी की तेज धारा में बह गया। घटना का दुखद पहलू ये है कि आज उसकी सगाई होने वाली थी। प्रकृतिक आपदा से जूझ रहे मध्य प्रदेश की राजधानी मेें हुआ ये हादसा वहां के लोगों को आज निश्चित रूप से बड़ी तकलीफ दे रहा होगा। विशेष कर दीपक के परिजनों के दु:ख का अनुमान लगाना मुश्किल है। तो वहीं उनके इस दु:ख में पूरा देश उनके साथ है। मध्य प्रदेश सरकार को चाहिए कि उसके परिवार को मुआवजा सहित तमाम वे सारी चीजें मुहैय्या कराई जाएं जिसकी उसके परिजनों को जरूरत हो। तो वहीं उस कन्या को भी मुख्यमंत्री को धैर्य दिलाना चाहिए जिसकी गृहस्थी शुरू होने के पहले ही उजड़ गई। इसके साथ ही साथ साहू समाज को भी चाहिए कि वे कोई अच्छा वर खोज कर उस कन्या का ससम्मान विवाह कराएं। इस शादी में दहेज जैसी कोई कुप्रथा सामने न आने पाए। इस बहादुर युवा की गौरव गाथा मध्य प्रदेश की पाठ्य पुस्तकों में अवश्य पढ़ाई जाए ताकि पे्ररणा लेकर तमाम युवक आपदा के समय आम जनता की सेवा के लिए आगे आएं।
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