माया ने देखकर मौका मार दिया चौका



स्वामी प्रसाद मौर्य और आर.के. चौधरी के पार्टी छोड़कर जाने से हताश और निराश मायावती के हाथ में भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर ने विवादित बयान देकर एक मौका थमा दिया। सियासत की अनुभवी खिलाड़ी मायावती कहां चूकने वाली थी। उन्होंने लगे हाथ लोक सभा में ही चौका जड़ दिया। तो उधर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह की यूपी की राह अब कठिन होती दिखाई दे रही है। यूपी में भाजपा पहले से ही गुटबाजी की शिकार हो चुकी  है। बयान के सियासी उबाल से लाल हुए कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाई और  हजरतगंज थाने में कर दिया एफआईआर। तो वहीं प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव भी भला कहां चूकने वाले थे। उन्होंने भी कड़ी कार्रवाई कर मायावती के हाथ गठजोड़ का दूसरा लड्डू भी थमा दिया। उनके इस बयान से सपा और बसपा की पुरानी खटास दूर होती दिखाई दे रही है।


रायपुर।
 दयाशंकर पर एफआईआर-
बसपा सुप्रीमो के खिलाफ असंसदीय बयान देने वाले प्रदेश भाजपा के नेता एवं पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। ये जानकारी मायावती के दिल्ली कार्यालय ने हमारी सरकार को दी। फोन करने वाले ने बताया कि पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर के खिलाफ मानहानि एवं अपमान के अलावा आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। हजतरतगंज कोतवाली में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव मेवाराम गौतम ने एफआईआर दर्ज करवाई है।
अखिलेश ने दिए नए समीकरण के संकेत-
यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा व सपा के बीच चलने वाली सियासी रस्साकसी को पीछे छोड़ते हुए बसपा सुप्रीमो के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कड़ा रोष जताया है। मुख्यमंत्री ने यहां तक कह दिया है कि मुकदमा दर्ज होने के साथ कानून के अनुसार गलत व अभद्र बयान देने वाले पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ असंसदीय बयान पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से दोनो दलों के बीच लंबे समय से चल रही दूरी को दरकिनार करते हुए सीधे तौर पर मायावती के साथ प्रदेश सरकार को खड़े होने का संदेश देकर सूबे की सियासत में नए आयाम पैदा कर दिए हैं।
भाजपाई सन्न, कह रहे माफी तो मांग ली -
बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी पर भाजपाई सन्न हैं। प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो किसी की एक गलती दरकिनार नहीं करती। यही वजह है कि इस मसले पर पार्टी की ओर से खेद जताने के बाद भी दयाशंकर सिंह को सभी दायित्वों से हटा दिया गया और पार्टियां इतनी तेजी से किसी आम कार्यकर्ता पर भी कार्रवाई नहीं करती, जितनी तेजी से प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे पद के व्यक्ति की ओर से गलती किए जाने पर दंड दिया गया।
कठिन होती दिख रही शाह की राह-
पिछले कई महीनों से लगातार दलितों के कार्यक्रमों में पहुंचने वाले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ये साबित करना चाहते थे कि भाजपा दलितों का सम्मान करती है। तो दयाशंकर के इस बयान ने उनके इस पूरे अभियान की हवा निकालकर उनकी राह मुश्किल कर दी। उत्तर प्रदेश में श्री शाह बार-बार यही बयान दे रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का सम्मान करते हैं। ऐसे में इनकी एक गलती ने सारा गुड़-गोबर कर दिया।
बसपा ने मौका देखकर मारा चौका-
मायावती के लिए तो ये बहुत बड़ा मौक़ा साबित होगा। मायावती इस वक्त हताश थीं क्योंकि उनकी पार्टी के दो नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी ने पार्टी छोड़ दी थी, अब उन्हें नई ऊर्जा मिलेगी।
पहले से कमजोर होती बसपा लगातार इसी कोशिश में लगी थी कि उसको कोई ऐसा बहाना मिल जाए ताकि उसके सारे दलित उसके साथ आ जाएं। अब ऐसे में दयाशंकर ने ये मौका उसके हाथों में थमा दिया।

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