डॉक्टरों के हाथ में कानून की कटार देने जा रही सरकार






डॉक्टर्स से मरीजों के परिजन अब अगर हाथापाई करेंगे तो ये जल्दी ही गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा। कैबिनेट से पास हो चुका ये मसौदा अब विधान सभा के पटल पर मानसून सत्र में रखा जाएगा। आलम ये है कि राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टर्स अपने नामों से ज्यादा कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि आखिर कोई क्यों करता है किसी डॉक्टर से बहस या फिर हाथापाई?
डॉक्टर्स चाहे किसी की बहन-बेटी को आलू बैगन की तरह फाड़कर जमीन पर लिटा दें, किसी की बच्चेदानी निकाल लें, किसी की आंख फोड़ दें, किसी को मुर्दा बताकर उसका गुर्दा निकाल लें, किसी जिंदा आदमी के मौत का प्रमाण पत्र जारी कर दें अथवा किसी के इलाज में इतनी लापरवाही बरतें कि वो मर जाए।  तो कहीं शहीद जवानों की वर्दी बूट और बैच कूड़ेदान में फेंकवा दें,ऐसे में सरकार ये बताए कि क्या ये गुनाह की श्रेणी में नहीं आते? अगर आते हैं तो इसके लिए कौन सी सजा मु$कर्रर की गई? आखिर क्यों कोई आदमी करता है डॉक्टर से हाथापाई... इसी की पड़ताल कर रही है हमारी सरकार की ये रिपोर्ट....।


डॉक्टर्स से हाथापाई बनेगा गैरजमानती अपराध,
रायपुर।
डॉक्टरों के साथ हाथापाई करने को राज्य सरकार गैर जमानती अपराध की श्रेणी में डालने के लिए नया कानून बनाने जा रही है। डॉ. रमन सिंह की कैबिनेट ने इसको पास कर दिया है अब इसको विधान सभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। यदि ये वहां से भी पास हो गया तो  ये कानून बन जाएगा। यानि इसके लागू होने के बाद अगर किसी ने भी डॉक्टर के साथ हाथापाई की तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर जेल में डाल देगी और अदालत से उसको जमानत भी नहीं मिलेगी।
क्यों करता है कोई किसी डॉक्टर से हाथापाई-
सरकार और उसके  कैबिनेट मंत्री बिना सोचे समझे एक पक्षीय निर्णय लेकर एक जनविरोधी कानून बनाने जा रहे हैं। सवाल तो ये है कि आखिर कोई क्यों करता है डॉक्टर्स से हाथापाई? क्या डॉक्टर्स सही वक्त पर और सही तरीके से अपना काम कर रहे हैं?
भीमराव अंबेडकर अस्पताल का हाल-
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल भीमराव अंबेडकर के जूनियर डॉक्टर तो खुद को भगवान से भी चार कदम आगे समझते हैं। यहां मरीजों को कैसे टरकाया जाता है ये देखकर आदमी का राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास उठ जाएगा।
जूडॉ.ने पत्रकार को पीटा-
अभी कुछ साल पहले की बात है मेकाहारा में जूनियर डॉक्टर्स से खबर के संदर्भ में थोड़ी बहस क्या हुई, जूनियर डॉक्टर्स ने पत्रकार को जमकर पीटा। बाद में जब बात बिगड़ती देखी तो मौदहापारा थाने में समझौता कराया गया।
मुख्यमंत्री के आदेश को दिखाया ठेंगा-
अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर्स को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह कई बार कह चुके हैं कि वे मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखें, मगर डॉक्टर्स कमीशन के चक्कर में ब्रांडेड दवाएं लिखकर दे रहे हैं। यानि कि राज्य के मुख्यमंत्री के आदेश को भी मानने को तैयार नहीं है डॉक्टर्स।
आने-जाने का कोई समय नहीं-
मेकाहारा के डॉक्टर्स कब अपने चैम्बर में रहेंगे कोई नहीं जानता। सारा काम जूडॉ देखते हैं। सीनियर्स तो मरीजों को हाथ भी लगाने में अपनी तौहीन समझते हैं। अलबत्ता पूरे दिन मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स के संपर्क में रहते हैं।
अधिकांश डॉक्टर्स करते हैं प्राइवेट प्रैक्टिश-
अंबेडकर अस्पताल से आए दिन मरीजों को भगाए जाने की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। इसके पीछे का गणित यही है कि अगर वो मरीज मेकाहारा में भर्ती हो जाता है तो फिर इन डॉक्टर्स के प्राइवेट चैंम्बर और नर्सिंग होम्स में कौन जाएगा? इसी की चक्कर में सीरियस रोगियों को कभी इलाज में लापरवाही तो कभी कड़वी बातें सुनाकर भगा दिया जाता है। अस्पताल से बाहर निकलते ही दलाल किस्म के लोग उनको लपक लेते हैं और ले जाकर नर्सिंग होम्स के हवाल कर देते हैं। इसके बाद कटनी शुरू होती है आदमी की जेब।
अब जरा डॉक्टर्स की इन कारस्तानियों को भी जानिए-
*-कुछ साल पहले पचपेढ़ी के पास एमएम आई में एक युवक की किडनी निकाल ली गई। इस षडयंत्र में युवक की भाभी का भी हाथ बताया जाता है। बाद में उस युवक की मौत हो गई तो उसके सारे कागजात को उसकी चिता पर रखकर जला दिया गया।
*-अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर्स ने लालपुर के एक युवक को मुर्दा बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया था। घर ले जाने पर युवक जिंदा हो गया। दूसरे दिन गई मेकाहारा के डॉक्टर्स की टीम ने छल करके उस परिवार से प्रमाण पत्र वापस लिया और भाग निकले। दो दिन बाद वो युवक मर गया।
*-राज्य के दूर-दराज के इलाकों से अच्छे इलाज के चक्कर में आए गरीब लोगों से अंबेडकर अस्पताल का स्टॉफ कैसा व्यवहार करता है। ये किसी से छिपा नहीं है।
*-सोनोग्राफी करवाने के दौरान एक महिला का स्ट्रेचर जाकर मशीन से चिपक गया और उसके सिर में गंभीर चोटें आई थीं। डॉक्टर और तकनीशियन मौके से नदारद थे। बाद में  महिला को एम्स दिल्ली इलाज के लिए भेज कर सरकार ने अपनी नाक बचाई।
*-रायपुर के ही एक बड़े नर्सिंग होम में एक मरे हुए रसूखदार घराने के युवक को तीन दिनों तक जिंदा बताया गया। उसके परिजनों को 3 लाख का चूना लगाने के बाद युवक को मुर्दा बता दिया गया।
*-भिलाई की एक युवती जो वहीं के नर्सिंग होम में डिलेवरी के लिए लाई गई थी। महिला डॉक्टर ने उसकी बच्चेदानी निकाल दी। उसके बाद रामकृष्ण अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई, बच्चा अनाथ हो गया।
*-जगदलपुर के महारानी अस्पताल में अभी इसी साल होली में एक महिला प्रसव पीड़ा से छटपटा रही थी और डॉक्टर नदारद। नर्सों तक ने उसकी बात नहीं सुनी। बच्चा हुआ और वो डस्टबिन में जा गिरा। सिर में चोट लगने के कारण तीसरे दिन मौत।
 *-उसी महारानी अस्पताल के कचरे में 40 पाउच खून मिला। ब्लड बैंक के जिम्मेदारों का तर्क था कि ये सैंपल का खून है। जब कि उस खून पर मार्किंग तक की गई थी।
 बॉक्स-
रेडक्रॉस सोसाइटी की दुकानें बंद-
अंबेडकर अस्पताल परिसर में चलने वाली रेडक्रॉस सोसाइटी की दुकान महज इस लिए बंद हो गई कि डॉक्टर्स किसी को भी जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते थे। कमीशन के चक्कर में डॉक्टर्स ब्रांडेड दवाएं लिखकर देते हैं। जिसके कारण हो रहे घाटे के कारण ये दुकान बंद करनी पड़ी।
अगल-बगल खुल गए कई बड़े मेडिकल स्टोर-
इन्हीं डॉक्टर्स की कृपा के चलते अंबेडकर अस्पताल के इर्दगिर्द कई बड़े मेडिकल स्टोर्स खुल गए हैं। जहां धड़ल्ले से ब्रांडेड दवाएं बेची जा रही हैं।
शहीदों तक को नहीं बख्शा-
 बस्तर के ताड़मेटला के शहीदों के शव जो मेकाहारा में पोस्टमार्टम के लिए लाए गए थे। उनके शरीर के कुछ अंश और उनकी वर्दियों,जूतों, बैच आदि को कचरे के डिब्बे में फेंकवा दिया था। बाद में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उसको ससम्मान माना पुलिस कैंप को सौंपा।
वर्जन-
हमारी पूरी कोशिश होगी कि डॉक्टर्स के लिए कानून जरूर बने मगर आम जनता के हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। अगर कोई चिकित्सक किसी भी तरह का दुराचरण करता है तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
टी.एस. सिंहदेव
नेता प्रतिपक्ष
विधान सभा छत्तीसगढ़
क्या है गर्भाशय कांड

2 साल पहले रायपुर के आसपास के क्षेत्रों में महिलाओं को कैंसर का भय दिखाकर डॉक्टर्स ने गर्भाशय निकाल लिए थे। स्मार्ट कार्ड से महज 20-25 हजार रुपए पाने के लिए डॉक्टर्स ने यह खेल-खेला था। खुलासे के बाद सरकार ने जांच कमेटी बनाई। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर 9 डॉक्टर्स के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। आरोपी डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया। कोर्ट ने सरकार की कार्रवाई पर स्थगन आदेश दे दिया। सुनवाई कर निराकरण के आदेश दिए, इसके बाद सभी डॉक्टर्स के लाइसेंस बहाल कर दिए गए थे। ये बाकायदा प्रैक्टिस कर रहे हैं।



डॉक्टर्स जिनके खिलाफ हैं गर्भाशय निकालने के आरोप

डॉ. प्रज्जवल सोनी- सोनी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, अभनपुर,

डॉ. मोहनी इंद्राणी,

डॉ. नलिनी मढ़रिया- आशीर्वाद इनफर्टिलिटी सेंटर, रायपुर

डॉ. नितिन जैन- जैन हॉस्पिटल, देवेंद्र नगर, रायपुर

डॉ. पंकज जायसवाल- सेवा सदन, राजिम

डॉ. ज्योति दुबे- स्वामी नारायण हॉस्पिटल,

डॉ. सोनाली जैन- आंचल नर्सिंग होम, महावीर नगर, रायपुर,

ये पहले ही हो चुके हैं दोषमुक्त-

डॉ. जेपीएस सरना- लाइफ लाइन नर्सिंग होम रायपुर

डॉ. धीरेंद्र साव- कर्मा हॉस्पिटल, तेलीबांधा

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव