यूपी की सियासी बिसात


प्रशांत किशोर को कांग्रेस के हॉयर किए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश में सियासी तूफान जोर पकड़ता जा रहा है। वहां चुनाव होने में अभी 7 महीने बाकी हैं। तो वहीं कांग्रेस में जाते ही प्रशांत किशोर ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष को बदल दिया। उसके बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का दावेदार शीला दीक्षित को घोषित कर उत्तर प्रदेश की भाजपा को दूसरा टेंशन दे दिया। इसी की आड़ लेकर अब वे धीरे-धीरे कर्मठ कार्यकर्ताओं की फिल्टरिंग शुरू करेंगे। तो वहीं मथुरा में मेनका गांधी ने ये कह कर सनसनी फैला दी कि अगले चुनाव में वरुण गांधी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं होंगे। इसके साथ ही साथ उन्होंने प्रियंका गांधी के खिलाफ वरुण गांधी के चुनाव लड़ाने की आशंकाओं को भी सिरे से खारिज़ कर दिया। ऐसे में प्रियंका और वरुण की नजदीकियां और भी पुष्ट होंगी। कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि आने वाले चुनाव में वरुण गांधी कांग्रेस में प्रवेश न कर जाएं। मेनका गांधी का बयान कुछ हद तक इन आशंकाओं को बल भी देता दिखाई दे रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। तो वहीं भाजपा में भी गुटबाजी खूब जोर पकड़ चुकी हैं। अब बचे सपा और बसपा। तो इनका तो वही खेल है जातिवाद का नारा देकर अपना-अपना चारा जुटाते हैं। मायावती सियासत की माहिर खिलाड़ी हैं। उन्होंने भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को पार्टी से निलंबित करवा दिया।  तो वहीं भाजपा उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पंकज सिंह पर जोर आजमा सकती है। इसकी काफी हद तक संभावनाएं भी दिखाई दे रही है।
फिलहाल दोनों ही पार्टियां अब पूरी तरह चुनावी रंग में रंगती दिखाई दे रही हैं। राजबब्बर का उत्तर प्रदेश में जाना ही दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को जगाने के लिए काफी है। तो वहीं कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इस बात को जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के जीत की डगर इतनी आसान हीं है। तो वहीं भाजपा और सपा तथा बसपा भी अपने -अपने मोहरों तेल पिलाती नजर आ रही हैं।

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