सवालिया लपटों में सीएम का जनदर्शन


सीएम आवास के आसपास बढ़ते सुसाइड को लेकर साइड होने की फिरा$क में लगी अफसरशाही, शासन-व्यवस्था की इस तबाही पर कुछ भी बोलने से बच रही है। विकलांग योगेश कुमार साहू के आत्मदाह की कोशिश और उसके बाद मेकाहारा में उसकी गूंजती कराह प्रदेश की तबाह हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था की अवस्था बताने के लिए काफी है। नि:शक्त योगेश के शरीर से उठ रही आग की शक्ल में सवालिया लपटों ने सीएम के जनदर्शन को भी अपनी चपेटे में ले लिया। ये कोई नया मामला नहीं है इससे पूर्व भी एक खिलाड़ी और एक रेप पीडि़ता भी यहीं मुख्यमंत्री निवास के बाहर जहर खा चुके हैं। ये घटनाएं प्रदेश की नकारा हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था की ओर इशारा तो करती ही हैं।

पोल खुलती देख अफसरों ने साधी चुप्पी

रायपुर।
क्या है पूरा मामला-
सीएम हाउस के सामने गुरुवार दोपहर को उस समय हड़कंप मच गया जब सरकारी नौकरी की फरियाद लेकर पहुंचे एक दिव्यांग युवक ने खुद पर पेट्रोल उड़ेलकर आग लगा ली। सीएम हाउस के सुरक्षाकर्मियों की नजर जैसे ही आग की लपटों में घिरे युवक पर पड़ी, उन्होंने दौड़कर युवक के ऊपर कपड़ा डालकर आग बुझाई और एक ऑटो में उसे तत्काल अंबेडकर अस्पताल भिजवाया। युवक 50 फीसदी जल गया है। फिलहाल उसकी हालत गंभीर व स्थिर बताई जा रही है।
कौन है ये युवक-
जानकारी के मुताबिक दोपहर साढ़े बारह बजे बिरगांव, उरला निवासी दिव्यांग योगेश कुमार साहू (28) जनदर्शन में सीएम से नौकरी की मांग करने पहुंचा था, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे सीएम से मिलने नहीं दिया। इससे परेशान योगेश ने सीएम हाउस के पश्चिमी गेट के सामने वहां से 50 मीटर दूर जाकर साथ में लाए पेट्रोल को अपने शरीर पर उड़ेला और आग लगा ली। उसके आग लगाते ही हड़कंप मच गया। योगेश के पिता की किराने की दुकान है और उसकी तीन बहनें हंै। घर की माली हालत ठीक नहीं होने से परिवार के भरण-पोषण में दिक्कत आ रही है।
इससे पहले क्या-क्या हुआ-
25 नवंबर 2014 को एक मार्शल आर्ट प्लेयर ने सीएम हाउस के सामने जहर खा लिया। प्लेयर का नाम मुकेश कुमार बंजारे था। वह जापानी मार्शल आर्ट ब्लैक बेल्ट(वन डान) है। प्लेयर सरसींवा बलौदाबाजार का निवासी बताया गया था।
5 दिसंबर 2014 को जब सीएम कर रहे थे जनदर्शन बाहर रेप पीडि़त युवती ने खाया जहर।  रेप की शिकार युवती शंकर नगर बॉटल हाउस स्थित स्ट्रेंड ब्यूटी पार्लर में काम करती थी।
सवालों के घेरे में व्यवस्था-
साल दर साल लोगों द्वारा आत्महत्या का प्रयास करना प्रशासनिक असंवेदनशीलता की ओर इशारा करता है।
क्या है मुख्मंत्री के जनदर्शन की प्रक्रिया-
तो वहीं मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी स्वराज दास ने अफसरों का बचाव करते हुए बताया कि जो भी हादसे हुए हैं वे मुख्यमंत्री निवास के बाहर हुए हैं। मामले को मीडिया अनावश्यक रूप से खींच रही है।
श्री दास ने बताया कि मुख्यमंत्री के जनदर्शन में कोई भी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए जा सकता है। सबसे पहले उसे टोकन बनवाना पड़ेगा। उसके बाद फिर उसको कतार में लग कर जाना होता है।
कैसे होता है खेल-
टोकन के नाम पर ही सारा खेल होता है। जानकारों ने बताया कि यहां जब त कोई भाजपा का कद्दावर कार्यकर्ता रेकमेंड नहीं करता। उसका टोकन नहीं बनाया जाता है। रेकमेंड करने वाला कोई भाजपाई विधायक, महापौर, पार्षद अथवा कोई दूसरा कार्यकर्ता हो सकता है। अब लगातार  कोई उपेक्षित होता रहे तो भला वो कर भी क्या सकता है?
ज्यादातर अफसरशाही हो चुकी है बेलगाम-
 मुख्यमंत्री निवास ही नहीं बल्कि पूरे राज्य की अफसरशाही पूरी तरह बेलगाम हो चली है। ऐसे में गरीबों की सुनने वाला कोई दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। मिलने-मिलाने के काम में इनकी भी भूमिका काफी मायने रखती है। यहां अधिकारियों के चाहेतों को ही राहत दी जाती है।
अवाम को मुख्यमंत्री से दूर रखना चाहती है अफसरशाही-
प्रदेश की अफसरशाही मुख्यमंत्री को जनता से लगातार दूर रखने की कोशिश में लगी हुई है। इसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हुई है। ऐसी घटनाएं इसी अफसरशाही की लापरवाही का नतीजा है।

पत्रकारों तक को नहीं मिलने देते-
राज्य में अफसरों की मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि ये किसी भी पत्रकार को सीएम तक पहुंचने नहीं देते। इसके लिए मुख्यमंत्री आवास से एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है। जो पत्रकारों को मुख्यमंत्री से मिलने की अनुमति देते हैं। अब ये अधिकारी खुद को खुदा समझने लग गए हैं। इससे पत्रकारों में भी आक्रोश पनपने लगा है।

बॉक्स-
रमन के जनदर्शन की पीएम मोदी से शिकायत

 आम जनता को सीएम से जनदर्शन में मिलने के लिए घंटो लाइन में लगना पड़ता है, उसके बाद भी इस बात की गारंटी नहीं होती है कि निदान होगा। वहीं दूसरी तरफ अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए तैयार की गई ऑनलाइन जनदर्शन वेबसाइट में भी जबर्दस्त खामी है।
कैसे करते हैं परेशान-
 करोड़ों खर्चा करके एनआईसी छत्तीसगढ़ द्वारा बनाया गया मुख्यमंत्री का ऑनलाइन जनदर्शन किसी काम का नहीं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर लेने के बाद भी साइट में यूजर आईडी के रूप में मोबाइल नम्बर और सही पासवर्ड डालने पर भी आपको इनवैलिड पासवर्ड का मैसेज आ रहा है,  वहीं दूसरी तरफ इस वेबसाइट में फॉरगेट पासवर्ड का ऑप्शन ही नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला के सरकार पर आरोप लगाया कि ऐसा लगता है सरकारी अधिकारियों ने ऐसा जानबूझकर किआ है जिससे मुख्यमंत्री जनदर्शन में पीडि़तों के ऑनलाइन आवेदन आ ही न सकें जिससे आवेदनों के निराकरण का झंझट ही न हो और इन लोग खुद की पीठ थपथपा सकें। कुणाल शुक्ला ने इस सम्पूर्ण मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पीएमओ की वेबसाइट पर की है।
बॉक्स-
 मुख्यमंत्री ने की योगेश से मुलाकात-
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मेकाहारा पहुंच कर आत्मदाह की कोशिश करने वाले युवक योगेश साहू की हालत देखी। उनके साथ तमाम लोग मौजूद थे। युवक की हालत चिंता जनक बताई जा रही है।

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