सिक्के का दूसरा पहलू


जो हो वो सबके लिए हो ये जिद हमारी है, बस इसी बात पे दुनिया से जंग जारी है।


राज्य के मुखिया डॉ. रमन  सिंह और उनकी कैबिनेट के लोग विधान सभा के मानसून सत्र में एक ऐसा कानून बनाने जा रहे हंै, जिसको जायज नहीं ठहराया जा सकता। अब डॉक्टर्स के साथ हाथापाई को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसा करके राज्य सरकार डॉक्टर्स को सीधे तौर पर वॉकओवर देने जा रही है।  यानि कि आप अगर डॉक्टर हैं तो कुछ भी करो कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। राज्य के बालोद में अंखफोड़वा कांड हुआ जिसमें 48 लोगों के आंखों की रौशनी चली गई। तो वहीं बिलासपुर के पेंडारी में आठ नवंबर को 83 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन के बाद उनकी तबीयत खऱाब हो गई थी। इसके अलावा बिलासपुर के दूसरे इलाक़ों में भी लोग बीमार पड़ गए थे और 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में महावर फर्मा की सिप्रोसिन दवा को दोषी बताया गया। डॉक्टर्स ने बताया कि उसमें चूहामार दवा थी जिसके कारण मौतें हुईं। महावर फर्मास्यूटिकल्स की जांच में भी वहां भारी मात्रा में उक्त जहर पाया गया। बाद में उसको क्लीनचिट ये कहकर थमा दी गई कि वहां कोई जहर नहीं मिला। हजारों की तादाद में महिलाओं के गर्भाशय निकालने के मामले में सरकार ने सात डॉक्टर्स के पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई की घोषणा की मगर धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। ऐसे में सरकार ये कानून बनाकर क्या डॉक्टर्स के हाथ में एक और मौका देने जा रही है। मोटा वेतन और सुविधाओं का उपभोग करने वाले डॉक्टर्स कितना काम करते हैं ये हर कोई आसानी से जानता है। सरकार के इस कानून से डॉक्टर्स के आचरण में सुधार तो कम उनके व्यवहार में उग्रता जरूर आएगी। इससे उनका जनता से संघर्ष बढ़ेगा। सरकार की इस एकपक्षीय कार्रवाई से प्रदेश की 2.55 करोड़ जनता का कोई हित तो नहीं अलबत्ता नुकसान बहुत ज्यादा होगा। ऐसे में सरकार को चाहिए कि ऐसे कानून बनाने के पहले एक बार विचार जरूर कर ले कि सिक्के का दूसरा पहलू आखिर क्या है? ताकि दोनों ही पक्षों को समान रूप से न्याय मिल सके और दोनों ही पक्षों की आस्था राज्य सरकार में बनी रहे।

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