मश्वरा और काम



निखट्टू-

एक आदमी फुटपाथ पर टहल रहा था। अचानक उसके पैर में ठोकर लगी और खून बहने लगा। वह बीच सड़क पर ही बैठ गया। इसके बाद एक-एक कर लोगों की भीड़ लग गई। वो आदमी पीड़ा से कराह रहा था। तो वहां खड़े लोगों में मंत्रणा शुरू हो गई। एक ने कहा भाई ऐसे घाव के लिए तो किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना ही अच्छा रहेगा। दूसरे ने कहा अमां मियां भेजा खराब हो गया है तुम्हारा.....मैं तो कहरिया हूं कि बस किसी ट्रक का बे्रक ऑयल मिल जाए और उसको इसके घाव पर गिरा दें। तब तक तीसरे साहब से नहीं रहा गया। उन्होंने कहा कुछ नहीं ऐसे घावों पर तो दूब घास को कुचल कर बांध दें ठीक हो जाएगा। एक आदिवासी ने बताया कि इस पर बांस के ऊपर की हरी-हरी दिखने वाली पतली छाल को खुरच कर बांध दें ठीक हो जाएगा।एक माली जो मंदिरों में फूल मालाएं बेचता है उसने कहा कि इस पर गेंदे के फूल के पेड़ की पत्तियां पीसकर उसका रस टपका दें। घाव भी भर जाएगा और दर्द भी नहीं होगा। गुप्ता जी ने कहां अजी छोडि़ए जनाब....सरसों के तेल को गर्म करके उसको इसके घाव पर गिरा दो दर्द भी खत्म और घाव भी भर जाएगा। उनकी बात खत्म होती इसके पहले ही मूंछों पर ताव देते ठाकुर साहब दहाड़ उठे अरे छोड़ो भी इतने से घाव को ठीक करने के लिए तो खाली हल्दी का चूर्ण ही भर दो, तो ये घाव जल्दी भर जाएगा। इतने में एक जापानी युवाओं का जोड़ा भीड़ को देखकर पहुंचा दौड़ा-दौड़ा। दोनों ने अपना बैग खोला और उसमें से फस्र्ट एड बॉक्स निकाला  और उस युवक के पैर की मरहम पट्टी करके उसको अपनी बोतल का पानी पिलाया। उसको रिक् शे पर बैठाकर रिक् शे वाले को किराए के पैसे पकड़ाया और उसको भेज दिया उसके घर। मैं उस जोड़े को देखकर सोचने लगा कि काश...ऐसे तमाम जोड़े छत्तीसगढ़ घूमने आते तो प्रदेश के बहुत से विकलांगों की जान बच जाती। उस जोड़े ने अपने संस्मरण में भारत की इस घटना का जिक्र किया और उसके बाद अंत में उपाय भी बताया कि जिस दिन भारत का आदमी सलाह देना छोड़कर उस पर तत्काल अमल करना शुरू कर देगा भारत दोबारा सोने की चिडिय़ा बन जाएगा। पढ़कर सहलाते हुए  अपना सर ...मैं भी अब निकल लेता हूं अपने घर... तो फिर आपसे कल  होगी मुलाकात तब तक के लिए जय...जय।
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