गरीबों के हाल पर सवाल

मेरे कंधे पे खुद्दारी का जो मैला अंगौछा है, उसे गर बेंच दूं उसमें कई कारें आ जाएं।

सरकार और उसके अधिकारी गरीबों की व्यवस्थाओं पर पड़ रहे हैं भारी। अधिकारियों को मिली हुई है लूट की छूट और वो उसी पर पड़े हैं टूट। गरीबी हटाओ का नारा देकर गरीब हटाए जा रहे हंै। सरकार ने प्रदेश के डॉक्टर्स के हाथ में कानून का वो हथियार दे रखा है कि अब वो इसका प्रयोग करके किसी को भी  मौत के घाट उतार सकेंगे। इसको बड़ी ही सफाई से लापरवाही का नाम देकर धीरे से हत्या के कानून को चकमा दे दिया जाएगा। ज्यादा हुआ तो पोस्टमार्टम करने वाला भी तो डॉक्टर ही है। वो कोई बीमारी लिखकर दे देगा। ऐसे में न्यायपालिका उसका क्या बिगाड़ लेगी? ज्यादा तीन-पांच करने वाले पर सीधे हाथापाई करने और सरकारी सम्पत्ति के नुकसान का मामला जड़ दिया जाएगा। अब जाओ तीन साल के लिए अंदर। तो वहीं किसी की जान लेने के बाद भी वो डॉक्टर शान से इस लिए घूमता रहेगा क्योंकि उसके पास सरकार की डिग्री है। उसके साथ चिकित्सकों का पूरा कुनबा है। ऐसे में देश में हत्या के कानून का अनुपालन मेडिकल सेक्टर से लगभग खत्म हो जाएगा। अलबत्ता ये झोलाछाप डॉक्टर्स पर लागू रहेगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की कैबिनेट ने ये फैसला लेकर डॉक्टर्स के हाथ में जो हथियार सौंपा है इससे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था में अपराध बढ़ेगा। गरीबों के साथ खुलेआम अन्याय होगा, और कानून अपना हाथ बांधे खड़ा रहेगा। ये एक डॉक्टर का राजनीतिज्ञों द्वारा डॉक्टरों के हित में लिया गया फैसला है। इसमें गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है। बदहाल अस्पताल, न इंजेक् शन और न सुविधाएं, मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं दवाएं। ऐसे में सीधा सा सवाल तो ये है कि फिर इतने भारी-भरकम स्वास्थ्य बजट का सरकार करती क्या है?
ऐसे में फिर याद आते हैं राजीव गांधी के वे शब्द जो उन्होंने अपने जीते जी कहा था, कि केंद्र से चला एक रुपए गरीबों के हाथों में जाते-जाते 17 पैसे रह जाता है। बीच के 83 पैसे व्यवस्था खा जाती है। इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना। आश्चर्य तो इस पर है कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा का नारा देने वाले प्रधानमंत्री के राज में उनके अधिकारी और कर्मचारी गले तक चबाकर लाल हुए जा रहे हैं। तो कुछ तो गरीबों के लिए काल तक बन चुके हैं। सरकार अगर गरीबों का हित चाहती है तो उसको बयानबाजी से बाज आना चाहिए। गरीबों के पैसे उसी को मिलें ये व्यवस्था सुनिश्चित करना होगा। इसका लगातार निरीक्षण किया जाना भी जरूरी होगा। ताकि पैसा सही जगह और सही लोगों तक पहुंचे।

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