चोरी और कमीशनखोरी



मुझे सच्चाई की आदत बहुत है, मगर इस राह में दिक्कत बहुत है।


डिग्रियों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग उसी की आड़ में कितना बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं,ये नजारा राजनांदगांव में दिखाई दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र में पैथॉलॉजी सेंटर्स में कमीशनखोरी का खेल वर्षों से चला आ रहा है। तो वहीं रायपुर में पदस्थ एक प्रोफेसर अपने नाम का उपयोग वहां अवैधानिक तरीके से ये सारे काम करवा रहे हैं।  जिला अस्पताल में प्रयोगशाला तकनीशियन के पद पर कार्यरत एक तकनीशियन अपने काम को छोड़कर एक प्राइवेट पैथॉलॉजी सेंटर में अपनी सेवाएं दे रहा है। तो वहीं उपरोक्त डॉक्टर के नाम पर राजिम में भी एक ऐसा ही पैथॉलॉजी सेंटर चलाया जा रहा है। अब सवाल तो ये उठता है कि क्या कोई भी व्यक्ति सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिश कर सकता है? जब कि राजधानी में ही प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के तमाम डॉक्टर्स दबे पांव जाकर ऐसा कार्य कर रहे हैं। राज्य के एक बड़े अफसर की पत्नी तो बाकायदा अपने बंगले में ही चुपचाप मरीज देखती हैं। आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई कार्रवाई कर के दिखाए। अलबत्ता अगर यही काम कोई गैरडिग्रीधारी करता तो शासन -प्रशासन उसका जीना मुहाल कर देता। ऐसे में प्रशासन की दोगली मानसिकता पर सवाल उठता है ।  जैसे ही सरकारी पदों पर बैठे लोगों पर कार्रवाई की बात आती है। उनको जांच की चादर ओढ़ा कर रख दिया जाता है। ऐसा आखिर कब तक चलेगा? जब कि प्रदेश के मुखिया खुद एक चिकित्सक हैं। ऐेसे में उन्हीं की विधानसभा क्षेत्र में ऐसा अनैतिक कार्य होना प्रदेश की बाकी विधानसभाओं की भी पोल खोलने के लिए काफी है।
सरकार अगर असल में सुराज स्थापित करना चाहती है तो उसको ऐसी घटनाओं पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा इसके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि कोई सरकारी व्यवस्था से खिलवाड़ न कर सके। तभी जाकर लोगों के मन में इस शासन व्यवस्था के प्रति आस्था कायम हो सकेगी।
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