आदत की दवाई

कटाक्ष-

निखट्टू

राज्य के एक कद्दावर मंत्री आजकल जमकर अनियमितताएं करते जा रहे हैं। जहां भी मौका मिल जाता है हाथ साफ कर देते हैं। राज्य की पाठशालाओं का हाल बेहाल और मंत्री जी निहाल हैं। अब सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का की तर्ज पर उनकी धर्मपत्नी के पास तो इम्तहान तक देने का वक्त कहां? अरे कोई ऐरी-गैरी थोड़े हैं मंत्रियाइन हैं जी। तो उन्होंने अपनी जगह अपनी बहन को भेज दिया अपना पेपर देने। बुरा हो इन कम्बख़्त अधिकारियों का.... इनकी गाड़ी के इंजन में आग लगे...आ धमके एक्जाम सेंटर पर और बेचारी मंत्रियाइन की बहन पकड़ी गई। वो तो अच्छा हुआ कि कॉलेज के अधिकारी भी अपने ही लोग निकले लिहाजा उसको वहां से निकल जाने दिया। शालाओं की बदहाली पर मंत्री ने विधान सभा में बयान दिया कि उनकी सारी शालाओं में शौचालय बन चुके हैं। सदन के पटल पर ऐसा झूठ एक मंत्री बोल सकता है, ये छत्तीसगढ़ की सियासत में दिखाई दिया। लगातार मंत्री झूठ पर झूठ बोलते रहे और सदन के अध्यक्ष उनको सुनते रहे गोया झूठ न होकर सत्यनारायण भगवान की कथा हो। अब ऐसे अध्यक्ष जी भी कम नहीं हैं। खुद को गरीब राज्य का विधान सभा अध्यक्ष कहते हैं और उनके सरकारी आवास में कुल 48एसी लगे हैं। क्यों चौंक गए न ज़नाब? अरे ये कोई ऐरे-गैरे नहीं छत्तीसगढ़ के विधान सभा अध्यक्ष हैं। अब फर्जी आंकड़ों को इतने गर्व से सुनने का धैर्य तो यही एसी दे रहे होंगे न? कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ की हालत उस अंधे की दुधारू गाय जैसी हो गई है कि जो जितना पा रहा है दुह कर ले जा रहा है। और यहां की जनता और उद्योगपति और व्यापारी तथा संभ्रांत वर्ग जो कर दाता है वो अपनी जेब कटवा रहा है। यानि इस गाय को चारा खिलाए जा रहा है। मामलों को जांच के नाम पर  अटकाने और लटकाने का हुनर अगर सीखना हो तो छत्तीसगढ़ के मंत्रियों से सीखा जा सकता है। शत -प्रतिशत सच को कैसे सौ प्रतिशत झूठ बनाया जाता है वो भी यहीं सीखा जा सकता है। आंकड़ों के अंकगणित भिड़ाने में पास और बाकी चीजों में फेल, आए दिन हो रहे खेल पर खेल। जनता को झेलना है तो वो रही है झेल, व्यवस्था का निकल रहा है तेल। दोषी छुट्टा घूम रहे हैं निर्दोषियों को भेजा जा रहा है जेल। अब इनकी कौन कसेगा नकेल? कुल मिलाकर यहां अंधेर नगरी चौपट राजा...टका सेर भाजी टका सेर खाजा। अब तो कुछ भी हो जाए इनकी आदत सुधरने से रही। उसी कव्वाली का शेर याद आ रहा है कि $खुदा ने दवा हर मरज़ की बनाई, नहीं होती आदत की कोई दवाई। तो मेरे भाई आप मत मारिए इन मामलों में इतना ज्यादा सर... अब मैं भी आदतन मजबूर हूं और निकल रहा हूं अपने घर, तो कल आपसे फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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