ये अमृत रहने दो साहब....!





ये अमृत रहने दो साहब... हमारे बच्चों को बख्श दो, ये कमजोर ही अच्छे हैं। ये कहना है उन आदिवासी महिलाओं का जिनके बच्चों को जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी दूध का पैकेट देने गए थे। दूध देखते ही आधी आंगनबाड़ी के बच्चे जान बचाकर यूं भाग खड़े हुए जैसे कोई आफत आई हो। कारण प्रदेश का हर जागरूक नागरिक जानता है, कि
बीजापुर के केतुलनार में इसी अमृत दूध पीने से दो बच्चियों की मौत और 6 की तबियत खराब हुई थी। तो वहीं जांजगीर-चाम्पा में 8 और महासमुंद में 14 बच्चों की तबियत बिगड़ी थी। इसके बाद भी राज्य की महिला बाल विकास विभाग की मंत्री रमशीला साहू इसको अमृत बता रही हैं। उनका तर्क है कि ये दूध पौष्टिक और अच्छी गुणवत्ता वाला है। इसको पीने से कोई नुकसान नहीं हो सकता। अब इन मंत्री महोदया को कौन समझाए कि मोहतरमा जिसके बच्चे मर गए वो दूसरे बच्चे कहां से लाए जिन्हें आपका ये तथाकथित अमृत पिलाए?

आदिवासियों के बच्चों की मौत के बाद भी सरकार दूध को खराब मानने को नहीं है तैयार, गर्म रहेगा मानसून सत्र
रायपुर/कांकेर/ कोंडागांव।
कांकेर के पालकों ने दी आंगनबाड़ी सहायिकाओं को चेतावनी-
कांकेर जिले के ग्राम पंचायत कोरर अंतर्गत 6 आंगनबाड़ी केंद्रों में मुख्यमंत्री अमृत योजना के दूध को अपने बच्चों को पिलाने से अभिभावकों ने इनकार कर दिया है।  अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि अगर जबरन दूध पिलाने के लिए दबाव बनाया गया तो वे अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजना ही बंद कर देंगे।
क्यों डरे हैं बच्चों के अभिभावक-
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगहों से मीठा अमृत दूध पीकर बच्चों की तबीयत खराब होने की घटना और मौत की खबरों से बच्चों के माता-पिता डरे हुए हैं।  अभिभावकों के मुताबिक बच्चों को दूध पिलाने के बाद मांस, मछली और खट्टा खाने से परहेज करने के लिए कहा गया है।  ऐसे में अगर माता-पिता घर में मांस मछली खाएंगे तो बच्चों को कैसे मना कर सकेंगे।
 3 बच्चों ने दूध पीने के बाद की सिर दर्द की शिकायत-
गौरतलब है कि बीते दिनों गांव के तीन बच्चों ने आंगनबाड़ी में मीठा दूध पीया था जिसके कुछ देर बाद एक बच्चे को सिर में दर्द होने की शिकायत सामने आई थी।
क्या है सरकार की योजना-
 अमृत योजना के तहत आंगनबाड़ी में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को हर सोमवार को सौ मिलीलीटर पौष्टिक और मीठा दूध पिलाने का प्रावधान है। 
138 परियोजनाओं के 4 लाख बच्चों को देना था दूध-
राज्य के बच्चों में बढ़ते कुपोषण से निपटने के लिए सरकार ने ये योजना बनाई थी। इसके तहत पूरे राज्य की 220 में से 138 परियोजनाओं के 4 लाख बच्चों को ये दूध दिया जाना था, मगर इसमें इतनी मिलावट हो गई कि ये किसी भी कीमत पर पीने लायक नहीं रहा।
सरकारी जांच में पास-
दो बच्चों की मौत और दर्जनों की तबियत बिगाडऩे वाले दूध को सरकारी जांच में पास कर दिया गया। जो सरकारी जांच को भी सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
न तो मंत्री को पता और न ही अधिकारी को-
इस योजना का हास्यास्पद पहलू ये है कि राज्य की महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू को ये तक नहीं पता कि राज्य में कितने दूध की आपूर्ति कितनी आंगनबाडिय़ों में की गई। या फिर कितने बच्चों को ये दूध अब तक पिलाया जा चुका है।
ये दूध तो अमृत है: रमशीला-
ऊपर से मंत्री रमशीला साहू बार-बार एक ही रट लगाए बैठी थीं कि ये दूध अमृत है। तबियत बिगडऩे और दो बच्चों की मौत को भी वो दर किनार करती हुई कहती हैं कि उसके पीछे कोई और कारण रहा होगा? क्या कारण रहा होगा ये भी उनको नहीं पता। ये छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं?
कांकेर के महिला बाल विकास अधिकारी-
कांकेर के महिला एवं बाल विकास अधिकारी एल.आर कश्यप को भी ये पता नहीं कि उनके जिले की कितनी आंगनबाड़ी केंद्रों में कितना दूध सप्लाई किया गया। कितने बच्चों ने इसका हित लाभ लिया? उन्होंने अपने विभाग के एक हेड क्लर्क का नंबर देकर पल्ला झाड़ लिया।
बॉक्स-
अमृत दूध देखते ही भाग जाते हैं बच्चे-
नारायणपुर, बीजापुर, जगदलपुर और सुकमा आंचलों के तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों की सहायिकाओं ने शिकायत की है कि उनके केंद्रों के बच्चे अमृत दूध देखते ही आंगनबाड़ी केंद्रों से निकल कर भाग जाते हैं। परिजनों ने भी मना कर रखा है कि उनके बच्चों को ये सरकारी दूध न पिलाया जाए। आसपास के लोगों ने बताया कि दूध का पैकेट जैसे ही दिखा तो बच्चों में यूं भगदड़ मचती है जैसे कोई आफत आने वाली हो।

मानसून सत्र में विधान सभा में उठेगा मुद्दा-
इस मुद्दे को लेकर मानसून सत्र गर्म रहेगा। कांकेर विधायक शंकर ध्रुवा और कोंडागांव विधायक मनोज मरकाम इस मुद्दे को विधान सभा में उठाएंगे। इस बात की पुष्टि विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव ने की।
अमृत दूध के जांच वाली मशीन खराब : डॉ. रेणु जोगी
कोंटा विधायक डॉ. रेणु जोगी ने बताया कि जिस मशीन से इस दूध की जांच की जाती है वो काफी दिनों से खराब पड़ी है। ऐसे मेंं हमारी ये पूरी कोशिश होगी कि हम विधान सभा में इसकी जांच अन्यत्र करवाने की मांग करेंगे।

वर्जन-
विधान सभा के मानसून सत्र के ध्यानाकर्षण के दौरान इस मुद्दे को उठाया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। विधायक दल की बैठक में भी इसको लेकर चर्चा हुई है। हम इसको लेकर पूरी तैयारी कर चुके हैं।
टी.एस.सिंहदेव
नेता प्रतिपक्ष
विधान सभा
छत्तीसगढ़।

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