केंद्रीय मंत्रिमंडल पर जातीयता और क्षेत्रीयता की छाया





 राजनीति के गलियारों में ये कहावत काफी अर्से से चली आ रही है कि दिल्ली की संसद का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है।  अब जब अगले साल इस प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हैं तो सीधे कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी की कैबिनेट में जो फेरबदल हुआ उसमें इसकी छाया साफ दिखाई दी।  इस फेरबदल में चुनाव के मद्देनजर यूपी की भागीरी बढ़ेगी और इसमें जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का पूरा ख्याल रखा गया है।

आर.पी. सिंह
मोदी कैबिनेट में अभी पीएम को छोड़कर यूपी से 11 मंत्री हैं।  नए फेरबदल में तीन नए नाम जुड़े और एक की कुर्सी जा चली गई।  इस तरह यूपी की भागीदारी बढ़कर 13 हो जाएगी।
अगर क्षेत्रीय आधार पर बात की जाए तो फिलहाल मोदी कैबिनेट में पूर्वांचल से 2, पश्चिमी यूपी से 4, मध्य यूपी से 4 और बुंदेलखंड के एक मंत्री हैं। जाति के हिसाब के इन 11 मंत्रियों में तीन ब्राह्मण, दो राजपूत, एक भूमिहार, एक जाट, एक कुर्मी, एक पिछड़ी जाति और एक लोध जाति के हैं।  फेरबदल के बाद ये तस्वीर बदल जाएगी।  जहां पूर्वांचल से मंत्रियों की संख्या 2 से बढ़कर चार हो जाएगी, लेकिन पश्चिमी यूपी से घटकर 3 हो जाएगी, मध्य यूपी से चार और बुंदेलखंड से एक मंत्री बने रहेंगे।  नए फेरबदल में एक ब्राह्मण, एक कुर्मी की संख्या बढ़ जाएगी। अगर मोदी कैबिनेट में यूपी से महेंद्र पांडे, अनुप्रिया पटेल और कृष्णा राज की एंट्री और रमाशंकर कठेरिया की एग्जिट होती है तो मंत्रियों की ये तस्वीर उभरकर सामने आएगी।

गाजीपुर - मनोज सिंन्हा - अगड़ी जाति - भूमिहार
देवरिया - कलराज मिश्रा - अगड़ी जाति- ब्राम्हण
चंदौली - महेंद्र पांडे - मंत्री बनेंगे - अगड़ी जाति - ब्राम्हण
मिर्जापुर - अनुप्रिया पटेल - मंत्री बनेगी - पिछड़ी जाति - कुर्मी

पश्चिमी यूपी
 गाजियाबाद - वीके सिंह - अगड़ी जाति - राजपूत
नोएडा - महेश शर्मा - अगड़ी जाति - ब्राम्हण
 मुजफ्फरनगर - नरेश बालयान - जाट
आगरा - रमाशंकर कठेरिया - कुर्सी जा सकती है। - दलित

मध्य यूपी

लखनऊ - राजनाथ सिंह - अगड़ी जाति - राजपूत
 पीलीभीत - मेनका गांधी - अगड़ी जाति
बरेली - संतोष गंगवार - पिछड़ी जाति -कुर्मी
 फतेहपुर - निरंजन ज्योति - पिछड़ी जाति - निषाद
 शाहजहांपुर - कृष्णा राज - मंत्री बनेगी - दलित - पासी
बुंदेलखण्ड
झांसी - उमा भारती - पिछडी जाति - लोध
इसी बदलाव के माध्यम से सियासी संदेश देने की कोशिश होगी। जानकारों का तो ये भी मानना है कि प्रधानमंत्री ने इसके लिए बाकायदा पूरी तैयारी कर ली है। उत्तर प्रदेश में जिस जातीय समीकरण को लेकर समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी की मायावती अपनी-अपनी सरकार बनाने की फिरा$क में लगे हैं, प्रधानमंंत्री मोदी का ये बदलाव उनकी मुश्कें कसने के लिए काफी है। इससे एक सीधा सा संदेश जनता में जाएगा कि भाजपा हर समाज और हर जाति के लिए कार्य कर रही है। इसके अलावा ये मंत्री भी जातीय समीकरणों को साधने में सहायक साबित होंगे। यानि कुल मिलाकर इस मंत्रिमंडल का विस्तार उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को साधने का साधन बनेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। इसी को आधार बनाकर भाजपा उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा को आने वाले चुनाव में पटखनी देने की रणनीति बना रही है। हालांकि वे अपने इस मिशन में कहां तक कामयाब होंगे ये तो आने वाला समय बताएगा, मगर एक बात तो पक्की है कि मुकाबला कांटे का होगा।

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