शासन की झूठी कहानी पर मोदी की मेहरबानी-



सवालों के घेरे में मनरेगा के तहत छत्तीसगढ़ को मिले तीनों राष्ट्रीय सम्मान

घोषणाएं 150 दिन रोजगार देने की, पौन फीसदी को ही दे सके काम, करोड़ों की मजदूरी बाकी,
 राज्य की डॉ. रमन सिंह की सरकार मनरेगा के तहत डेढ़ सौ दिनों का रोजगार देने का दावा किया था, मगर 0.77 फीसदी लोगों को ही सौ दिनों का काम दे सकी। जब कि राज्य में 39 लाख 30 हजार 617 जॉब कार्डधारी हैं। 13 लाख 95 हजार 961 लोगों ने रोजगार मांगा। इनमें 2.29 प्रतिशत को डेढ सौ दिनों और 0.77 प्रतिशत लोगों को सौ दिनों का काम दिया गया। तो वहीं भुगतान के लिए खून के आंसू रुलाए गए। अभी भी तमाम मजदूरों की मजदूरी बकाया है। ऐसी सरकार को केंद्र सरकार ने मनरेगा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तीन-तीन राष्ट्रीय पुरस्कार 2 फरवरी को दिल्ली बुलवा कर दे डाले। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो समझ में नहीं आता कि राज्य सरकार ने ऐसा कौन सा तीर मार दिया कि उसको तीन-तीन सम्मान केंद्र सरकार ने दे मारे?
 मनरेगा में राज्य सरकार की मनमानी और केंद्र की मेहरबानी की कहानी



रायपुर।
बॉक्स-
असलियत बयां करते आंकड़े-
2015-16 में 25 अक्टूबर तक की स्थिति
जॉबकार्डधारियों की संख्या- 39 लाख 30 हजार 617
रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या- 13 लाख 95 हजार 961
परिवारों की संख्या जिन्हें रोजगार उपलब्ध- 9 लाख 81 हजार 110 यानी मांग करने वालों का 70.28 प्रतिशत
150 दिन का रोजगार पूरा कर चुके परिवार - 32000 यानी मांग करने वालों का 2.29 प्रतिशत
100 दिन का रोजगार पूरा कर चुके परिवार-10815 यानी मांग करने वालों का 0.77 प्रतिशत
क्या है पूरा मामला-
पूरे प्रदेश में 39 लाख 30 हजार से अधिक परिवार मनरेगा के तहत जॉबकार्ड धारी हैं। मनरेगा की वेबसाइट के मुताबिक इनमें से 13 लाख 95 हजार लोगों ने छत्तीसगढ़ सरकार से काम की मांग भी की है। इन परिवारों में से केवल 9 लाख 81 हजार परिवारों को काम मिला। लेकिन अधिकांश परिवार केंद्र सरकार द्वारा तय 100 दिन का काम नहीं पा सके। इनमें से पौन फीसदी यानी केवल 10 हजार 815 लोगों को ही केवल 100 दिनों का काम मिल पाया है। वहीं 2.29 फीसदी यानी 32 हजार से अधिक परिवारों को 150 दिनों का काम मुहैया कराया जा सका है।
हाशिए पर गई मुख्यमंत्री की घोषणाएं-
सूखा प्रभावित जिलों को 150 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने की घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की थी। उसकी असलियत ये रही कि बहुत कम लोगों को डेढ सौ दिनों का रोजगार मिल पाया। वहीं जिनकी मजदूरी बाकी है वे अभी तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर पर चक्कर लगाए जा रहे हैं। आए दिन इसको लेकर धरना प्रदर्शन होता ही रहता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार-
प्रदेश में जिन जॉबकार्डधारी परिवार ने जितने दिन की मजदूरी की मांग की है, उन्हें दी गई है। इसके लिए फंड की भी कोई कमी नहीं है। 32 हजार से अधिक लोगों को 150 दिनों का काम दिया गया है। सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के तहत बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे, जिसमें 3 लाख से अधिक जॉबकार्ड धारियों को 150 दिनों का काम मुहैया कराया जाएगा।
- पीसी मिश्रा, मनरेगा आयुक्त

तमाम जिलों में मजदूरों को नहीं मिला भुगतान-
मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की पीड़ा ये है कि काम तो करवा लिया गया, मगर उनको मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। आलम ये है कि महज बलौदाबाजार जिले में 3,32,96000 रुपए बकाया है। जब कि पूरे जिले में महज 785 लोगों को रोजगार मिला है। जिले में कुल 611 ग्राम पंचायतें हैं मगर 48 में ही मनरेगा का काम होता है।

बॉक्स- में
कहां किया गया सम्मानित
 2 फरवरी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित महात्मा गांधी नरेगा सम्मेलन में विभिन्न राज्यों द्वारा नरेगा के तहत किये गये उत्कृष्ट कायों की प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सरकार को इस पुरस्कार से नवाजा गया।
केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री  राव वीरेन्द्र सिंह के हाथों छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव  पी.सी.मिश्रा और नोडल अधिकारी सुभाष मिश्रा ने राज्य सरकार के लिए यह पुरस्कार ग्रहण किया। सम्मेलन में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की पाढ़ी ग्राम पंचायत की सरपंच  सुषमा मिंज को मनरेगा में सकारात्मक कार्य करने के लिए भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
धमतरी को भी मिले थे 2 पुरस्कार-
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के तहत धमतरी जिले को राष्ट्रीय स्तर के दो पुरस्कारों से एक बार फिर नवाजा गया है।  दो फरवरी को ये पुरस्कार केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने दिए ।



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