डिग्रियों की आड़ में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़



 सरकारी डिग्रियों की आड़ में स्वास्थ्य विभाग में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये सब कहीं और नहीं प्रदेश के मुखिया के विधानसभा क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा है। डॉ. एमजे.मेमन जो रायपुर अंबेडकर अस्पताल में पदस्थ बताए जाते हैं उनके हस्ताक्षरों वाली पैथॉलॉजी की रिपोर्ट राजनांदगांव और राजिम के पैथॉलॉजी सेंटर्स से जारी हो रही है। तो वहीं जिला अस्पताल में कार्यरत लैब तकनीशियन वीके डाम्बले भी बाकायदा अपने हस्ताक्षर करके जांच रिपोर्ट जारी कर रहा है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या कोई आदमी सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिश कर सकता है? इसके जवाब देने के लिए सारे जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है और ये गोरखधंधा बदस्तूर जारी है।

राजनांदगांव ।
कैसे चल रहा है ये गोरखधंधा-
 ऐसा मामला प्रकाश में आया है कि जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास श्रीराम पैथोलॉजी राजनांदगांव में रायपुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ प्रोफेसर  डॉ.एमजे.मेमन के नाम से प्रदेश भर में नाम पर फर्जी लैब संचालित हो रहा है । जब हमारी सरकार की टीम ने एक मरीज की रिपोर्ट ली तो पता चला कि श्रीराम पैथोलॉजी के  ही संचालक स्वयं रिपोर्ट बना रहे हैं ।  जब कि जिस डॉ. के नाम का लेटरपैड़ इस्तेमाल हो रहा है वो तो कभी रायपुर से राजनांदगांव आते ही नहीं हैं । जब कि  डॉ एमजे. मेमन ने अपने लाइसेंस को सिर्फ कलेक्शन करने और उनके द्वारा जहां- जहां लैब खोली गई है वह भी खाली लैब टेक्नीशियन द्वारा ही रिपोर्ट जारी की जा रही है।
70 मरीजों के खून की रोज होती है जांच-
मरीजों के खून जाँच के धंधे में रोज 50 से 70 मरीजों को टेक्नीशियन द्वारा फर्जी रिपोर्ट दी जा रही है।  वहीं कुछ मेडिकल कॉलेज के भी डॉक्टर्स को पता है लेकिन वे तो खाली मरीजों को खून की रिपोर्ट देखकर ही दवाई लिखते हैं।
रायपुर में ड्यूटी और राजनांदगांव में साइन-
अब सवाल यह उठता है कि जब श्रीराम पैथॉलॉजी की जांच रिपोर्ट में  डॉ एम. जे.मेमन के हस्ताक्षर से जारी होती है। ऐसे में ये कैसे संभव है कि कोई ड्यूटी रायपुर में करता हो और हस्ताक्षर राजनांदगांव और राजिम में?  इसकी शिकायत जब स्वास्थ्य विभाग से लगातार की जा रही है मगर विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?लोगों को मामले की जांच चल रही है बता कर चलता कर दिया जाता है।
राजिम में भी चल रहा पैथॉलॉजी सेंटर-
 मेमन के लाइसेंस में राजिम में भी गायत्री पैथॉलॉजी के नाम से भी एक लैब है । वहां पर भी टेक्नीशियन ऐसी ही फर्जी रिपोर्ट दे रहा है।  खाली खून की जाँच में मलेरिया ,टाईफाइड ,हीमोग्लोबिन,ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट रोज फर्जी दी जाती है। जब भी जिला स्वस्थ्य विभाग को कोई भी शिकायत करता है तो खाली एक ही जवाब मिलता है। जाँच चल रही है । जब की सचाई कुछ और होती है ।
क्या कहता है नियम-
नियम तो ये कहता है कि कोई भी चिकित्सक व्यक्ति सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिश नहीं कर सकता। तो क्या ये नियम डॉ. एम.जे मेमन पर लागू नहीं होता?
जिला अस्पताल का तकनीशियन-
जिला अस्पताल राजनांदगांव में लैब टेक्रिशियन के पद पर कार्यरत वीके. डाम्बले श्रीराम पैथॉलॉजी सेंटर की तमाम रिपोर्ट्स पर धड़ल्ले से साइन कर रहा है। जब कि नियम ये है कि सरकारी अस्पताल में कार्य करते समय किसी भी प्राइवेट कंपनी में जॉब नहीं किया जा सकता है।
6 महीने से बंद है जिला अस्पताल की ईसीजी मशीन-
मरीजों ने आरोप लगाया कि इसी डाम्बले की कारस्तानी की वजह से पिछले 6 महीने से जिला अस्पताल की ईसीजी मशीन बंद है। ये डॉक्टर्स को कमीशन का लालच देकर उनसे बाकायदा मरीजों को ईसीजी की जांच लिखवाता है और उनको इसी पैथॉलॉजी सेंटर से कर के देता है।
पैथॉलॉजिस्ट का बयान-
पैथॉलॉजिस्ट डॉ. वीके. डाम्बले ने बताया कि उनको एक महीने पहले ही रिटायर्डमेंट का लेटर विभाग ने जारी कर दिया है। उसके बाद वे इन कागजों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। तो वहीं ईसीजी मशीन को खराब करने की बात को उन्होंने सिरे से खरिज कर दिया।
कमीशन का खेल-
स्वास्थ्य विभाग में टेस्ट कराने के नाम पर कमीशनखोरी का खेल काफी पुराना है। जो बदस्तूर आज भी चलता आ रहा है। ऐसे में कुछ हो न हो मगर कमीशन लेकर डॉक्टर्स जांच की लंबी  फेरहिस्त गरीब मरीजों के परिजनों को थमा देते हैं। उसके बाद ये बेचारे पैथॉलॉजी सेंटर्स का चक्कर लगाते हैं। जहां इनकी बाकायदा जेब काटी जाती है। ये तमाशा आज से नहीं पिछले कई दशकों से चलता आ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री को बुखार-
इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर का पक्ष जानने के लिए जब उनके मोबाइल पर कॉल की गई तो उनके पीए ने बताया कि मंत्री जी को बुखार है। वे आराम कर रहे हैं आप विषय लिखवा दीजिए जवाब मिल जाएगा।
स्वास्थ्य सचिव ने नहीं उठाया फोन-
स्वास्थ्य विभाग के सचिव सुब्रत साहू से जब उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो लगातार घंटी जाती रही मगर उन्होंने फोन नहीं रिसीव किया। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि जो अधिकारी जरूरतमंदों की कॉल रिसीव नहीं करते सरकार उनको मोबाइल फोन क्यों मुहैय्या कराती है।
वर्जन-
हमने इसकी टीम बना दी है मामले की जांच की जाएगी। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. मिथिलेश चौधरी
सीएमओ
राजनांदगांव


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