गेहूं के कट्टे में मिट्टी मिला रहे थे प_े



अच्छे दिनों का नारा देकर अपनी कई पीढिय़ों का चारा बटोरने वाले शिव राज में अधिकारी मिलावट, भ्रष्टाचार जैसे अंधेर करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पहले जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट में पत्थर और प्लास्टिक मिलाकर किसानों को ठग चुके अधिकारियों का पेट जब इससे नहीं भरा। तो भोपाल में आई बाढ़ पीडि़तों को बांटे जाने वाले गेहूं के कट्टे में मिट्टी मिला दिए मुख्यमंत्री के प_े। गरीबों को दिए जाने वाले 50 किलो के गेहूं के कट्टे में 20 किलो मिट्टी सुनकर गुम हो जा रही अच्छे-अच्छों की सिट्टी-पिट्टी। ऐसे में सीधा सा सवाल कि क्या प्रशासन से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं दलाल.... जो व्यवस्थाओं को धत्ता बता कर हो रहे हैं मालामाल.... क्या इसी के चलते बिगड़ी है यहां कानून व्यवस्था की चाल....तब तो हर कोई यही कहेगा कि अरे वाह रे...भोपाल..!
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भोपाल। राजधानी में राशन दुकानों में सप्लाई होने वाले गेंहू की 25 बोरियों में से 2 बोरी गेहूं मिट्टी की मिलावट वाला होता था। इसमें मिलावट का काम एमपी स्टेट सिविल सप्लाई और एमपी वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों की सांठ-गांठ से होता था।
यह खुलासा राजधानी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र राजीव नगर में पीडि़तों को बांटे गए गेहूं की 50 किलो वजन की बोरी में 20 किलो मिट्टी निकलने के मामले का खुलासा हुआ। उधर, जिला प्रशासन ने इस मामले में एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के कनिष्ठ सहायक दिनेश चौरसिया को निलंबित करने के साथ ही कॉर्पोरेशन के जिला प्रभारी राजेंद्र यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इससे पहले एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन और जिला प्रशासन के अफसरों ने सीहोर रोड स्थित करतार वेयर हाउस का निरीक्षण किया। वेयर हाउस के एक कर्मचारी ने बताया कि वेयर हाउस कार्पोरेशन और एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के अफसरों ने आपस में सांठगांठ करके यहां रखीं बोरियों से गेहूं निकालकर उसकी जगह 15 से 20 किलो मिट्टी भरवा दी। यह मिट्टी गोदाम के नजदीक के खेत से खोदकर लाई जाती थी। निरीक्षण के दौरान मिलावट पकड़ में न आए, इसके लिए इन बोरियों को अच्छे गेहूं की बोरियों के नीचे दबाकर रखा जाता था।
बोरियां फटने के बाद होती है मिलावट-
सूत्रों के अनुसार वेयर हाउस में खरीदी केंद्रों से आने वाला गेंहू रखा जाता है। इनको लोड-अनलोड करने के दौरान कई बारियां फट जाती हैं या हुक कारण बोरियों गेंहू गिरने गिरने लगता है। इसे समेट कर इकठ्ठा कर लिया जाता था। फिर इसमें मिट्टी मिलाकर 50-50 किलो की बारी बनाई जाती थी। इसके लिए सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन की बोरियों का इस्तेमाल होता था। इन बोरियों में किसी भी सोसायटी की सील नहीं होती है, जबकि गेंहू की बोरी पर सोयायटी की सील होना जरूरी है। जब्त हुई 31 बोरियों में किसी भी सोसायटी की सील नहीं है। इसके चलते इस मामले में सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, खाद्य विभाग और वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के अफसरों की भूमिका भी संदेह में है।
गोदाम में रखा है सवा दो अरब का गेंहू-
करतार वेयर हाउस में जिले की 45 उपार्जन केंद्र (खरीदी केंद्र) से खरीदा गया गेंहू रखा है। यह गेंहू जिले के 16 हजार 880 किसानों से खरीदा गया है। गेंहू की कीमत 2 अरब 18 करोड़ 67 लाख 36 हजार 692 रुपए है। यह गेंहू जिले के 3 लाख 43 परिवारों को बांटा जाना है। गोदाम से हर महीने 70 हजार क्विंटल गेंहू शहर की कंट्रोल दुकानों को सप्लाई होता।
चार साल में हुई गेंहू खरीदी
वर्ष खरीदी
2015-16 1 लाख 43 हजार मीट्रिक टन
2014-15 2 लाख 14 हजार मीट्रिक टन
2013-14 1 लाख 81 हजार मीट्रिक टन
2012-13 2 लाख मीट्रिक टन
विधानसभा में हंगामा
इस मुद्दे पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए। वहीं, कांग्रेस ने खाद्य मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के इस्तीफे की मांग की। आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि बाढ़ पीडि़तों को जो गेहूं बांटा गया है उसी गेहूं को मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल समेत उनके परिवार से खाने की अपील करेंगे।
विदिशा में बंटी वर्मी कंपोस्ट में निकले पत्थर और प्लास्टिक
विदिशा में किसानों को बांटी गई वर्मी कंपोस्ट खाद में पत्थर और प्लास्टिक मिलने की शिकायत पर जांच कागजों पर चल रही है। यहां रबी के सीजन में करीब 65 लाख रुपए की खाद का वितरण किया गया था। मार्कफेड ने सदरू हाईटेक रिसर्च नामक कंपनी को सप्लाई का ठेका दिया था। खाद इतनी घटिया थी कि कई किसानों ने इसे लेने से ही इनकार कर दिया। उन्होंने कृषि अधिकारियों से खाद के खराब होने की शिकायत भी की। लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में शिकायत को अनसुना कर दिया गया। जब किसानों ने कलेक्टर कार्यालय में हंगामा किया, तब जाकर जांच के लिए चार अफसरों की कमेटी बनाई गई।
क्या है मामला
भोपाल में बाढ़ के बाद राहत के नाम पर सोमवार को गेहूं की बोरियां बांटी गईं। 50 किलो की 1 बोरी में 20 किलो मिट्टी निकली, हंगामे के बाद गेहूं वापस।
कार्रवाई क्या हुई
एमपी स्टेट सिविल कॉर्पोरेशन के कनिष्ठ सहायक दिनेश चौरसिया निलंबित। जिला प्रभारी राजेन्द्र यादव को शोकॉज, 106 दुकानों से सैंपल लिए।
लोडिंग में जल्दबाजी से खुली पोल
गोदाम के कर्मचारी ने बताया कि भोपाल में बाढ़ प्रभावितों को गेहूं की सप्लाई करने का आदेश मिलने के बाद सिविल सप्लाई कॉर्पोरशन और वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के अफसरों ने मिलावट वालीं 300 बोरियां लोड करवा दीं। नतीजतन बीपीएलधारकों को दिए जाने वाला मिट्टी मिला गेहूं राहत सामग्री के रूप में सप्लाई हो गया।
200 बोरियों के नीचे दबी मिलीं मिलावट वालीं 31 बोरियां
अफसर जब गोदाम का निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्हें गेहूं की 200 बोरियां अलग से तिरपाल से ढंकी मिलीं। इन बोरियों को हटवाया गया तो वहां 31 बोरी गेहूं मिट्टी की मिलावट वाला मिला। प्रत्येक बोरी का वजन 50-50 किलो था। इसमें 15 से 20-20 किलो मिट्टी भरी हुई थी। निरीक्षण टीम ने बोरियों को जब्त कर लिया है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार-
मिट्टी वाला गेंहू बंटवाने वालों ने कहा मैं जिम्मेदार नहीं
इस मामले में मैं कुछ नहीं बोल सकती और न ही मैं  किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए जिम्मेदार हूं।
भारती ओगरे, जनरल मैनेजर, स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन
गेंहू की जांच करनी थी-
मेरी जिम्मेदारी गोदाम में रखे गेंहू की जांच करनी थी। मैंने अपना काम ठीक तरीके से किया। फिर गड़बड़ी कैसे हुई नहीं कह सकता।
राजेन्द्र यादव, प्रभारी जिला मैनेजर, स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन
बाढ़ पीडि़तों को मिट्टी की मिलावट वाला गेंहू सप्लाई हुआ
सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के स्तर पर गेंहू खरीदी से लेकर गोदाम में रखवाने और दुकान तक पहुंचाने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। बावजूद इसके बाढ़ पीडि़तों को मिट्टी की मिलावट वाला गेंहू सप्लाई हुआ? इसकी जांच जारी है।
ज्योति शाह, जिला नियंत्रक, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
गडबड़ी के लिए सक्सेना जिम्मेदार
मैं गेहूं रखवाने का काम कराता हूं। लेकिन, मिट्टी की मिलावट के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। इसका जिम्मा वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के कर्मचारी एवं वेयर हाउस मैनेजर जीके सक्सेना का है।
दिनेश चौरसिया, कनिष्ठ सहायक, सिविल सप्लाई कार्पोरेशन
कॉर्पोरेशन के अफसर दें जवाब
गेहूं की सप्लाई और उसकी गुणवत्ता की निगरानी सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के अफसरों की है। मिलावट कैसे हुई? जवाब सिविल सप्लाई कॉर्पोरशन के कर्मचारी और अफसर ही दे सकते हैं।
जीके सक्सेना, मैनेजर , एमपी वेयर हाउस कार्पोरशन
सभी जिलों में होगी जांच
चार सदस्यीय टीम गठित की है। जांच दल अगले सप्ताह जांच करने विदिशा जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में जांच करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव कृषि
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