नोटबंदी से 6 हजार बेरोजगार





मामला उरला -सिलतरा का, विरोध पर भी लगा दिया ऐसे रोक, गुस्से में मजदूर
रायपुर। सरकार नोटबंदी के फैसले को सबसे क्रांतिकारी कदम बता रही है। सरकार का कहना है कि इसका सबसे अधिक लाभ देश के गरीब और कमजोर तबके को होगा। मगर रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र के हालात तो कुछ और ही बयां करते हैं। यहां नोटबंदी के बाद से छह हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी से हटा दिया गया है। औद्योगिक क्षेत्र उरला एवं सिलतरा में नोटबंदी के बाद छह हजार से ज्यादा मजदूरों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है। हालांकि फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि जब हालात सुधर जाएंगे तो इन्हें काम पर वापस बुला लेंगे। लेकिन लिखित में बयान नहीं दिए जाने की वजह से मजदूरों में गुस्से का माहौल है।

इलाके में धारा 144 लागू -
इधर, माहौल को देखते हुए उरला और सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र में हड़ताल और आंदोलन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संबंध में अनुविभागीय दंडाधिकारी ने जारी कर दिया है और साथ ही जिला और पुलिस प्रशासन को आदेश दिए गए हैं कि पूरे क्षेत्र को संवेदनशील मानते हुए धारा 144 को लागू कर दी जाए।

कर्मचारियों में आक्रोश-

बीते कुछ दिनों से कई फैक्ट्रियों के कर्मचारी आक्रोशित हैं। एक फैक्ट्री में तो नोटबंदी के बाद आये संकट से निपटने श्रम कानून के पालन किए जाने के हक को लेकर मजदूरों द्वारा चार दिनों हड़ताल भी जारी थी।
उधर, वर्तमान में जारी संकट पर चर्चा करने के लिए दो दर्जन से ज्यादा उद्योग संघों की बैठक 14 तारीख को चेम्बर भवन में बुलाई गई थी।

मजदूर संघ भी इस मुद्दे पर आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। सीटू के प्रदेश उपमहासचिव धर्मराज महापात्रा ने  कहा कि नोटबंदी के बाद केवल पूरे प्रदेश के 50 प्रतिशत संगठित और गैर संगठित मजदूर प्रभावित हुए हैं।  उन्होंने उरला सिलतरा में धारा 144 लगाये जाने की भी निंदा की।
राज्य में डेढ़ लाख मजदूर छंटनी की शिकार: सिंह-
वहीं कांग्रेस  प्रवक्ता आरपी सिंह ने उरला सिलतरा के हालात पर कहा कि मजदूरों को उनके हक़ की आवाज़ बुलंद करने से भी रोकना गलत है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में करीब डेढ़ लाख मजदूर नोटबंदी के बाद छटनी के शिकार हो चुके है।
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