गरीबों की अनदेखी
जीने का अब तो बस इतना ही संबल है, रत्ती भर कविता है मु_ी भर चावल है। जी हां उस गरीब के पास तो वो भी नहीं था। दंतेवाड़ा के भांसी का वो गरीब परिवार अपनी नवजात बच्ची को जगदलपुर के महारानी अस्पताल में इस उम्मीद से भर्ती कराया था कि उसकी लाडो की जिंदगी बच जाएगी। दो दिनों तक भूखे-प्यास दोनों वहां डॉक्टर्स के जवाब का इंतजार भी करते रहे। उन गरीबों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो कुछ खरीदकर खा सकें। ऐसे में तीसरे दिन उन लोगों ने एक कड़क फैसला लिया और बिटिया की जिंदगी भगवान भरोसे छोड़कर रोजी-रोटी की जुगाड़ में गांव लौट आए। उधर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इसी बीच बच्ची की हालत बिगड़ी और वो चल बसी। अस्पताल वालों ने अब लाश देने के लिए उसके परिजनों की तलाश करनी शुरू की तो पता चला कि वो तो पूरे अस्पताल परिसर में कहीं हैं ही नहीं। मजबूरन अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस भी अलसाती, उंघाती आठ दिनों के बाद उनके गांव पहुंची और ये मनहूस खबर बच्ची के माता पिता को दी। बेचारे रोते कलपते जगदलपुर आए और शव विच्छेदन गृह से अपनी बिटिया का सड़ागला शव लेकर रवाना हुए। सुराज की सरकार और उसके नक्कारा प्रशासन के लिए इससे ज्यादा डूब मरने वाली बात आखिर और क्या हो सकती है? लगातार गरीब के करीब होने का दावा करने वाली सरकार की इस असलियत को देखकर हम स्तब्ध हैं। सवाल तो ये उठता है कि आखिर गरीबों का ह$क कौन मार रहा है? कौन है वो आदमी जो गरीबों के हिस्से का दाना और दवाएं तथा सुविधाएं डकारे जा रहा है? प्रशासन के हाथ उस पर कार्रवाई करने में क्यों कांप रहे हैं?
क्या अस्पताल में दवाएं नहीं थीं? अगर थीं तो उनका उपयोग उस गरीब की बच्ची को बचाने के लिए क्यों नहीं किया गया? अधिकारियों और कर्मचारियों ने उसके स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों नहीं दिया? वैसे भी उस अस्पताल में ये कोई नई बात नहीं है। पहले भी यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लापरवाही के तमाम आरोप लगते रहे हैं। इससे उनकी कार्यशैली पर कोई खास प्रभाव भी नहीं पड़ा।
पीडीएस के मॉडल का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार का सिर इस खबर को सुनकर शर्म से गड़ जाना चाहिए। इस सच्चाई के पीछे के कारणों और कारकों को तलाशना चाहिए। इसके अलावा वे चाहे जो भी हों उनको वैधानिक प्रक्रिया के तहत सजा भी मिलनी चाहिए। अगर राज्य सरकार ऐसा कर पाने में सक्षम होती है तब तो आम आदमी की आस्था राज्य सरकार में बढ़ेगी। यदि ऐसा नहीं होगा तो फिर तो इनका भगवान ही मालिक है।
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