हाशिए पर जाते नेता जी





यूपी में आया सियासी भूचाल, अखिलेश की ढाल बन गया। तो वहीं अब रामगोपाल का कद भी बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही साथ नेताजी यानि मुलायम ङ्क्षसह यादव सियासी हाशिए पर जाते दिख रहे हैं। अखिलेश यादव ने एक ओर जहां अपने सियासी रणकौशल का परिचय देते हुए समझौते के तौर पर 207 विधायकों की सूची मुलायम सिंह के हाथों में सौंपी। तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने तीन सूत्रीय मांगें भी रख दीं। इसमें सबसे पहली मांग ही है कि अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए, और मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक बने रहेंगे। खबर है कि अखिलेश की ये मांगें मान ली गई हैं। उनका निलंबन भी रद्द कर दिया गया है। ऐसे में अमर सिंह की वो वाणी अब सत्य साबित होगी कि बेटा करेगा राज और बाप वन को जाएगा। उधर राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी में बैठी भाजपा के मंसूबों पर भी पानी फिर गया है। अखिलेश और रामगोपाल का कद बढ़ा और ये भी संदेश जाएगा कि अखिलेश ही पार्टी का चेहरा होंगे। इसका फायदा ये भी हो सकता है कि अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार को चुनाव में करारी टक्कर देगी। सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि ये अखिलेश की सियासत चमकाने का एक हाईप्राफाइल नुस्खा भर है। अब जल्द ही सपा की कमान पूरी तौर पर अखिलेश के हाथों में होगी। उनकी लोकप्रियता और उनके आवास के बाहर जुटी समर्थकों की भीड़ भाजपा के माथे पर बल डालने के लिए काफी है। इससे भाजपाइयों को ये समझना होगा कि अगर उनको प्रदेश में सरकार बनानी है तो उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इस हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद सपा इनके लिए कड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इससे उसका गढ़ और भी मजबूत हुआ है इसमें कोई दो राय नहीं है।

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