एकता की पीठ पर वार





गांवों में भी दबंगई हर जगह व्याप्त होती जा रही है। कुछ ताकतवर लोग मिलकर गरीबों का जीना मुहाल किए बैठे हैं। मजेदार बात तो ये कि उन बेचारों की सुनने वाला तक कोई नहीं है। इधर हमारा कानून कहता है कि लोकतंत्र में सबको समान अधिकार हंै? ताजा मामला कांकेर के पुसावंड गांव में 9 परिवारों का पिछले 3 सालों से हुक्का-पानी बंद किया जा चुका है। उनका दोष सिर्फ इतना है कि वो किसी विशेष धर्म को मानते हैं। तो वहीं एक परिवार का तो पिछले दस सालों से ही हुक्का-पानी बंद है। अब ये गरीब बेचारे अपनी पीड़ा आखिर कहें भी तो किससे? कोई दूर-दूर तक सुनने वाला नहीं दिखाई देता। तो वहीं दबंगों का फरमान है कि अगर इन परिवारों ने एक दूसरे से भूलकर भी बात की तो इनके ऊपर 5 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया जाएगा। इतनी बड़ी रकम उन गरीबों के लिए बहुत बड़ी रकम है। इसको सुनकर कितनों की तो डर के मारे नींद हराम हो गई होगी। ये दबंग चाहे जो कुछ भी करें कोई मतलब नहीं मगर गरीब आपस में बातें नहीं कर सकते।
ऐसा करने वालों को ये बात समझनी होगी कि भारत एक ऐसा देश है जहां विविध धर्मों को मानने और विविध भाषाओं को बोलने वाले अलग-अलग प्रजातियों के लोग एक साथ रहते हैं। यही हमारे देश का गौरव है, हमारे आपसी भाईचारे की मिसाल है। इसके लिए तमाम लोगों ने फूट डालने की कोशिशें भी कीं मगर सब के सब नाकाम रहे। भारत वो देश है जहां असरफ मियां रामलीला में राम का किरदार निभाते हैं। रोशन जलील रावण का तो रोशन जमील लक्ष्मण बनते हैं। इनका कपड़ा भी रोजन दर्जी सिला करते हैं। वह देश है जहां डॉ. सैय्यद महफूज़ हसन रिज़वीं पुण्डरीक जैसे विद्वान भागवत कथा सुनाते हैं। उनकी कथा सुनने के लिए बड़ी तादाद में भीड़ उमड़ती है। दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे सुंदर देश में कुछ ऐसे भी लोग रहते हैं जो इस देश की छवि को गंदा करने पर आमादा हैं।
छत्तीसगढ़ प्रशासन को चाहिए कि वो तत्काल प्रभाव से उन आहत गरीबों को राहत पहुंचाए। उनके रहने और खाने के साथ-साथ उनको समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिलाए। इसके अलावा संबंधित थानों को भी चाहिए कि वे समय-समय पर जाकर ऐसी जगहों की निगरानी रखें ताकि गरीबों के साथ फिर कोई भी दबंग इस तरह का अत्याचार न कर सके। यदि ऐसी स्थिति दोबारा बनती है तो संबंधित दबंगों पर भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत मामला पंजीबध्द कर उन पर वैधानिक कार्रवाई की जाए। ताकि गरीब और असहाय भी अपनी झोपडिय़ों में निर्भय होकर रह सकें।
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