यहां मरघट पर चलता है मॉडल स्कूल





- शिक्षा  के अधिकारों की बात करने वाले राज्य सरकार के बड़े अधिकारी किस तरह आंखें बंद करके फैसले करते हैं। इसकी बानगी जगदलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर लोहड़ीगुडा ब्लॉक के बड़ेधाराउर गांव में देखने को मिली। यहां के मरघट में ही प्रशासन ने मॉडल हाईस्कूल बना दिया। इलाके का सबसे बड़ा श्मशान होने के नाते यहां रोज-रोज लाशें जलाई जाती हैं। रोज ही यहां लोगों की चीत्कारें सुनाई देती हैं। ऐसे में भला कौन ऐसा होगा जो पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सके? प्रशासनिक लापरवाही ने यहां के बच्चों के चहरे से मुस्कान छीन ली है। वे हंसना-मुस्कराना तक भूल चुके हैं। मामले का खुलासा होने के बाद अब जिम्मेदार कार्रवाई की बात करते हैं। ऐसेे में सवाल तो यही है कि क्या काम के वक्त अधिकारी आंखें मूंदे रहते हैं? वैसे भी लगता है कि मरघट पर मॉडल स्कूल बनाकर प्रशासन भूल गया है।


चिताओं के बीच यहां बंटता है ज्ञान, कलाई खुलने पर शर्मिंदा हैं श्रीमान


 जगदलपुर।

क्या है पूरा मामला- 
दरअसल, शिक्षा विभाग ने एक बड़ी लापरवाही के चलते जगदलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर लोहड़ीगुडा ब्लॉक के बड़ेधाराउर गांव का यह हाईस्कूल मरघट में बना दिया है।  इसके चलते इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चे दहशत के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।  यहां बच्चे पढ़ाई के दौरान लाशों को जलते हुए देखने को मजबूर हैं। मरघट में स्कूल होने के चलते बच्चों के चेहरों से मुस्कान भी पूरी तरह से गायब है।  मरघट की इस जमीन पर बच्चे खेलते तक नहीं हैं बल्कि पूरे समय डर और दहशत के साए में पढ़ाई करते हैं।
यहां रोज गूंजती हैं चीखें और बहते हंै आंसू-
ऐसा कोई दिन नहीं होता जब यहां स्कूल परिसर में बने मरघट पर कोई लाश नहीं पहुंचती है।  लाशों के साथ कफन-दफन करने वाले जो लोग पहुंचते हैं उनके रोने से बच्चों का ध्यान भी बंटा रहता है और बच्चे चाहकर भी मन लगाकर पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।  वहीं लाश जलने की बदबू भी इस कदर फैलती है कि स्कूल के खिड़की दरवाजे हर वक्त बंद रहते हैं।  डर और दहशत इस कदर है कि स्कूल के मुख्य द्वार पर हर वक्त ताला लगा रहता है।  अगर धोखे से भी स्कूल के किसी कमरे की खिड़की खुल गई तो बच्चों की आंखों के सामने जलती हुई लाशें दिखाई देती हैं।
नाम दिया गया है मॉडल स्कूल-
गौरतलब है कि 2010 में लोहड़ीगुडा ब्लॉक में हायर सेकेंडरी स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण किया गया था, जहां दसवीं से लेकर बारहवीं तक के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं।  इसके अलावा दो साल पहले ही इस स्कूल की ऊपरी मंजिल पर मॉडल स्कूल खोला गया, जिसमें सीबीएससी पाठ्यक्रम के हाईस्कूल के बच्चे पढ़ाई करते हैं।
इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों ने भी स्थानीय विधायक से लेकर अफसरों तक से स्कूल के आसपास बाउंड्रीवॉल का निर्माण कराने की मांग की, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
 इस मामले की जानकारी बस्तर कमिश्नर और जिला शिक्षाधिकारी को दिए जाने के बाद अब जिम्मेदार जल्द की कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दे रहे हैं।

बॉक्स-
छात्र ने पानी पूरी खाई तो शिक्षक ने की धुनाई


छत्तीसगढ़ के कोरबा में कटघोरा क्षेत्र में एक शिक्षक को  गुस्सा आ गया क्योंकि छात्र स्कूल के बाहर ठेले से पानी पूरी खा रहा है।  उसने आव-देखा न ताव छात्र की जम कर पिटाई कर दी।  छात्र की मां की शिकायत पर पुलिस ने मारपीट एवं किशोर न्याय बालको की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम (जेजे एक्ट) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कटघोरा थाना अंतर्गत पुरानी बस्ती निवासी 11 वर्षीय बालक कटघोरा बेसिक माध्यमिक शाला में कक्षा 6वीं का छात्र है।  जो रोजना की तरह सुबह 10 बजे स्कूल जाने के लिए निकला था।  स्कूल के मुख्य द्वार पर लगे पानीपूरी के ठेले से वो पानीपूरी खाने लगा।
पानी पूरी खाने के कारण, शिक्षक ने छात्र को जम कर पीटा
छात्र पानीपूरी खाने में मस्त था तभी उसे वहां से गुजर रहे उच्च वर्ग शिक्षक मनोज कुमार ने देखा।  छात्र को पानीपूरी खाता देख शिक्षक इनते आगबबूला हो गए की छात्र की इस जरा सी बात पर धुनाई कर दी।  शिक्षक ने इसे अनुशासन के तहत उठाया गया कदम बताया।
शिक्षक की पिटाई से क्षुब्ध छात्र रोते हुए घर पहुंचा और उसने घटना की जानकारी अपनी मां को दी।  छात्र की मां की शिकायत पर पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ अपराध क्रमांक 385/16 धारा 294, 323 भादवि एवं 75 किशोर न्याय बालको की देखरेख व संरक्षण अधिनियम जेजे एक्ट 2015 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया।  जिले में शासकीय शैक्षणिक संस्थान में जेजे एक्ट का यह पहला मामला है।

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