राष्ट्रपिता का अपमान
छत्तीसगढ़ की अफसरशाही का भी कोई जवाब नहीं। जांजगीर के डभरा की मुख्यनगर पंचायत अधिकारी ने अवैध निर्माण के एक मामले में दिवंगत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ही नोटिस जारी कर 7 दिनों के अंदर जवाब मांगा है। राज्य में ये अपनी तरह का कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी बाकायदा दाउद इब्राहिम और ओसामा बिन लादेन के निर्वाचन कार्ड बनने की खबरें भी आ चुकी हैं। डभरा के मुख्य नगर पंचायत अधिकारी को कम से कम ये बात तो पता होनी चाहिए थी कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दिया था। यानि जिस महापुरुष की मौत 68 साल पहले हो चुकी हो। वो भला कहां से अवैध निर्माण करने आ धमका? कानून के साथ ऐसा खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों की योग्यता पर भी लोग अब सवाल उठाने लगे हैं। इस घटना का दुर्भग्यजनक पहलू ये है कि विद्वान अधिकारी ने 7 दिनों के अंदर नहीं हाजि़र होने पर उनके खिलाफ नगर पालिका अधिनियम 1961 की तमाम धाराओं के तहत कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है।
ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि ऐसा काम अधिकारी की योग्यता पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है। दूसरा महापुरुषों के नाम की आड़ में कानून के साथ खिलवाड़ बंद होना चाहिए। देश का कानून किसी को भी ये ह$क नहीं देता है कि वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम के साथ ऐसा खिलवाड़ करे। तो वहीं सरकार को भी चाहिए कि वो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जांच करवाकर उनको उचित सजा दिलवाए, ताकि देश की जनता का विश्वास देश की न्यायपालिका में बना रहे। इसके साथ ही साथ देश की जनता भी ऐसे अधिकारियों से गुजारिश करती है कि साहब कम से कम महापुरुषों को तो बख्श दिया कीजिए।
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