चौका वाला मौका





राज्य के दौरे पर आए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ये संकेत दिए हैं कि अगली बार भी डॉ. रमन सिंह ही प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग काफी लंबे अरसे से चली आ रही थी। प्रदेश में जिन तीन लोगों के नामों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था। उनमें प्रमुख आदिवासी नेता  रामविचार नेताम, पूर्व राज्यसभा सांसद नंदकुमार साय और केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था। तो वहीं काफी लोग सामान्य वर्ग से सरोज पाण्डेय, कैबिनेट मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल और विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ऐसे बड़े नाम हैं, जिनकी दिल्ली में तूती बोलती है। ओबीसी के तहत कुर्मी समाज से रायपुर सांसद रमेश बैस के अलावा मंत्री अजय चंद्राकर और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी इस रेस में थे।
इसके लिए मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने अपने सियासी कौशल का परिचय देते हुए पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को बुलाकर जंगल सफारी का उद्घाटन करवाया। तो वहीं 13 साल के जलसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष को बुलाया। इसके अलावा तमाम विकास कार्यों की जो सकारात्मक रिपोर्ट दिल्ली दरबार को मिली। उसका ही फायदा हुआ कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए कि अगली बार भी डॉक्टर रमन सिंह ही मुख्यमंत्री होंगे। तो वहीं उन्होंने आदिवासी नेता रामविचार नेता का सियासी कद बढ़ाकर आदिवासियों को अपनी ओर खींचने का काम भी कर दिया। ये हर कोई जानता है कि रायपुर विधान सभा का प्रवेशद्वार बस्तर से होकर गुजरता है। यही कारण है कि चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी गोटियां यहां सेट करती नज़र आती हैं।
अपनी मेहनत और कर्मठता की मिसाल पेश करते हुए डॉ. रमन सिंह ने मौका देखकर चौका मार दिया। तो इधर जाते-जाते श्री शाह ने टूटती कांग्रेस और छजकां का बढ़ता कुनबा और आदिवासियों से जुडऩे का संघर्ष करती आम आदमी पार्टी की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी है। इसका फायदा भी आने वाले चुनावों में राज्य की भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। राज्य में इन 13 सालों में भाजपा सरकार ने विकास की जो गंगा बहाई है उसका मेहनताना तो उसको मिलना ही चाहिए।

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