9 घरों का हुक्का-पानी बंद, साथ दिखने पर जुर्माना


   कांकेर।  कांकेर के पुसावंड गांव में धर्म विशेष को मानने को लेकर 3 सालों से 9 परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है। सितम की इंतेहा तो तब हो गई जब इन धर्म के ठेकेदारों ने इनके साथ दिखने पर भी 5 हजार रुपए का जुर्माना घोषित कर दिया।  जब इन गरीबों की सहनशक्ति जवाब दे गई तो इन्होंने मंगलवार को कलेक्टोरेट में आकर कलेक्टर से अपनी पीड़ा सुनाई और न्याय की मांग की।
पूरी कहानी पीडि़तों
की जुबानी-
कलेक्टोरेट पहुंची परिवार की तिजो सलाम, रोयदासिन नेताम, हिरोंदी कुलदीप, प्रमीला कोर्राम, राधा साहू, ऐमू सार्वा, सोमीन कुलदीप, लता नेताम, सुकमोतीन शोरी ने बताया कि ग्राम प्रमुखों ने गांव से बहिष्कृत कर दिया है। गांव में पिछले तीन साल से बहिष्कार की घटनाएं जारी है। बहिष्कृत परिवारों को गांव के किसी के घर-मजदूरी करने या गांव के किसी अन्य को उनके यहां मजदूरी करने पर प्रतिबंध है। बहिष्कार से परिवारों के सामने जीवन-यापन की समस्या पैदा हो गई है। गांव के लोग परिवार के सदस्यों से इसलिए बात नहीं करते। बात करने पर 5000 रुपए जुर्माना भरना होगा। ग्रामीण लेन-देन करने या साथ आने-जाने से भी डरते हैं। यहां तक की गांव से बाहर भी किसी के घर मजदूरी करते ग्रामीणों के साथ पाए गए, तो जुर्माना भरना होगा।
दहशत में गुजरती है परिवारों की रात
पीडि़त महिलाओं ने बताया कि तीन साल से बहिष्कार का दर्द झेल रहे उनके परिवार आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त हो रहे हैं। ग्राम प्रमुखों के फैसले के कारण परिवार वालों को हमेशा जान-माल का डर बना रहता है। दहशत के चलते उनके परिवार के सदस्य रात में ठीक से सो भी नहीं पाते हैं। सदस्यों को हर पल यही खौफ सताता रहता है कि न जाने कब उनके साथ कोई हादसा हो जाए। महिलाओं ने कलेक्टोरेट में अधिकारियों के सामने कहा कि यदि परिवार के साथ कोई अनुचित घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रमुखों की होगी। महिलाओं ने गांव के करीब एक दर्जन लोगों के जिला प्रशासन को सौंपे हैं।
एक परिवार 10
साल से बहिष्कृ त
गांव के गनपत कुलदीप ने बताया कि उनका परिवार पिछले 10 साल से गांव से बहिष्कृत है। ग्राम प्रमुख उन्हें अपने रीति-रिवाज मानने दबाव बनाते हैं। जबकि उसका परिवार अपनी स्वेच्छा से अपने धर्म का पालन कर रहा है। ग्राम प्रमुखों के बहिष्कार के फैसले से उसका परिवार बेहद परेशान है।

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