दिल्ली में जारी है ऑपरेशन लवली नोज


किसी भी आतंकी चुनौती को नाकाम करने में सक्षम ढ्ढञ्जक्चक्क की क्रैक ्य-9 यूनिट्स


नई दिल्ली। इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ढ्ढञ्जक्चक्क) की ओर से गणतंत्र दिवस परेड पर आतंकवादियों की किसी भी चुनौती को नाकाम करने के लिए ऑपरेशन लवली नोज तैयार किया गया है।  दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से ढ्ढञ्जक्चक्क के क्रैक ्य-9 यूनिट्स की मांग की है।  दिल्ली पुलिस की ओर से ये अंर्जेट मांग 14 दिसंबर को सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की उच्चस्तरीय बैठक के बाद की गई।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा का जायजा लेने के लिए हुई बैठक में आंतकवादियों की चुनौती को लेकर मिले सभी इनपुट्स पर गौर किया गया।  इसका ये निष्कर्ष निकला कि आतंकवाद से जुड़ा खतरा शीर्ष पर है।  इनपुट्स के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों ने स्लीपर सेल्स को नए सिरे से सक्रिय किया है जिससे कि इस बार गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर आतंकी घटना को अंजाम दिया जा सके।

इन्हीं सब हालात में ऑपरेशन लवली नोज को लॉन्च किया गया है।  दिल्ली पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक इस ऑपरेशन में ढ्ढञ्जक्चक्क की ओर से खास तौर पर प्रशिक्षित कुत्तों की मदद ली जा रही है।  ये कुत्ते क्कश्वष्ठष्ठ (पेट्रोल एक्सप्लोसिव डिटेक्टिव डॉग्स) के तौर पर भी जाने जाते हैं।

दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने ये जानकारी देने से इनकार किया कि इलीट ढ्ढञ्जक्चक्क क्रैक ्य-9 यूनिट्स के कितने सदस्यों को तैयार किया गया है।  हालांकि ये बताया गया कि ढ्ढञ्जक्चक्क ने इस बार विश्व प्रसिद्ध मेलानोइस (बेल्जियन शेपर्ड) कुत्तों को नेशनल डॉग ट्रेनिंग स्कूल में बेहद सीक्रेट ट्रेनिंग मॉडयूल के तहत प्रशिक्षित किया।  ये ट्रेनिंग स्कूल शिवालिक पहाडिय़ों की तलहटी में स्थित भानु में मौजूद है।

ढ्ढञ्जक्चक्कका ऑपरेशन लवली नोज का आधार क्रैक ्य9 कुत्तों की सूंघने की अद्भुत क्षमता पर आधारित है।  आतंकी हमले के इरादे से लाए जाने वाले विस्फोटकों को सूंघ कर पहले से ही अलर्ट कर देने के मामले में इऩ कुत्तों का कोई सानी नहीं।  यही वजह है कि इस मामले में इन्हें सबसे भरोसेमंद माना जाता है।

ढ्ढञ्जक्चक्कके इन कुत्तों का 1975 से ही जीरो टेरर का जबर्दस्त रिकॉर्ड है।  बता दें कि ढ्ढञ्जक्चक्कके कुत्तों ने जिस इलाके, जिस रास्ते को पहले से सैनेटाइज किया वहां कभी ढ्ढञ्जक्चक्क को बारूदी सुरंग या घात लगाकर किए गए हमले का सामना नहीं करना पड़ा।  अभी तकढ्ढञ्जक्चक्क ही ऐसा बल है जिसका छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान कभी घात लगाकर होने वाले हमलों का सामना नहीं हुआ।  इसका पूरा श्रेय ढ्ढञ्जक्चक्कके क्कश्वष्ठष्ठ डॉग्स को जाता है।
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